NQM की कार्यान्वयन रणनीति को अंतिम रूप | 19 Jan 2024

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM), क्वांटम प्रौद्योगिकी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), मिशन समन्वय सेल (MCC)

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन और क्वांटम प्रौद्योगिकी विकसित करने में इसकी भूमिका, क्वांटम प्रौद्योगिकी: अनुप्रयोग, चुनौतियाँ तथा आगे की राह।

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों ? 

हाल ही में राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) के मिशन गवर्निंग बोर्ड (Mission Governing Board- MGB) की पहली बैठक में NQM की कार्यान्वयन रणनीति और समय-सीमा के साथ-साथ मिशन समन्वयन प्रकोष्ठ (Mission Coordination Cell- MCC) के गठन पर चर्चा हुई। 

  • अर्हता और मौजूदा बुनियादी ढाँचे के आधार पर विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा चिह्नित किये गए संस्थान में मिशन समन्वयन प्रकोष्ठ (MCC) की स्थापना की जाएगी एवं यह मिशन प्रौद्योगिकी अनुसंधान परिषद् (Mission Technology Research Council- MTRC) के समग्र पर्यवेक्षण व मार्गदर्शन के तत्त्वावधान में कार्य करेगी।  

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) क्या है?

  • परिचय:
    • वर्ष 2023-2031 के लिये योजनाबद्ध मिशन का उद्देश्य वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना तथा क्वांटम टेक्नोलॉजी (QT) में एक जीवंत व अभिनव पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
    • इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत DST द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।
    • इस मिशन के लॉन्च के साथ, भारत अमेरिका, ऑस्ट्रिया, फिनलैंड, फ्राँस, कनाडा और चीन के बाद समर्पित क्वांटम मिशन वाला सातवाँ देश होगा।
  • NQM की मुख्य विशेषताएँ: 
    • इसका लक्ष्य 5 वर्षों में 50-100 फिज़िकल क्यूबिट और 8 वर्षों में 50-1000 फिज़िकल क्यूबिट वाले मध्यवर्ती पैमाने के क्वांटम कंप्यूटर विकसित करना होगा।
    • जिस प्रकार बिट्स/bits (1 और 0) आधारभूत इकाइयाँ हैं जिनके द्वारा पारंपरिक कंप्यूटर जानकारी प्रोसेस करते हैं, 'क्यूबिट्स (qubits)' या 'क्वांटम बिट्स' क्वांटम कंप्यूटरों के प्रोसेस की इकाइयाँ हैं।
    • यह मिशन सटीक समय (एटॉमिक क्लॉक/परमाणु घड़ियाँ), संचार और नेविगेशन के लिये उच्च संवेदनशीलता वाले मैग्नेटोमीटर विकसित करने में सहायक होगा।
    • यह क्वांटम उपकरणों के निर्माण हेतु सुपरकंडक्टर्स, नवीन अर्द्धचालक संरचनाओं और टोपोलॉजिकल सामग्रियों जैसे क्वांटम सामग्रियों के डिज़ाइन एवं संश्लेषण का भी समर्थन करेगा।
  • क्वांटम संचार का विकास:
    • भारत के भीतर 2000 किमी. की सीमा में ग्राउंड स्टेशनों के बीच उपग्रह आधारित सुरक्षित क्वांटम संचार।
    • लंबी दूरी तक अन्य देशों के साथ सुरक्षित क्वांटम संचार।
    • 2000 किमी. से अधिक दूरी तक में इंटर-सिटी क्वांटम-की (quantum key) वितरण।
    • क्वांटम मेमोरी के साथ मल्टी-नोड क्वांटम नेटवर्क।
  • क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शीर्ष शैक्षणिक और राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास संस्थानों में चार थीमैटिक हब (T-Hubs) स्थापित किये जाएंगे:

क्वांटम प्रौद्योगिकी:

  • परिचय:
    • क्वांटम प्रौद्योगिकी विज्ञान और इंजीनियरिंग का एक क्षेत्र है जो क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों से संबंधित है, जो कि सबसे छोटे पैमाने पर पदार्थ तथा ऊर्जा के व्यवहार का अध्ययन है। 
    • क्वांटम यांत्रिकी भौतिकी की वह शाखा है जो परमाणु और उप-परमाण्विक स्तर पर पदार्थ तथा ऊर्जा के व्यवहार का वर्णन करती है।
  • भारत और चीन के बीच एक तुलना:
    • चीन में अनुसंधान एवं विकास: चीन ने क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना अनुसंधान एवं विकास (R&D) कार्य वर्ष 2008 में शुरू किया था।
      • वर्ष 2022 में परिदृश्य यह है की चीन विश्व का पहला क्वांटम उपग्रह विकसित करने, बीजिंग एवं शंघाई के बीच एक क्वांटम संचार लाइन का निर्माण करने और विश्व के दो सबसे तेज़ क्वांटम कंप्यूटरों का स्वामी होने का दावा रखता है।   
      • यह एक दशक लंबे चले अनुसंधान का परिणाम है जिसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त करने की इच्छा और आशा के साथ बल प्रदान किया गया था।
    • भारत की स्थिति: दूसरी ओर क्वांटम प्रौद्योगिकी भारत में ऐसा क्षेत्र रहा है जो दीर्घकालिक अनुसंधान एवं विकास पर अत्यधिक केंद्रित है।
      • वर्तमान में अनुसंधानकर्त्ताओं, औद्योगिकी पेशेवरों, शिक्षाविदों और उद्यमियों की एक सीमित संख्या ही इस क्षेत्र में सक्रिय है तथा अनुसंधान एवं विकास पर निरंतर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है।

क्वांटम प्रौद्योगिकी के लाभ क्या हैं?

  • कंप्यूटिंग शक्ति में वृद्धि: क्वांटम कंप्यूटर वर्तमान के कंप्यूटरों की तुलना में बहुत तेज़ हैं। उनमें उन जटिल समस्याओं को हल करने की भी क्षमता है जो वर्तमान में हमारी पहुँच से परे हैं।
  • उन्नत सुरक्षा: क्योंकि वे क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों पर भरोसा करते हैं, क्वांटम एन्क्रिप्शन तकनीक पारंपरिक एन्क्रिप्शन विधियों की तुलना में अधिक सुरक्षित हैं।
  • तीव्र संचार: क्वांटम संचार नेटवर्क पूरी तरह से अनहैक करने योग्य संचार की क्षमता के साथ, पारंपरिक नेटवर्क की तुलना में तेज़ी से और अधिक सुरक्षित रूप से सूचना प्रसारित कर सकते हैं।
  • उन्नत AI: क्वांटम मशीन लर्निंग एल्गोरिदम संभावित रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता मॉडल के अधिक कुशल और सटीक प्रशिक्षण को सक्षम कर सकता है।
  • बेहतर संवेदन और मापन: क्वांटम सेंसर पर्यावरण में बेहद छोटे बदलावों का पता लगा सकते हैं, जिससे वे चिकित्सा निदान, पर्यावरण निगरानी और भूवैज्ञानिक अन्वेषण जैसे क्षेत्रों में उपयोगी हो जाते हैं।

क्वांटम प्रौद्योगिकी के नुकसान क्या हैं?

