चरम जलवायु घटनाएँ | 21 Jul 2021

प्रिलिम्स के लिये

हीट वेव, चरम जलवायु घटनाएँ

मेन्स के लिये

चरम जलवायु घटनाओं का कारण और उनसे संबंधित चिंताएँ 

चर्चा में क्यों?

दुनिया भर के लोग कोविड-19 महामारी और चरम जलवायु घटनाओं की दोहरी मार झेल रहे हैं। विशेषज्ञों का मत है कि चरम जलवायु संबंधी ये घटनाएँ जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हैं।

प्रमुख बिंदु

हालिया चरम जलवायु घटनाएँ

  • एक हालिया हीट वेव(Heatwave) ने संपूर्ण कनाडा और अमेरिका के कुछ हिस्सों में तापमान को रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँचा दिया है तथा इसके कारण 25 से 30 जून के बीच सैकड़ों लोगों की मृत्यु हुई है।
  • जर्मनी में हाल ही में आई बाढ़ ने 180 से अधिक लोगों की जान ले ली।
    • चीन, भारत और इंडोनेशिया समेत कई एशियाई देशों में भी बाढ़ की घटनाएँ देखी गई हैं।
  • हाल ही में चक्रवात ‘ताउते’ और ‘यास’ क्रमशः भारत के पश्चिमी और पूर्वी तटों से टकराए हैं।

चरम जलवायु घटनाओं का कारण:

  • अत्यधिक तापमान:
    • पृथ्वी का तापमान प्रतिवर्ष बढ़ रहा है, ऐसे में अत्यधिक धूप के कारण ‘निम्न दबाव वाला सिस्टम बनता है।
    • जिसके कारण हरिकेन और अन्य उष्णकटिबंधीय तूफानों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही हैं।
  • उच्च वायुमंडलीय हवाएँ:
    • जेट स्ट्रीम ऐसे स्थान पर पाई जाती है, जहाँ ध्रुवीय क्षेत्रों से आने वाली ठंडी हवा उष्णकटिबंधीय क्षेत्र की गर्म हवा से मिलती है।
    • ये हवाएँ उत्तरी गोलार्द्ध में पश्चिम से पूर्व की ओर और दक्षिणी गोलार्द्ध में पूर्व से पश्चिम तक मौसम प्रणाली को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।
    • कभी-कभी ये हवाएँ चरम जलवायु स्थिति को बढ़ावा देती हैं जिससे टोर्नेडो का निर्माण हो सकता है।
  • जब दो दबाव प्रणाली आपस में मिलती है:
    • जब बहुत ठंडी उच्च दबाव वाली प्रणाली बहुत गर्म कम दबाव वाली प्रणाली से मिलती है, तो समुद्र की सतह पर अत्यधिक ऊँची लहरों की संभावना बढ़ जाती है।
    • अत्यधिक ठंडी उच्च दाब प्रणालियाँ उप-ध्रुवीय क्षेत्रों से उत्पन्न होती हैं, जबकि अत्यधिक गर्म निम्न दाब प्रणालियाँ समशीतोष्ण समुद्रों से उत्पन्न होती हैं।
  • अनुचित मौसम प्रणाली:
    • मौसम प्रणालियाँ जैसे- वायु द्रव्यमान, अग्रभाग आदि उचित तरीके से चलती रहती हैं जो मौसम की स्थिति को सुचारु रूप से बनाए रखने में मदद करती हैं।
    • जब मौसम की स्थिति के बीच में कोई गड़बड़ी आती है तो यह आपदाओं को जन्म देती है।
  • जलवायु परिवर्तन:
    • पिछले कुछ दशकों में वैश्विक तापमान बहुत अधिक बढ़ गया है यहाँ तक कि इसमें साल-दर-साल परिवर्तन भी जारी है।
    • पृथ्वी के तामपान में वृद्धि का एक प्रमुख कारण कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर है।
    • जैसे-जैसे वातावरण में CO2 का स्तर बढ़ रहा है, उसके साथ ही पृथ्वी का तापमान भी बढ़ रहा है।
  • ग्लोबल वार्मिंग:
    • ग्लोबल वार्मिंग के कारण जैसे-जैसे विश्व का तापमान बढ़ रहा है, इसका प्रभाव भी बढ़ता जा रहा है।
    • ग्लोबल वार्मिंग हीट वेव की तीब्रता को बढ़ाने में योगदान दे रही है।
    • ग्लोबल वार्मिंग से वातावरण में जलवाष्प की मात्रा भी बढ़ जाती है जिससे भारी वर्षा, भारी हिमपात जैसे चरम मौसमीय घटनाएँ घटित हो सकती हैं।

चिंताएँ:

  • औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि मौसम के पैटर्न में व्यापक बदलाव से संबद्ध है।
    • बढ़ते औसत वैश्विक तापमान से भारी बारिश की संभावना में वृद्धि हुई है।
    • गर्म हवा में अधिक नमी होती है, जिसका अर्थ है कि अंततः इससे निर्मुक्त होने वाले जल की मात्रा भी अधिक होगी।
  • मानवजनित जलवायु परिवर्तन में वृद्धि के साथ ग्रीष्म लहर/हीट वेव और अत्यधिक वर्षा जैसी चरम मौसमी घटनाओं की आवृत्ति बढ़ने या इनके अधिक तीव्र होने की संभावना है।
    • मानवजनित जलवायु परिवर्तन या एंथ्रोपोजेनिक क्लाइमेट चेंज का सिद्धांत यह है कि जलवायु में हो रहे वर्तमान परिवर्तनों में से अधिकांश के लिये मनुष्यों द्वारा किया जा रहा कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन का दहन उत्तरदायी है।
  • पृथ्वी के ध्रुवों पर तापमान भूमध्य रेखा की तुलना में दो से तीन गुना अधिक तेज़ी से बढ़ रहा है।
    • यह यूरोप के ऊपर स्थित मध्य अक्षांशों की जेट धाराओं/जेट स्ट्रीम को कमज़ोर करता है।
    • ग्रीष्म और शरद ऋतु के दौरान जेट स्ट्रीम के कमज़ोर होने के परिणामस्वरूप धीमी गति से चलने वाले तूफान आते हैं।
    • यह अधिक भयानक और लंबे समय तक चलने वाले तूफानों की उत्पत्ति का कारण बन सकता है।
  • इसके अलावा एक अध्ययन के अनुसार, मानव-प्रेरित ग्लोबल वार्मिंग ने अरब सागर के ऊपर चक्रवाती तूफानों की आवृत्ति और तीव्रता को बढ़ाने में भी योगदान दिया है।

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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस