खाद्यान्न बर्बादी की समस्या | 03 Sep 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (World Resources Institute-WRI) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष जितना भी खाद्य उत्पादन किया जाता है उसका एक-तिहाई हिस्सा बर्बाद हो जाता है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

  • WRI द्वारा जारी इस रिपोर्ट में प्रतिवर्ष वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों की होने वाली बर्बादी के संदर्भ में आँकड़े जारी किये गए हैं।
  • यदि बर्बाद होने वाले खाद्य पदार्थों का मौद्रिक मूल्य देखें तो यह लगभग 940 बिलियन डॉलर है अर्थात् वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष 940 बिलियन डॉलर के खाद्य पदार्थ बर्बाद हो जाते हैं।
  • खाद्य पदार्थों की बर्बादी से न सिर्फ वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ रहा है बल्कि यह वैश्विक पर्यावरण को भी नुकसान पहुँचा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य पदार्थों की बर्बादी से ग्रीनहाउस गैस में तकरीबन 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • कई अध्ययनों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व के निम्न आय वाले देशों में खाद्य पदार्थों की बर्बादी मुख्यतः ‘खेतों’ (Farms) के स्तर पर होती है अर्थात् इन देशों में खाद्यान्न की सबसे ज़्यादा बर्बादी उत्पादन से लेकर बाज़ार तक पहुँचने के चरण में होती है।
  • वहीं विश्व के अधिकतर उच्च आय वाले देशों में खाद्यान्न की बर्बादी ‘प्लेट’ (Plate) के स्तर पर होती है अर्थात् इन देशों में खाद्य की सबसे ज़्यादा बर्बादी तब होती है जब वह लोगों तक पहुँच जाता है, इन देशों में अधिकतर लोग प्लेट में खाना छोड़कर उसे बर्बाद कर देते हैं।

भारत में खाद्य पदार्थों की बर्बादी

  • भारत में खाद्य की बर्बादी के आँकड़े और अधिक चौकाने वाले हैं। 2017 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, हर साल यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में जितना खाद्य प्रयोग में लाया जाता है, उतना खाना भारत में बर्बाद हो जाता है।
  • भारत में सबसे ज़्यादा खाद्य पदार्थों की बर्बादी सार्वजनिक समारोहों में होती है।
  • भारत के कुल गेहूँ उत्पादन में से करीब 2 करोड़ टन गेहूँ बर्बाद हो जाता है।
  • स्वयं कृषि मंत्रालय के आँकड़े बताते हैं कि भारत में लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपए का अन्न बर्बाद हो जाता है।

खाद्यान्न की बर्बादी को कम करने के उपाय

  • खाद्य उत्पादन, प्रसंस्करण, संरक्षण और वितरण की अधिक कुशल एकीकृत प्रणालियों को विकसित किये जाने की ज़रूरत है जो देश की बदलती खाद्य ज़रूरतों को पूरा कर सके।
  • इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रेफ्रिजरेशन (International Institute of Refrigeration) के अनुसार, यदि विकासशील देशों के पास विकसित देशों के समान ही शीत-गृहों (Cold Storage) की उपलब्धता हो तो वे अपने खाद्यान्न को बर्बाद होने से बचा सकेंगे।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में रखे अनाज की बर्बादी को रोकने के लिये पंचायत स्तर पर आकस्मिक भंडार की भी व्यवस्था की जानी चाहिये।
  • इसके साथ ही सरकार एक ऐसा कानून बना सकती है जिसके माध्यम से सार्वजनिक समारोहों में खाद्य की बर्बादी को रोका जा सके और बर्बादी करने वाले को दंडित किया जा सके।
  • आजकल शादियों सहित अन्य सामाजिक समारोहों में दिखावे के लिये फिज़ूलखर्ची एक आम परंपरा बन गई है जिसके कारण यहाँ काफी अन्न बर्बाद होता है, इस संदर्भ में हमें अपनी मानसिकता को परिवर्तित करने की ज़रूरत है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके की खाद्य पदार्थों का आवश्यकतानुसार ही उपयोग हो एवं उनकी बर्बादी न की जाए।

वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट

(World Resources Institute-WRI)

  • WRI एक वैश्विक शोध संगठन है जो ब्राज़ील, चीन, भारत और इंडोनेशिया जैसे विश्व के लगभग 60 देशों में कार्यरत है।
  • WRI की स्थापना वर्ष 1982 में मनुष्यों और प्रकृति के परस्पर-निर्भर हितों को साधने के लिये की गई थी।
  • इसका मुख्यालय अमेरिका के वॉशिंगटन डी.सी. (Washington D.C.) में स्थित है।
  • संगठन का उद्देश्य पर्यावरणीय स्थिरता, आर्थिक अवसर और मानव स्वास्थ्य तथा कल्याण को बढ़ावा देना है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस