भारत-यूरोपीय संघ (India-EU) संबंधों के लिये नया रणनीति पत्र | 22 Nov 2018

हाल ही में यूरोपीय संघ (Europian Union) ने व्यापार, निवेश, रक्षा, सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने सहित कई प्रमुख क्षेत्रों में भारत के साथ संबंधों को मज़बूत बनाने के लिये रणनीति पत्र (strategy paper) पेश किया। यूरोपीय संघ द्वारा यह रणनीति पत्र पेश किये जाने के बाद अब यूरोपीय संसद और यूरोपीय परिषद में इस पर चर्चा की जाएगी।

रणनीति पत्र के प्रमुख प्रावधान

  • यूरोपीय संघ और भारत के बीच वर्तमान संबंध यूरोपीय संघ-भारत सहयोग समझौता 1994 द्वारा स्थापित हैं। इस संयुक्त समझौते में निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने और वर्तमान वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सक्षम होने के लिये, यूरोपीय संघ और भारत को व्यापक रणनीतिक साझेदार समझौता (Strategic Partnership Agreement) स्थापित करने पर विचार करना चाहिये।
  • यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि/उपराष्ट्रपति और भारत के विदेश मामलों के मंत्री के बीच होने वाली वार्षिक वार्ता को नियमित सामरिक वार्ता के रूप में अपग्रेड किया जाए।
  • उचित समायोजन के माध्यम से अफगानिस्तान (Afganistan) और मध्य एशिया के मुद्दे पर होने वाली बातचीत को तेज़ी से आगे बढ़ाया जाए।
  • आतंकवाद से लड़ने, कट्टरपंथ और हिंसक अतिवाद तथा आतंकवादी वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिये भारत के साथ तकनीकी सहयोग को मज़बूती प्रदान करना।
  • साइबर सुरक्षा (Cyber Security) और विभिन्न खतरों के बारे में विशेषज्ञता का आदान-प्रदान।
  • यूरोपोल (Europol) और भारतीय कानून प्रवर्तन संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिये कार्य व्यवस्था की स्थापना करना।
  • समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने के लिये नीति और परिचालन स्तर दोनों पर भारत के साथ सामान्य कार्यवाही करना। हिंद महासागर और पूर्वी अफ्रीका में तटीय राष्ट्रों की क्षमता बढ़ाने में मदद के लिये भारत और अन्य प्रमुख क्षेत्रीय शक्तियों, जैसे- दक्षिण अफ्रीका के साथ मिलकर काम करना।

पृष्ठभूमि

  • लंबे समय से भारत-यूरोपीय संघ संबंधों को आर्थिक संबंधों द्वारा निर्देशित किया जाता रहा है लेकिन भारत को लेकर यूरोपीय संघ का यह रणनीति पत्र 14 वर्षों के बाद पेश किया गया है।
  • इससे पहले इस प्रकार की रणनीति वर्ष 2004 में जारी की गई थी।

यूरोपीय संघ (EU)

  • यूरोपीय संघ 28 देशों की एक आर्थिक और राजनीतिक सहभागिता है। ये 28 देश संधि के द्वारा एक संघ के रूप में जुड़े हुए हैं जिससे कि व्यापार आसानी से हो सके और लोग एक-दूसरे से कोई विवाद न करें क्योंकि इकॉनमी का एक सिद्धांत है, जो देश आपस में जितना ज़्यादा व्यापार करते हैं उनकी लड़ाई होने की संभावना उतनी ही कम हो जाती है।
  • यही कारण है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में यह कोशिश की गई कि सभी देश आर्थिक रूप से एक साथ आएँ और एकजुट होकर एक व्यापार समूह बनें।
  • इसी व्यापार समूह की वजह से आगे चलकर 1993 में यूरोपीय संघ का जन्म हुआ। 2004 में जब यूरो करेंसी लॉन्च की गई तब यह पूरी तरह से राजनीतिक और आर्थिक रूप से एकजुट हुआ।
  • एकल बाज़ार सिद्धांत (single market principle) अर्थात् किसी भी तरह का सामान और व्यक्ति बिना किसी टैक्स या बिना किसी रुकावट के कहीं भी आ-जा सकते हैं एवं बिना रोक टोक के नौकरी, व्यवसाय तथा स्थायी तौर पर निवास कर सकते हैं। फ्री मूवमेंट ऑफ़ पीपल एंड गुड्स यूरोपीय संघ की खासियत है।

 स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस