यूरोपीय संघ ने लगाए बेलारूस पर प्रतिबंध | 27 May 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में यूरोपीय संघ (EU) ने बेलारूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाए हैं, जिसमें उसकी एयरलाइन्स को यूरोपीय संघ के हवाई क्षेत्र और हवाई अड्डों का उपयोग करने से प्रतिबंधित किया गया।

Belarus

प्रमुख बिंदु:

बेलारूस की राजनीतिक पृष्ठभूमि:

  • यूरोप में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले शासक बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको ने वर्ष 1991 में सोवियत संघ के पतन के कारण उत्पन्न हुई अराजकता के बीच वर्ष 1994 में पदभार ग्रहण किया।
  • इन्हें प्रायः यूरोप के "अंतिम तानाशाह" के रूप में वर्णित किया जाता है, उन्होंने सोवियत साम्यवाद के तत्त्वों को संरक्षित करने का प्रयास किया है।
    • वह 26 वर्षों से सत्ता में हैं तथा अर्थव्यवस्था का अधिकांश हिस्सा राज्य के हाथों में है और विरोधियों के खिलाफ सेंसरशिप एवं पुलिस कार्रवाई का उपयोग कर रहे हैं।
  • वर्ष 2020 में लुकाशेंको को चुनावों में विजेता घोषित किये जाने के बाद राजधानी मिन्स्क में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जो हिंसक सुरक्षा कार्रवाई के कारण हुए थे।
    • बेलारूस में स्थिर अर्थव्यवस्था और चुनाव की निष्पक्षता पर संदेह को लेकर सरकार के खिलाफ व्यापक गुस्सा व्याप्त है।

पिछले प्रतिबंध:

  • हिंसक कार्रवाई के जवाब में यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका ने वर्ष 2020 में बेलारूस के खिलाफ कई दौर के वित्तीय प्रतिबंध लगाए।
  • अमेरिका ने नौ राज्यों के स्वामित्व वाली संस्थाओं और राष्ट्रपति लुकाशेंको सहित 16 व्यक्तियों पर यात्रा प्रतिबंध और लक्षित वित्तीय प्रतिबंध भी लगाए। ये प्रतिबंध पहली बार वर्ष 2006 में लगाए गए थे तथा वर्ष 2008 में इन्हें और अधिक सख्त कर दिया गया।
  • कई वर्ष पहले दो विपक्षी राजनेताओं, एक पत्रकार और एक व्यापारी के लापता होने के बाद यूरोपीय संघ ने पहली बार वर्ष 2004 में बेलारूस के खिलाफ प्रतिबंधात्मक उपाय प्रस्तुत किये थे।

हालिया प्रतिबंधों का कारण:

  • बेलारूस के राष्ट्रपति ने एक यात्री जेट को ज़बरन रोककर और एक विपक्षी पत्रकार को गिरफ्तार करने हेतु युद्धक विमान को भेजा। पश्चिमी शक्तियों द्वारा इसकी "स्टेट पाइरेसी" (जिसमें राज्य शामिल है) के रूप में निंदा की गई।

यूरोपीय संघ द्वारा उठाए गए कदम:

  • हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंध:
    • बेलारूसी एयरलाइनों को EU के 27-राष्ट्र ब्लॉक के हवाई क्षेत्र से प्रतिबंधित करने का आह्वान किया और यूरोपीय संघ-आधारित वाहकों से पूर्व सोवियत गणराज्य के ऊपर से उड़ान भरने से बचने का आग्रह किया।
  • ज़बरन विमान रोकने की जाँच:
    • EU के देश ऐसे बेलारूसी व्यक्तियों की सूची को विस्तृत करने के लिये सहमत हुए, जिनके यात्रा करने पर पहले ही प्रतिबंध लगया जा चुका है और अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) से बेलारूस की इस घटना की तत्काल जाँच करने का आग्रह किया।
    • इसने हिरासत में लिये गए पत्रकार की रिहाई की भी मांग की।
  • व्यक्तियों और व्यवसायों पर प्रतिबंध:
    • अक्तूबर 2020 के बाद से यूरोपीय संघ उत्तरोत्तर यात्रा प्रतिबंध और संपत्ति ज़ब्त करने  जैसे उपायों के साथ अधिक से अधिक प्रमुख राजनीतिक हस्तियों को प्रतिबंधित कर रहा है।
    • हाल की घटना के संबंध में EU ने 88 व्यक्तियों और सात संस्थाओं की अपनी प्रतिबंध सूची में जोड़ने का निर्णय लिया।
  • बिलियन-यूरो आर्थिक पैकेज:
    • यूरोपीय संघ बेलारूस को 3 बिलियन यूरो का निवेश पैकेज देने को तैयार था जिसे अब तब तक फ्रीज किया जाएगा जब तक कि देश लोकतांत्रिक नहीं हो जाता।

निहितार्थ:

  • बेलारूस यूरोप के भीतर एवं यूरोप और एशिया के बीच मार्गों के उड़ान पथ पर स्थित है। बेलारूस को प्रतिबंधित करने से इदानों में कमी आएगी और एयरलाइंस पर अतिरिक्त आर्थिक भर पड़ेगा।
  • बेलारूस को एयरलाइन्स से हर दिन 70,000 यूरो तक आय होती है, इस राशि से वंचित होने से असुविधा होगी लेकिन बेलारूस की अर्थव्यवस्था पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा।

अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन:

  • यह संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक विशेष एजेंसी है, जिसे वर्ष 1944 में स्थापित किया गया था, जिसने शांतिपूर्ण वैश्विक हवाई नेविगेशन के लिये मानकों और प्रक्रियाओं की नींव रखी।
  • दिसंबर 1944 में शिकागो में अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन को लेकर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किये गए थे।
  • इसने हवाई मार्ग से अंतर्राष्ट्रीय परिवहन की अनुमति देने वाले मूल सिद्धांतों की स्थापना की और ICAO के निर्माण का भी नेतृत्व किया।

उद्देश्य:

  • अंतर्राष्ट्रीय हवाई परिवहन की योजना और विकास को बढ़ावा देना ताकि दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन के सुरक्षित और व्यवस्थित विकास को सुनिश्चित किया जा सके।

सदस्य:

  • भारत इसके 193 सदस्यों में शामिल है।

मुख्यालय:

  • मॉट्रियल, कनाडा

आगे की राह:

  • बेलारूस के राष्ट्रपति को एक वैध सरकार का गठन सुनिश्चित करना चाहिये जो देश की महत्त्वपूर्ण समस्याओं का समाधान कर सके।
  • उन्हें विपक्ष से बात करनी चाहिये और संकट के शांतिपूर्ण समाधान हेतु बातचीत की पेशकश करनी होगी।

स्रोत-द हिंदू