खाद्यान्न से एथेनॉल निष्कर्षण की अनुमति | 30 Nov 2018

संदर्भ


हाल ही में केंद्र सरकार ने एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के तहत एथेनॉल निष्कर्षण की परिधि को बढ़ा दिया है। गौरतलब है कि अब मक्का, ज्वार, बाजरा जैसे खाद्यान्नों के अधिशेष और फलों/सब्जियों के अपशिष्ट से भी एथेनॉल निष्कर्षण की अनुमति होगी।


महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के तहत मक्का, जवार तथा बाजरे को शामिल करना किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होगा तथा EBP कार्यक्रम को विस्तार भी मिलेगा।
  • एथेनॉल की प्राप्ति हेतु लिया गया यह निर्णय आपूर्ति वर्ष 2018-19 से लागू होगा।
  • अब तक, ईंधन मिश्रण कार्यक्रम के तहत खरीद के लिये केवल अतिरिक्त गन्ना उत्पादन को एथेनॉल में परिवर्तित करने की अनुमति थी।
  • राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 (The National Policy on Biofuels 2018) ने अधिशेष उत्पादन की स्थिति में एथेनॉल के उत्पादन के लिये अनाज की अतिरिक्त मात्रा को रूपांतरित करने की अनुमति देने हेतु राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (National Biofuel Coordination Committee-NBCC) को अधिकार प्रदान किया है।

राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति, 2018

  • इस नीति के द्वारा गन्ने का रस, चीनी युक्त सामग्री, स्टार्च युक्त सामग्री तथा क्षतिग्रस्त अनाज, जैसे- गेहूँ, टूटे चावल और सड़े हुए आलू का उपयोग करके एथेनॉल उत्पादन हेतु कच्चे माल के दायरे का विस्तार किया गया है।
  • नीति में जैव ईंधनों को ‘आधारभूत जैव ईंधनों’ यानी पहली पीढ़ी (1G) के बायोएथेनॉल और बायोडीज़ल तथा ‘विकसित जैव ईंधनों’ यानी दूसरी पीढ़ी (2G) के एथेनॉल, निगम के ठोस कचरे (MSW) से लेकर ड्रॉप-इन ईंधन, तीसरी पीढ़ी (3G) के जैव ईंधन, बायोसीएनजी आदि को श्रेणीबद्ध किया गया है, ताकि प्रत्‍येक श्रेणी के अंतर्गत उचित वित्तीय और आर्थिक प्रोत्‍साहन बढ़ाया जा सके।
  • अतिरिक्‍त उत्‍पादन के चरण के दौरान किसानों को उनके उत्‍पाद का उचित मूल्‍य नहीं मिलने का खतरा होता है। इसे ध्‍यान में रखते हुए इस नीति में राष्‍ट्रीय जैव ईंधन समन्‍वय समिति की मंज़ूरी से एथेनॉल उत्‍पादन के लिये (पेट्रोल के साथ उसे मिलाने हेतु) अधिशेष अनाजों के इस्‍तेमाल की अनुमति दी गई है।
  • NBCC ने EBP कार्यक्रम के लिये फलों/सब्जियों के अपशिष्ट जैसे अन्य फीडस्टॉक से एथेनॉल का उत्पादन करने के प्रस्ताव को भी मंज़ूरी दे दी है।
  • पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अनुसार, कृषि, सहयोग और किसान कल्याण विभाग (DAC&FW) ने EBP कार्यक्रम के तहत एथेनॉल के उत्पादन हेतु आपूर्ति वर्ष 2018-2019 के दौरान खाद्यान्न के अधिशेष (Surplus) का अनुमान लगाया है।

तेल विपणन कंपनियों का लक्ष्य (Target for OMCs)

  • EBP कार्यक्रम के तहत, केंद्र सरकार ने तेल विपणन कंपनियों (OMCs) से 2022 तक एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल को 10 प्रतिशत तक लक्षित करने के लिये कहा है।
  • इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन द्वारा संकलित आँकड़ों के मुताबिक, 1 अक्तूबर तक एथेनॉल मिश्रण हेतु देशव्यापी औसत 4.02 प्रतिशत था।
  • हालाँकि एथेनॉल में भारी कमी उक्त लक्ष्य को पूरा करने में बाधा है। वर्तमान में, एथेनॉल के उत्पादन में सी-भारी शीरे (‘C-heavy’ molasses) का इस्तेमाल किया जा रहा है।
  • इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार ने इस साल की शुरुआत में एक संशोधित जैव ईंधन नीति प्रस्तुत किया था।
  • यह नीति उन चीनी मिलों को प्रोत्साहित करती है जो एथेनॉल उत्पादन के लिये 'बी-भारी' शीरा और गन्ने के रस का उपयोग करती हैं।

स्रोत- द हिंदू बिजनेस लाइन