भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची | 04 Aug 2021

प्रिलिम्स के लिये:

लोकसभा, आठवीं अनुसूची, अनुच्छेद 343-351

मेन्स के लिये:

शास्त्रीय भाषाओं से संबंधित दिशा-निर्देश

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री द्वारा लोकसभा में आठवीं अनुसूची में भाषाओं को बढ़ाने से संबंधित सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों की जानकारी दी।

प्रमुख बिंदु

आठवीं अनुसूची:

  • आठवीं अनुसूची के बारे में:
    • इस अनुसूची में भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है। भारतीय संविधान के भाग XVII में अनुच्छेद 343 से 351 तक शामिल अनुच्छेद आधिकारिक भाषाओं से संबंधित हैं।
    • आठवीं अनुसूची से संबंधित संवैधानिक प्रावधान इस प्रकार हैं:
      • अनुच्छेद 344: अनुच्छेद 344(1) संविधान के प्रारंभ से पांँच वर्ष की समाप्ति पर राष्ट्रपति द्वारा एक आयोग के गठन का प्रावधान करता है।
      • अनुच्छेद 351: यह हिंदी भाषा को विकसित करने के लिये इसके प्रसार का प्रावधान करता है ताकि यह भारत की मिश्रित संस्कृति के सभी तत्त्वों के लिये अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में कार्य कर सके।
    • हालांँकि यह ध्यान देने योग्य है कि किसी भी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिये कोई निश्चित मानदंड निर्धारित नहीं है।
  • आधिकारिक भाषाएँ:
    • संविधान की आठवीं अनुसूची में निम्नलिखित 22 भाषाएँ शामिल हैं:
      • असमिया, बांग्ला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी।
    • इन भाषाओं में से 14 भाषाओं को संविधान के प्रारंभ में ही शामिल कर लिया गया था।
    • वर्ष 1967 में सिंधी भाषा को 21वें सविधान संशोधन अधिनियम द्वारा आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था।
    • वर्ष 1992 में 71वें संशोधन अधिनियम द्वारा कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली को शामिल किया गया।
    • वर्ष 2003 में 92वें सविधान संशोधन अधिनियम जो कि वर्ष 2004 से प्रभावी हुआ, द्वारा बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।

शास्त्रीय भाषाएँ:

  • परिचय:
    • वर्तमान में ऐसी छह भाषाएँ हैं जिन्हें भारत में 'शास्त्रीय भाषा' का दर्जा प्राप्त है:
      • तमिल (2004 में घोषित), संस्कृत (2005), कन्नड़ (2008), तेलुगू (2008), मलयालम (2013) और ओडिया (2014)।
      • सभी शास्त्रीय भाषाएँ संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध हैं।
  • दिशा-निर्देश:
    • संस्कृति मंत्रालय शास्त्रीय भाषाओं के संबंध में दिशा-निर्देश प्रदान करता है जो नीचे दिये गए हैं:
      • इसके प्रारंभिक ग्रंथों का इतिहास 1500-2000 वर्ष से अधिक पुराना हो।
      • प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का एक हिस्सा हो जिसे बोलने वाले लोगों की पीढ़ियों द्वारा एक मूल्यवान विरासत माना जाता हो।
      • साहित्यिक परंपरा में मौलिकता हो जो किसी अन्य भाषिक समुदाय द्वारा न ली गई हो।
      • शास्त्रीय भाषा और साहित्य, आधुनिक भाषा व साहित्य से भिन्न हैं, इसलिये इसके बाद के रूपों के बीच असमानता भी हो सकती है।
  • प्रचार का लाभ: मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुसार, किसी भाषा को शास्त्रीय भाषा के रूप में अधिसूचित करने से प्राप्त होने वाले लाभ इस प्रकार हैं-
    • भारतीय शास्त्रीय भाषाओं में प्रख्यात विद्वानों के लिये दो प्रमुख वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों का वितरण।
    • शास्त्रीय भाषाओं में अध्ययन के लिये उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया गया है।
    • मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से अनुरोध किया है कि वह केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शास्त्रीय भाषाओं के पेशेवर अध्यक्षों के कुछ पदों की घोषणा करे।

स्रोत: पी.आई.बी.