प्रतिभा सूचकांक में यूरोपीय देशों का वर्चस्व | 24 Apr 2019

चर्चा में क्यों?

वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक- 2019 (Global Talent Competitive Index 2019) में शीर्ष स्थान प्राप्त करने वाले 10 देशों में 8 यूरोपीय देश शामिल हैं। यह सूचकांक प्रतिस्पर्द्धा में यूरोपीय देशों की प्रतिभा के वर्चस्व को प्रदर्शित करता है।

सूचकांक का विषय/थीम

  • इस बार सूचकांक की थीम ‘उद्यमी प्रतिभा और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा’ (Entrepreneurial Talent and Global Competitiveness) है।

प्रमुख बिंदु

  • वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक- 2019 को इनसीड (INSEAD) बिज़नेस स्कूल द्वारा टाटा कम्युनिकेशंस (Tata Communications) और एडिको समूह (Adecco Group) के सहयोग से जारी किया गया है।
  • इस सूचकांक के अंतर्गत वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्द्धा में देशों की क्षमता की माप की जाती है।
  • सूचकांक में शीर्ष 5 स्थान प्राप्त करने वाले देश क्रमशः स्विट्ज़रलैंड, सिंगापुर, अमेरिका, नॉर्वे तथा डेनमार्क हैं।

Competitive

  • शीर्ष स्थान प्राप्त करने वाले 8 यूरोपीय देश हैं: स्विटज़रलैंड, नार्वे, डेनमार्क, फ़िनलैंड, स्वीडन, नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम और लक्ज़मबर्ग।
  • एशिया-पैसिफिक देशों में से 6 देश-  सिंगापुर (2nd), न्यूज़ीलैंड (11th), ऑस्ट्रेलिया (12th), जापान (22nd), मलेशिया (27th) और दक्षिण कोरिया (30th) को शीर्ष 30 देशों में स्थान प्राप्त हुआ है।
  • शीर्ष रैंकिंग वाले देश कई विशेषताओं को संदर्भित करते हैं, जैसे- प्रतिभा विकास और प्रबंधन को केंद्रीय प्राथमिकता के रूप में शामिल करना, उद्यमी प्रतिभा के लिये खुलापन, खुली सामाजिक-आर्थिक नीतियाँ साथ ही नवाचार के लिये मज़बूत और जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र।

भारत के संदर्भ में

  • इस सूचकांक में भारत को 80वाँ स्थान प्राप्त हुआ। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में जारी इस सूचकांक में भारत को 81वाँ स्थान प्राप्त हुआ था।
  • इस बार भारत की सबसे प्रमुख चुनौती प्रतिभाओं को आकर्षित करने और उनकी स्थिति को बनाए रखकर अपनी क्षमता में सुधार करना है।
  • भारत को बढ़ती लैंगिक असमानता तथा अल्पसंख्यकों और अप्रवासियों के प्रति असहिष्णुता के संबंध में भी आंतरिक स्तर पर सुधार करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

  • स्पष्ट है कि उच्च स्थान प्राप्त करने वाले देश मुख्यतः यूरोपीय हैं और ये देश सूचकांक के मानकों को पूरा करते हैं, अतः अपनी वर्चस्वता को कायम रखते हुए ये कई वर्षों से शीर्ष पर बने हुए हैं।
  • भारत को इस सूचकांक में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने के लिये इसके मानको को पूरा करने तथा सभी क्षेत्रों में आंतरिक स्तर पर सुधार करने की आवश्यकता है।

स्रोत- द हिंदू