  • अधिक लागत: प्रौद्योगिकी के लिये विशेष उपकरणों और सामग्रियों की आवश्यकता होती है जो इसे पारंपरिक प्रौद्योगिकियों की तुलना में अधिक लागत आती है।
  • सीमित अनुप्रयोग: वर्तमान में क्वांटम तकनीक केवल क्रिप्टोग्राफी, क्वांटम कंप्यूटिंग और क्वांटम संचार जैसे विशिष्ट अनुप्रयोगों के लिये उपयोगी है।
  • पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता: क्वांटम तकनीक तापमान परिवर्तन, चुंबकीय क्षेत्र और कंपन जैसे पर्यावरणीय हस्तक्षेप के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है।
    • क्यूबिट अपने परिवेश से आसानी से बाधित हो जाते हैं जिसके कारण वे अपने क्वांटम गुण खो सकते हैं और गणना में गलतियाँ कर सकते हैं।
  • सीमित नियंत्रण: क्वांटम प्रणालियों को नियंत्रित करना और उनमें हेरफेर करना कठिन है। क्वांटम-संचालित AI अनपेक्षित परिणाम उत्पन्न कर सकता है।
    • क्वांटम-चलित AI  सिस्टम संभावित रूप से ऐसे निष्कर्षों पर पहुँच सकते हैं जो अप्रत्याशित या समझाने में मुश्किल हैं क्योंकि वे उन सिद्धांतों पर काम करते हैं जो शास्त्रीय कंप्यूटिंग से मौलिक रूप से भिन्न हैं।

आगे का राह

  • निवेश बढ़ाना: क्वांटम प्रौद्योगिकी को अपनी पूर्ण क्षमता प्राप्त करने के लिये अनुसंधान और विकास, अवसंरचन तथा मानव संसाधनों में पर्याप्त निवेश की आवश्यकता होती है।
    • भारत ने इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए 6000 करोड़ रुपए के बजट के साथ राष्ट्रीय क्वांटम मिशन लॉन्च किया। 
    • हालाँकि, क्वांटम स्टार्ट-अप्स, सेवा प्रदाताओं तथा शैक्षणिक संस्थानों के विकास का समर्थन करने के लिये और अधिक सार्वजनिक एवं निजी वित्तपोषण की आवश्यकता है।
      • संबद्ध क्षेत्र में निजी क्षेत्र के अनुसंधान एवं विकास वित्तपोषण को बढ़ाया जा सकता है जो विकसित देशों की तुलना में भारत में पहले से ही बहुत कम है।
  • नियामक ढाँचे की आवश्यकता: क्वांटम प्रौद्योगिकी नैतिक, कानूनी और सामाजिक चुनौतियाँ भी प्रस्तुत करती हैं, जिनके व्यापक हो जाने से पहले ही इन्हें संबोधित करने की आवश्यकता है। उदाहरणार्थ क्वांटम सेंसिंग निजता संबंधी अधिकारों का उल्लंघन कर सकती है तथा क्वांटम हथियार सामूहिक विनाश का कारण बन सकते हैं।
    • इस प्रकार, नवाचार और सुरक्षा को संतुलित करने वाली क्वांटम प्रौद्योगिकी के लिये एक नियामक ढाँचा विकसित करना विवेकपूर्ण होगा।
  • क्वांटम शिक्षा को बढ़ावा देना: क्वांटम प्रौद्योगिकी के लिये कुशल एवं प्रशिक्षित पेशेवरों की भी आवश्यकता होती है जो इसके सिद्धांतों एवं विधियों को समझ सकें एवं इन्हें अनुप्रयुक्त कर सकें। इसलिये विभिन्न विषयों में छात्रों व शोधकर्त्ताओं के बीच क्वांटम शिक्षा एवं जागरूकता को बढ़ावा देना आवश्यक है।
    • स्कूलों-कॉलेजों में क्वांटम पाठ्यक्रम शुरू करने, कार्यशालाओं एवं सेमिनारों के आयोजन और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म एवं संसाधनों का निर्माण करने के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है।
  • विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग: क्वांटम प्रौद्योगिकी की बेहतर समझ के लिये सरकारी अभिकरणों, उद्योग के अभिकर्त्ताओं और संस्थानों जैसे विभिन्न हितधारकों के बीच सहकार्यता एवं सहयोग का स्थापित होना आवश्यक है।
    • यह क्वांटम प्रौद्योगिकी के विभिन्न डोमेन एवं अनुप्रयोगों में ज्ञान साझेदारी, नवाचार और मानकीकरण को बढ़ावा दे सकता है।
    • यह भारत को क्वांटम प्रौद्योगिकी पर वैश्विक पहलों और नेटवर्क में भाग लेने में भी सक्षम बना सकता है

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