अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल और छात्रों की बौद्धिक प्रगति | 26 Nov 2018

संदर्भ


हाल ही में वैज्ञानिकों ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में अध्ययन-अध्यापन में प्रयुक्त होने वाली अंग्रेज़ी भाषा को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किये हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि अध्ययन-अध्यापन में अंग्रेज़ी भाषा का इस्तेमाल बच्चों, खासतौर से उन बच्चों जिनके परिवार में कोई अन्य भाषा बोली जाती है, को शुरुआती कौशल प्रशिक्षण से दूर कर रहा है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • गौरतलब है कि इस चार वर्षीय प्रोजेक्ट को ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग (University of Reading) और कर्नाटक, हैदराबाद तथा नई दिल्ली स्थित सहयोगियों के साथ मिलकर पूरा किया जा रहा है।
  • इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य उन कारणों का पता लगाना है जिसकी वज़ह से कोई देश, जहाँ बहुभाषावाद (Multilingualism) आम बात हो फिर भी वह इसका लाभ नहीं उठा पा रहा है।
  • शोधकर्त्ता इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्यों बच्चे, पश्चिम के बहुभाषी बच्चों की तरह ज्ञान-संबंधी बातें सीखने में गहन रुचि नहीं ले रहे हैं।
  • कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (University of Cambridge) के एक प्रोफेसर के मुताबिक, इस विरोधाभास का जवाब दिल्ली, हैदराबाद और बिहार से पिछले दो वर्षों में एकत्र किये गए 1,000 स्कूली बच्चों से संबंधित आँकड़ों में छुपा है।
  • इस प्रोजेक्ट के तहत दो वर्षों के दौरान टीम ने तीन अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न सरकारी स्कूलों में शिक्षा के प्रावधान में काफी भिन्नता पाई है जिसमें शिक्षण पद्धति और मानक भी शामिल हैं।

संभावित कारण

  • उक्त 1000 बच्चों की पुनः परीक्षा ली जाएगी जिसमें केवल परीक्षा के परिणाम ही नहीं बल्कि अन्य कारकों जैसे शिक्षण पद्धति, वातावरण तथा मानकों का भी ध्यान रखा जाएगा।
  • परीक्षा में ख़राब प्रदर्शन की एक वज़ह छात्र-केंद्रित (Pupil-Centred) शिक्षण पद्धति का अभाव भी हो सकता है जिसमें शिक्षक छात्रों पर हावी हो जाते हैं। हावी होने की इस प्रवृत्ति के परिणामस्वरूप कक्षा में खुलकर सवाल पूछने वाले छात्रों की संस्था में कमी आने लगती है।
  • हालाँकि ये निष्कर्ष अभी प्रारंभिक अवस्था में हैं किंतु शोधकर्त्ताओं का मानना है कि स्कूलों में अध्ययन-अध्यापन का माध्यम, खासतौर से अंग्रेज़ी, ही वह कारण है जो इस भाषा से अनभिज्ञ छात्रों के पिछड़ने की वज़ह बन रहा है।

स्रोत- द हिंदू (बिजनेस लाइन)