स्वाभिमान अंचल में पहली यात्री बस का संचालन | 11 Jul 2020

प्रीलिम्स के लिये

स्वाभिमान अंचल की भौगोलिक अवस्थिति

मेन्स के लिये

भारत के विभिन्न राज्यों में वामपंथी अतिवाद और माओवाद की समस्या

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ओडिशा के माओवादी गढ़ के रूप में प्रसिद्ध मलकानगिरी ज़िले में कट-ऑफ क्षेत्र के रूप में पहचाने जाने वाले स्वाभिमान अंचल (Swabhiman Anchal) में स्वतंत्रता के पश्चात् पहली बार यात्री बस का सफल संचालन किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • ओडिशा में चित्रकोंडा (Chitrakonda) के विधायक ने ओडिशा राज्य सड़क परिवहन निगम की एक बस को चित्रकोंडा से मलकानगिरी ज़िले के जोडाम्बो (Jodambo) के लिये रवाना किया, जहाँ हाल ही में एक नए पुलिस स्टेशन ने कार्य करना शुरू किया है।
  • गौरतलब है कि पहले स्वाभिमान अंचल में आवागमन के लिये कोई भी सड़क मार्ग नहीं था।

स्वाभिमान अंचल के बारे में

  • स्वाभिमान अंचल तीन ओर से पानी से तथा चौथी ओर से दुर्गम इलाकों से घिरा हुआ है, जिसके कारण यह क्षेत्र लंबे समय से माओवादियों और वामपंथी अतिवादियों का गढ़ रहा है।
  • वर्ष 2018 में गुरुप्रिया ब्रिज (Gurupriya Bridge) बनने के बाद, यह क्षेत्र एक सड़क से जुड़ गया, जिसका निर्माण कार्य अभी पूरा किया जाना शेष है।
    • गौरतलब है कि गुरुप्रिया ब्रिज के निर्माण से पूर्व इस क्षेत्र में नौकाएँ, परिवहन का एकमात्र साधन हुआ करती थीं। 
    • स्वाभिमान अंचल में कई लोग सुदूर क्षेत्र की यात्रा करने के लिये परिवहन के साधन के तौर पर घोड़ों का भी प्रयोग करते थे।
  • ओडिशा और आंध्रप्रदेश की सीमा के पास स्थित मलकानगिरी ज़िले का स्वाभिमान अंचल क्षेत्र में कुल 151 गांव शामिल हैं, पूर्व में इस क्षेत्र को वामपंथी अतिवादियों (Left Ultras) द्वारा एक मुक्त क्षेत्र माना जाता था।

स्वाभिमान अंचल- माओवाद का गढ़ 

  • स्वाभिमान अंचल में वामपंथी अतिवादियों का काफी ज़्यादा प्रभाव था और यहाँ तक कि राज्य की पुलिस में भी इस क्षेत्र को लेकर काफी भय की स्थिति रहती थी।
  • ओडिशा, आंध्रप्रदेश और छत्तीसगढ़ के अधिकांश माओवादी शरण लेने के उद्देश्य से स्वाभिमान अंचल की ओर ही आते थे और इस कारण इस को काफी खतरनाक माना जाता था।

विकास की ओर अग्रसर 

  • बीते कुछ वर्षों के दौरान सुरक्षा बलों के इस क्षेत्र पर वर्चस्व स्थापित करने के बाद से यहाँ की स्थिति काफी बेहतर हो गई है।
  • इस क्षेत्र में सुरक्षा नेटवर्क मज़बूत होने से विकास से संबंधित कई गतिविधियाँ शुरू हुई हैं। जिनमें मुख्य रूप से सड़कों के निर्माण के कारण ऑटो-रिक्शा एवं सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से ओडिशा का यह क्षेत्र विकास की मुख्यधारा में शामिल हो गया है।
  • ज़िला प्रशासन के अनुसार, इस क्षेत्र के अंतिम गाँव तक पहुँचने के लिये अभी भी 35 किलोमीटर लंबी एक अन्य सड़क का निर्माण आवश्यक है।

स्रोत: द हिंदू