मुक्त व्यापार समझौता: भारत और यूरोपीय संघ | 24 Jun 2020

प्रीलिम्स के लिये

यूरोपीय संघ

मेन्स के लिये 

मुक्त व्यापार क्षेत्र के कारण व प्रभाव 

चर्चा में क्यों?

हाल ही  में निर्यातकों के समूह ‘फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइज़ेशन’ ( Federation of Indian Export Organisations-FIEO) ने सरकार से यूरोपियन यूनियन के साथ मुक्त व्यापार क्षेत्र (Free Trade Area-FTA) के मुद्दे पर विचार करने का आह्वान किया है

प्रमुख बिंदु 

  • भारत और यूरोपीय संघ एक व्यापक मुक्त व्यापार क्षेत्र के मुद्दे पर बातचीत कर रहे हैं, जिसे आधिकारिक तौर पर द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौते (Bilateral Trade and Investment Agreement-BTIA) के रूप में जाना जाता है
  • वर्ष 2013 से विभिन्न मुद्दों  पर मतभेद के कारण द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौते संबंधी वार्ता रुकी हुई है।
  • फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइज़ेशन के अनुसार, भारत का निकटतम प्रतिद्वंदी वियतनाम पूर्व में ही यूरोपीय संघ के साथ एक मुक्त व्यापार क्षेत्र संबंधी समझौता कर चुका है, जिसके अगस्त 2020 तक प्रभावी होने की संभावना है।
  • यूरोपीय संघ, भारत के बड़े निर्यात साझेदारों में से एक है। भारत अपने कुल निर्यात का लगभग 18 प्रतिशत यूरोपीय संघ के देशों को निर्यात करता है।

यूरोपीय संघ

  • यूरोपीय संघ (European Union- EU) कुल 27 देशों की एक आर्थिक और राजनीतिक सहभागिता है। ये 27 देश संधि के द्वारा एक संघ के रूप में जुड़े हुए हैं, जिससे कि व्यापार को आसान बनाया जा सके और विभिन्न देशों के मध्य विवाद उत्पन्न न हो।
  • गौरतलब है कि यूरोपीय संघ के कुल 19 देश यूरो को अपनी आधिकारिक मुद्रा के रूप में प्रयोग करते हैं, जबकि शेष देशों की अपनी अलग मुद्रा है।
  • यूरोपीय संघ ने कानूनों की मानकीकृत प्रणाली के माध्यम से एक आंतरिक एकल बाज़ार विकसित किया है, जो कि सदस्य देशों के उन सभी मामलों पर लागू होती हैं, जिन सदस्य देशों ने सहमति व्यक्त की है।
  • यूनाइटेड किंगडम (UK) 31 जनवरी, 2020 को  यूरोपीय संघ (EU) से अलग होने वाला अंतिम देश था, जिसके बाद सदस्यों की संख्या 27 रह गई।
  • वर्ष 2019 में यूरोपीय संघ के साथ भारत का निर्यात लगभग 58.4 बिलियन डॉलर था जबकि भारत के प्रतिद्वंदी वियतनाम का निर्यात 52.2 बिलियन डॉलर था।
  • यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार संबंधी समझौते के कारण वियतनाम के उत्पादों का मूल्य भारत के उत्पादों की तुलना में और कम हो जाएगा।
  • यूरोपीय संघ-वियतनाम निवेश संरक्षण समझौते पर भी हस्ताक्षर किये गए हैं और इस कारण वियतनाम, चीन से निकलने वाले कई निवेशकों को आकर्षित कर रहा है। इन निवेशकों में अधिकांश वे निवेशक हैं, जिनके उत्पाद यूरोपीय संघ के बाज़ारों में लोकप्रिय हैं।

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइज़ेशन

  • फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइज़ेशन वैश्विक बाज़ार में भारतीय उद्यमियों की उद्यमशील भावना का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी स्थापना वर्ष 1965 में हुई थी।
  • यह भारत में निर्यात संवर्द्धन परिषद, विभिन्न सामुदायिक बोर्ड और विकास प्राधिकरणों का एक सर्वोच्च निकाय है।
  • यह केंद्र और राज्य सरकारों, वित्तीय संस्थानों, बंदरगाहों, रेलवे और सभी निर्यात व्यापार सुविधा में लगे हुए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समुदाय के बीच महत्त्वपूर्ण इंटरफेस प्रदान करता है।
  • आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में भारत ने यूरोपीय संघ को 7 बिलियन डॉलर का निर्यात किया, जबकि वियतनाम ने 7.80 बिलियन डॉलर का निर्यात किया। इसी प्रकार, भारत ने इसी वर्ष  4.9 बिलियन डॉलर मूल्य के विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों का निर्यात किया तो वहीं वियतनाम ने 22 बिलियन डॉलर का निर्यात किया।

स्रोत: इकोनॉमिक्स टाइम्स