एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय | 15 Nov 2022

प्रिलिम्स के लिये:

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS), अनुसूचित जनजाति

मेन्स के लिये:

भारतीय समाज के वंचित वर्गों के छात्रों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिये पहल, चुनौतियांँ और समाधान।

चर्चा में क्यों?

सरकार अनुसूचित जनजाति (ST) के छात्रों के लिये 740 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) स्थापित करने पर ज़ोर दे रही है।

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS):

  • EMRS पूरे भारत में ST के लिये मॉडल आवासीय स्कूल बनाने की एक योजना है।
    • इसकी शुरुआत वर्ष 1997-98 में हुई थी।
    • इसे जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    • इस योजना का उद्देश्य जवाहर नवोदय विद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों के समान स्कूलों का निर्माण करना है, जिसमें खेल तथा कौशल विकास में प्रशिक्षण प्रदान करने के अलावा स्थानीय कला एवं संस्कृति के संरक्षण के लिये विशेष अत्याधुनिक सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
    • EMR स्कूल CBSE पाठ्यक्रम का पालन करता है।
  • वर्ष 2018-19 मेें, EMRS योजना के पुनरुद्धार को कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया था।
    • चूंँकि नए दिशानिर्देश लागू किये गए हैं, इसलिये जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने 2021-22 तक लक्षित 452 स्कूलों में से 332 को मंज़ूरी दी है।
    • नवंबर 2022 तक, कुल 688 स्कूलों को मंज़ूरी दी गई है, जिनमें से 392 कार्यात्मक हैं।
    • 688 में से 230 ने निर्माण कार्य पूरा कर लिया है और 234 निर्माणाधीन हैं, 32 स्कूल अभी भी भूमि अधिग्रहण के मुद्दों के कारण अटके हुए हैं।

पुराने दिशा-निर्देश:

  • हालाँकि केंद्र सरकार ने एक निश्चित संख्या में प्रारंभिक EMRS को मंज़ूरी दी थी, राज्य और केंद्रशासित प्रदेश ज़रूरत पड़ने पर नए स्कूलों की मंज़ूरी लेने के लिये ज़िम्मेदार थे।
    • इन स्कूलों के लिये वित्तपोषण अनुच्छेद 275 (1) के तहत अनुदान से आना था और दिशानिर्देशों में यह अनिवार्य था कि जब तक राज्य, केंद्र द्वारा स्वीकृत स्कूलों का निर्माण पूरा नहीं कर लेते, वे नए स्कूलों के लिये वित्त के हकदार नहीं होंगे।
  • प्रत्येक EMRS के लिये 20-एकड़ भूखंडों की बुनियादी आवश्यकताओं के अलावा, दिशा-निर्देशों में कोई मानदंड नहीं था कि EMRS कहाँ स्थापित किया जा सकता है, इसे राज्य सरकारों के विवेक पर छोड़ दिया गया।

नए दिशा-निर्देश:

  • वर्ष 2018-19 में नए दिशानिर्देशों ने केंद्र सरकार को स्कूलों को मंज़ूरी देने और उनका प्रबंधन करने की अधिक शक्ति दी।
  • जनजातीय छात्रों के लिये राष्ट्रीय शिक्षा सोसाइटी (NESTS) की स्थापना की गई और उसे स्टेट एजुकेशन सोसाइटी फॉर ट्राइबल स्टूडेंट्स (SESTS) का प्रबंधन सौंपा गया, जो व्यावहारिक स्तर पर EMRS को प्रबंधित करेगा।
  • इन नए दिशानिर्देशों ने प्रत्येक आदिवासी उप-ज़िले में एक EMRS स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया और उन्हें स्थापित करने के लिये एक "जनसंख्या मानदंड" पेश किया।
    • प्रति उप-ज़िले में एक EMRS स्थापित किया जाएगा जिसमें कम से कम 20,000-अनुसूचित जनजाति (ST) की आबादी है और यह उस क्षेत्र की कुल आबादी का 50% होना चाहिये।
  • EMRS स्थापित करने के लिये न्यूनतम आवश्यक भूमि माप 20 एकड़ से घटाकर 15 एकड़ कर दी गई थी।

चुनौतियाँ:

  • 15 एकड़ क्षेत्र की आवश्यकता:
    • स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, 15 एकड़ क्षेत्र की आवश्यकता भूमि की पहचान करने और अधिग्रहण (विशेषकर पहाड़ी इलाकों, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों और पूर्वोत्तर में) को मुश्किल बना रही है
  • जनसंख्या मानदंड:
    • स्थायी समिति ने पाया किया कि जनसंख्या मानदंड के कारण जनजातीय आबादी के कम घनत्त्व वाले क्षेत्र EMRS का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
    • कभी-कभी, जब जनसंख्या मानदंड पूरे होते हैं तो 15 एकड़ के भूखंड उपलब्ध नहीं हो पाते हैं।
  • शिक्षकों की कमी:
    • NESTS की स्थापना के बावजूद शिक्षकों की कमी थी।
    • हालांँकि नए दिशा-निर्देशों ने NETS को शिक्षक भर्ती के लिए उपाय सुझाने की अनुमति दी, लेकिन उन्होंने राज्यों के लिये उनका पालन करना कभी अनिवार्य नहीं किया।
      • इससे शिक्षकों की गुणवत्ता में असमानता, पर्याप्त भर्ती नहीं होने के साथ खर्च बचाने के लिये बड़ी संख्या में स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती संविदात्मक रूप से हुई है।
    • जुलाई 2022 तक सभी कार्यात्मक EMRS में NESTS द्वारा अनुशंसित 11,340 शिक्षकों के मुकाबले 4,000 से भी कम शिक्षक थे। 

आगे की राह

  • भूमि क्षेत्रफल और जनसंख्या मानदंड के संबंध में दिशा-निर्देशों में ढील दी जानी चाहिये जिससे कम जनजातीय आबादी वाले क्षेत्र भी EMRS योजना का लाभ उठा सके।
  • शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिये NESTS को स्कूल प्रबंधन पर अधिक नियंत्रण दिया जाना चाहिये।
  • साथ ही राज्यों के लिये शिक्षक भर्ती के बारे में अनिवार्य दिशा-निर्देश जारी किये जाने चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस