तैरता परमाणु रिएक्टर | 24 Aug 2019
चर्चा में क्यों?
पर्यावरणविदों की चेतावनियों के बावजूद भी रूस ने आर्कटिक महासागर में पहला तैरता परमाणु रिएक्टर अकादमिक लोमोनोसोव (Akademik Lomonosov) लॉन्च किया है।
प्रमुख बिंदु:
- पर्यावरणविदों ने इस रिएक्टर की प्रभावशीलता को देखते हुए इसे ‘बर्फ पर चेर्नोबिल’ (Chernobyl on ice) और ‘परमाणु टाइटैनिक’ नाम दिया है।
 
- वर्ष 2006 में सेंट पीटर्सबर्ग में अकादमिक लोमोनोसोव का निर्माण कार्य शुरू हुआ था।
 - अकादमिक लोमोनोसोव जो कि परमाणु ईंधन से भरा हुआ है। इसने आर्कटिक बंदरगाह मरमंस्क (Murmansk) से उत्तर-पूर्वी साइबेरिया के पेवेक (Pevek) के लिये 5,000 किमी. यात्रा प्रारंभ कर दी है।
 - साइबेरिया क्षेत्र के एक शहर पेवेक में यह संयंत्र एक बंद कोयला संयंत्र का स्थान लेगा।
 - परमाणु एजेंसी रोसाटॉम के अनुसार, इस प्रकार के रिएक्टर से सदैव बर्फ से ढकें स्थानों को ऊर्जा आसानी से उपलब्ध कराई जा सकेगी, साथ ही इस प्रकार के रिएक्टरों का निर्यात भी किया जाएगा।
 - रूस इस प्रकार के संयंत्रों का प्रयोग आर्कटिक क्षेत्र में बड़ी बुनियादी ढांँचागत परियोजनाओं, खनिज तेल और हाइड्रोकार्बन की खोज हेतु करेगा।
 
इस रिएक्टर से संबंधित चिंताएँ:
- रूस के सुदूर उत्तर में एक सैन्य परीक्षण स्थल पर घातक विस्फोट के बाद रेडियोधर्मी चिताएँ बढ़ गई हैं।
 - ग्रीनपीस के अनुसार, परमाणु ऊर्जा संयंत्र से रेडियोधर्मी कचरे का उत्पादन होता है जिससे दुर्घटना हो सकती है। अकादमिक लोमोनोसोव तूफानों के लिये कमज़ोर है इसलिये इसके दुर्घटनाग्रस्त होने की अधिक संभावना बनी हुई है।
 - रोसाटॉम इस संयंत्र के लिये आवश्यक ईंधन को जहाज़ पर ही रखने की योजना बना रहा है। ग्रीनपीस ने चेतावनी दी है कि इस ईंधन से जुड़ी कोई भी दुर्घटना आर्कटिक क्षेत्र के संवेदनशील पर्यावरण को अत्यधिक नुकसान पहुँचा सकती है।
 - ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के कारण पिघलती बर्फ से अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर का रूस के उत्तरी तट के साथ जुड़ने वाला मार्ग अधिक सुलभ हो गया है।
 - एक प्रकार के तैरते परमाणु संयंत्र की लागत भी बहुत अधिक होती है।
 
ग्रीनपीस (Greenpeace)
- ग्रीनपीस पर्यावरण चेतना हेतु विश्वव्यापी आंदोलन है। इसकी स्थापना वर्ष 1971 में कनाडा के वैंकूवर (Vancouver) में हुई थी।
 - वर्ष 1976 के आसपास ग्रीनपीस ने स्वतंत्र गैर सरकारी संगठन के रूप में कार्य करना प्रारंभ किया था।
 - इसकी स्थापना का तात्कालिक उद्देश्य अमेरिका द्वारा अलास्का में नाभिकीय हथियारों के परीक्षण का विरोध करना था किंतु बाद में इसका उद्देश्य व्यापक रूप से पर्यावरण की सुरक्षा के करना हो गया।
 - यह महासागर, वन, जैव-विविधता और महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय स्थानों जैसे- आर्कटिक तथा अंटार्कटिका के विशेष संरक्षण का प्रयास करता है।
 - ग्रीनपीस का वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय एम्सटर्डम (नीदरलैंड) में स्थित है।
 - ग्रीनपीस इंटरनेशनल के 26 स्वतंत्र राष्ट्रीय और क्षेत्रीय कार्यालय 55 से अधिक देशों में कार्य कर रहे हैं।
 - इन राष्ट्रीय और क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा वैश्विक रणनीतियों को स्थानीय संदर्भ में संचालित किया जा सकता हैं। स्थानीय कार्यालय अपने कार्यों के लिये आवश्यक निधि के संग्रहण के लिये भी स्वतंत्र हैं।
 - ग्रीनपीस इंडिया की स्थापना वर्ष 2001 में हुई थी। इसका मुख्यालय बंगलूरू में स्थित है।
 
          