भारत में खाद्य तेल क्षेत्र | 11 Nov 2022

प्रिलिम्स के लिये:

आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) सरसों, धारा सरसों हाइब्रिड (DMH -11)।

मेन्स के लिये:

GM फसलें और उनका महत्त्व, भारत का खाद्य तेल क्षेत्र और इसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र ने GM सरसों की पर्यावरणीय मंज़ूरी को चुनौती देने वाली याचिका में कहा कि भारत पहले से ही आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलों से प्राप्त तेल का आयात और उपभोग कर रहा है।

  • इसके अलावा लगभग 9.5 मिलियन टन (MT) GM कपास बीज का वार्षिक उत्पादन होता है और 1.2 मिलियन टन GM कपास के तेल का उपभोग मनुष्यों द्वारा किया जाता है तथा लगभग 6.5 मिलियन टन कपास के बीज का उपयोग पशु आहार के रूप में किया जाता है।

भारत में खाद्य तेल क्षेत्र की स्थिति:

  • देश की अर्थव्यवस्था में स्थान:
    • भारत दुनिया में तिलहन के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है।
    • कृषि अर्थव्यवस्था में तेल क्षेत्र का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
    • कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आँंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान नौ कृषित तिलहनों से 36.56 मिलियन टन अनुमानित उत्पादन हुआ है।
    • भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और वनस्पति तेल का नंबर एक आयातक है।
      • भारत में खाद्य तेल की खपत की वर्तमान दर घरेलू उत्पादन दर से अधिक है। इसलिये देश को मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर रहना पड़ता है।
      • वर्तमान में भारत अपनी खाद्य तेल की मांग का लगभग 55% से 60% आयात के माध्यम से पूरा करता है। इसलिये घरेलू खपत की मांग को पूरा करने के लिये भारत को तेल उत्पादन में स्वतंत्र होने की ज़रूरत है।
      • पाम तेल (कच्चा + परिष्कृत) आयातित कुल खाद्य तेलों का लगभग 62% है और मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात किया जाता है, जबकि सोयाबीन तेल (22%) अर्जेंटीना और ब्राज़ील से आयात किया जाता है तथा सूरजमुखी तेल (15%) मुख्य रूप से यूक्रेन व रूस से आयात किया जाता है।
  • भारत में आमतौर पर उपयोग किये जाने वाले तेलों के प्रकार:
    • भारत में मूँगफली, सरसों, कैनोला/रेपसीड, तिल, कुसुम, अलसी, रामतिल/नाइज़र सीड और अरंडी पारंपरिक रूप से उगाई जाने वाली सबसे अच्छी तिलहन फसलें हैं।
    • सोयाबीन और सूरजमुखी का भी हाल के वर्षों में महत्त्व बढ़ गया है।
    • बगानी फसलों में नारियल सबसे महत्त्वपूर्ण है।
    • गैर-पारंपरिक तेलों में चावल की भूसी का तेल और बिनौला तेल सबसे महत्त्वपूर्ण हैं।
  • खाद्य तेलों पर निर्यात-आयात नीति:
    • खाद्य तेलों का आयात ओपन जनरल लाइसेंस (OGL) के तहत आता है।
    • किसानों, प्रसंस्करणकर्त्ताओं और उपभोक्ताओं के हितों में सामंजस्य स्थापित करने के लिये सरकार समय-समय पर खाद्य तेलों के शुल्क ढाँचे की समीक्षा करती है।

संबंधित सरकारी पहल:

  • भारत सरकार ने केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- पाम ऑयल शुरू किया, जिसे केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र एवं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में विशेष ध्यान देने के साथ कार्यान्वित किया जा रहा है।
    • वर्ष 2025-26 तक पाम तेल के लिये अतिरिक्त 6.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र का प्रस्ताव है।
  • वनस्पति तेल क्षेत्र में डेटा प्रबंधन प्रणाली में सुधार और इसे व्यवस्थित करने के लिये खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के तहत चीनी तथा वनस्पति तेल निदेशालय ने मासिक आधार पर वनस्पति तेल उत्पादकों द्वारा इनपुट ऑनलाइन जमा करने के लिये एक वेब-आधारित मंच (evegoils.nic.in) विकसित किया है।
    • पोर्टल ऑनलाइन पंजीकरण और मासिक उत्पादन रिटर्न जमा करने के लिये विंडो भी प्रदान करता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

आयातित खाद्य तेलों की मात्रा पिछले पाँच वर्षों में खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन से अधिक है।

सरकार विशेष मामले के रूप में सभी आयातित खाद्य तेलों पर कोई सीमा शुल्क नहीं लगाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (a)

प्रश्न. पीड़को के प्रतिरोध के अतिरिक्त वे कौन-सी संभावनाएँ है जिनके लिये आनुवंशिक रूप से रूपांतरित पादपो का निर्माण किया गया है?(2012)

1- सूखा सहन करने के लिये उन्हे सक्षम बनाना

2- उत्पाद में पोषकीय मान बढ़ाना

3- अंतरिक्ष यानों और स्टेशनों में उन्हें उगने और प्रकाश-संश्लेषण करने के लिये सक्षम बनाना

4- उनकी शेत्फ लाइफ बढ़ाना

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 3 और 4

(c) केवल 1, 2 और 4

(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: C

व्याख्या:

आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें (GM फसलें या बायोटेक फसलें) कृषि में उपयोग किये जाने वाले पौधे हैं, जिनके डीएनए को आनुवंशिक इंजीनियरिंग विधियों का उपयोग करके संशोधित किया गया है। अधिकतर मामलों में इसका उद्देश्य पौधे में एक नया लक्षण पैदा करना है जो प्रजातियों में स्वाभाविक रूप से नहीं होता है। खाद्य फसलों में लक्षणों के उदाहरणों में कुछ कीटों, रोगों, पर्यावरणीय परिस्थितियों, खराब होने में कमी, रासायनिक उपचारों के प्रतिरोध (जैसे- जड़ी-बूटियों के प्रतिरोध) या फसल के पोषक तत्त्व प्रोफाइल में सुधार शामिल हैं।

GM फसल प्रौद्योगिकी के कुछ संभावित अनुप्रयोग हैं:

पोषण वृद्धि - उच्च विटामिन सामग्री; अधिक स्वस्थ फैटी एसिड प्रोफाइल; अत: 2 सही है।

तनाव सहनशीलता - उच्च और निम्न तापमान, लवणता और सूखे के प्रति सहनशीलता; अत: 1 सही है।

ऐसी कोई संभावना नहीं है जो GM फसलों को अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष स्टेशनों में बढ़ने तथा प्रकाश संश्लेषण करने में सक्षम बनाती हो। अत: 3 सही नहीं है।

वैज्ञानिक कुछ आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें तैयार करने में सक्षम हैं जो सामान्य रूप से एक महीने तक ताज़ा रहती हैं। अत: 4 सही हैअतः विकल्प (c) सही उत्तर है।

प्रश्न. बोल्गार्ड I और बोल्गार्ड II प्रौद्योगिकियों का उल्लेख किसके संदर्भ में किया गया है?

 (a) फसल पौधों का क्लोनल प्रवर्धन

(b) आनुवंशिक रूप से संशोधित फसली पौधों का विकास

(c) पादप वृद्धिकर पदार्थों का उत्पादन

(d) जैव उर्वरकों का उत्पादन

 उत्तर:B

व्याख्या:

बोल्गार्ड I बीटी कपास (एकल-जीन प्रौद्योगिकी) 2002 में भारत में व्यावसायीकरण के लिये अनुमोदित पहली बायोटेक फसल प्रौद्योगिकी है, इसके बाद वर्ष 2006 के मध्य में बोल्गार्ड II- डबल-जीन प्रौद्योगिकी, जेनेटिक इंजीनियरिंग अनुमोदन समिति, बायोटेक के लिये भारतीय नियामक निकाय द्वारा अनुमोदित फसलें ।

बोल्गार्ड I कपास एक कीट-प्रतिरोधी ट्रांसजेनिक फसल है जिसे बाॅलवर्म से निपटने के लिये डिज़ाइन किया गया है। यह जीवाणु बैसिलस थुरिंगिनेसिस से एक माइक्रोबियल प्रोटीन को व्यक्त करने के लिये कपास जीनोम को आनुवंशिक रूप से बदलकर बनाया गया था।

बोल्गार्ड II तकनीक में एक बेहतर डबल-जीन तकनीक शामिल है - cry1ac और cry2ab, जो बाॅलवर्म तथा स्पोडोप्टेरा कैटरपिलर से सुरक्षा प्रदान करती है, जिससे बेहतर बाॅलवर्म प्रतिधारण, अधिकतम उपज, कम कीटनाशकों की लागत एवं कीट प्रतिरोध के खिलाफ सुरक्षा मिलती है।

बोल्गार्ड I और बोल्गार्ड II दोनों कीट-संरक्षित कपास दुनिया भर में व्यापक रूप से बाॅलवर्म को नियंत्रित करने के पर्यावरण के अनुकूल तरीके के रूप में अपनाए जाते हैं। अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

मुख्य परीक्षा:

प्रश्न. किसानों के जीवन स्तर को सुधारने मं जैव प्रौद्योगिकी कैसे मदद कर सकती है? (2019)

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस