फूड फोर्टिफिकेशन: विटामिन डी की पूर्ति हेतु एक विकल्प | 22 May 2018

संदर्भ

हाल ही के कुछ वर्षों में विटामिन डी की कमी भारत में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती के रूप में उभरी  है। लगभग 70% शहरी भारतीयों में विटामिन डी की कमी पाई गई है। अतः इसकी पूर्ती हेतु फोर्टिफाइड फूड को एक अच्छा और लागत प्रभावी विकल्प माना जा रहा है।

विटामिन डी क्या है?

  • विटामिन डी को ‘सनशाइन विटामिन’ भी कहा जाता है।
  • विटामिन D दो प्रकार का होता है, जिसमें विटामिन D2 और विटामिन D3 शामिल हैं।
  • विटामिन-D2 को एर्गोकेल्सीफेरोल (Ergocalciferol) तथा विटामिन-D3 को कोलकेल्सीफेरोल (Cholecalciferol) भी कहते हैं।
  • विटामिन डी एक घुलनशील विटामिन के समूह में आता है यानी यह हमारी वसा कोशिकाओं में संचित रहता है और लगातार कैल्शियम के चयापचय (मेटाबोलिज्म) और हड्डियों के निर्माण में उपयोगी होता है।
  • सूर्य की रोशनी में पाए जाने वाले अल्ट्रा वॉयलेट बी किरणों के प्रभाव में हमारी त्वचा में विटामिन डी का गठन होता है।
  • विटामिन डी कैल्शियम के अवशोषण को नियंत्रित करता है, जो हड्डियों और माँसपेशियों के विकास और रख-रखाव के लिये आवश्यक है।
  • अतः यह शरीर में कैल्शियम तथा फॉस्फेट के अवशोषण को बढ़ाता है।

विटामिन डी की कमी के कारण

  • विटामिन डी का एकमात्र आहार स्रोत सैल्मन और टूना जैसे फैटी मछलियाँ हैं। हालाँकि, भारतीयों ने शायद ही कभी इन मछलियों का उपभोग किया है। 
  • खासकर शहरी क्षेत्रों में गर्मी में त्वचा के काले पड़ने से बचने के लिये हम अक्सर सूर्य की किरणों से भागने का व्यवहार भी करते हैं।
  • इसके अलावा वायुमंडलीय प्रदूषण भी यूवी किरणों की पृथ्वी की सतह पर पहुँच को मुश्किल बनाता है, जिससे समस्या को और अधिक बढ़ावा मिलता है।

विटामिन डी की कमी से संबंधित रोग

  • विटामिन डी की कमी बच्चों और वयस्कों दोनों को प्रभावित करती है। इससे बच्चों में रिकेट्स और वयस्कों में ऑस्टियोमालाशिया और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डी संबंधित बीमारियाँ होती हैं।
  • इसके साथ ही विटामिन डी की कमी से माँसपेशियों और हड्डियों में दर्द रहना, दिन में भी नींद आना, हमेशा थकान रहना, वजन बढ़ना, कमर दर्द होना, अवसाद, मोटापा, अत्यधिक पसीना आना,  मल्टिपल स्केलेरॉसिस, मसूढ़ों के रोग, प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम, दमा, ब्रोंकाइटिस, तनाव और मधुमेह तथा कैंसर जैसी अन्य बीमारियाँ भी हो सकती हैं।

विटामिन डी की पूर्ति के उपाय

  • विटामिन डी का मुख्य स्रोत सूर्य से प्राप्त प्रकाश होता है, जिसके बिना विटामिन डी कमी की संभावना होती है।
  • कोलेस्ट्रॉलिन पर सूर्य का प्रकाश यकृत और गुर्दे में अतिरिक्त रूपांतरणों के माध्यम से कोलेस्ट्रॉल को विटामिन डी में बदल देती है।
  • सूर्य की रोशनी के अतिरिक्त अंडा, मशरूम, मछली, कॉड लीवर आदि से भी विटामिन डी प्राप्त होता है।

क्या किये जाने की ज़रुरत है?

  • विटामिन डी की कमी पर काबू पाने के लिये व्यापक रणनीतियों के संयोजन की आवश्यकता है।
  • इसके लिये सुबह के 11 बजे से लेकर शाम के 3 बजे के बीच सूर्य की रोशनी से संपर्क की अनिवार्यता के विषय में जागरूकता की भी आवश्यकता है।
  • हालाँकि, वायुमंडलीय प्रदूषण की बाधा के कारण कार्यालय जाने वाले शहरी भारतीय के हेतु इसे लागू करना अक्सर अव्यवहारिक होता है।
  • इस संदर्भ में, फूड फोर्टिफिकेशन आमतौर एक लागत प्रभावी और उपयोगी रणनीति साबित हो सकती है।
  • फूड फोर्टिफिकेशन मुख्यतः चावल, दूध, नमक, आटा आदि खाद्य पदार्थों में लौह, आयोडीन, जिंक, विटामिन A एवं D जैसे प्रमुख खनिज पदार्थ एवं विटामिन जोड़ने अथवा वृद्धि करने की प्रक्रिया है जिससे कि इन खाद्यों के पोषण स्तर में वृद्धि हो।
  • इस प्रसंस्करण प्रक्रिया से पहले मूल खाद्य पदार्थों में ये पोषण तत्त्व मौजूद हो भी सकते हैं और नहीं भी।
  • वर्ष 2016 के अंत में, फोर्टिफिकेशन के लाभ को देखते हुए भारत के खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने विटामिन डी और ए के साथ दूध और खाद्य तेल हेतु मानक और सुरक्षा दिशानिर्देश निर्धारित किये हैं।
  • हिमाचल प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों के कुछ हिस्सों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली और मिड-डे-मील कार्यक्रमों के तहत, पहले से ही फोर्टिफाइड खाद्य तेल को शामिल किया गया है।
  • व्यापक विटामिन डी की कमी के अलावा, सभी आयु वर्गों में आधी से अधिक आबादी को लौह तत्त्व, जस्ता, विटामिन ए और बी दैनिक आवश्यकताओं से काफी कम मात्रा ही प्राप्त होती है।
  • ये 'सूक्ष्म पोषक तत्व' भी स्वास्थ्य के लिये महत्त्वपूर्ण हैं और इन पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • हालाँकि, इन तत्त्वों की कमी हमेशा प्रकट नहीं होती है, लेकिन अंततः इनसे भी गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं।
  • फोर्टिफाइड फूड (F+ लोगो द्वारा चिह्नित) की अधिक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये इन प्रयासों को  बढ़ाना आवश्यक है।
  • बेहतर हड्डियों के निर्माण में विटामिन डी युक्त फोर्टिफाइड फूड के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने से इन प्रयासों का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
  • इसके साथ ही, आबादी के हर स्तर पर फोर्टिफाइड फूड के प्रभाव पर निगरानी और दीर्घकालिक अध्ययन की भी आवश्यकता है।
  • उल्लेखनीय है कि भारत में पहले से ही आयोडीन युक्त फोर्टिफाइड नमक के प्रयोग का एक प्रभावशाली रिकॉर्ड है, जिसने वस्तुतः गोइटर और क्रेटिनिज्म जैसे रोगों को खत्म करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।