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आर्थिक पूंजी फ्रेमवर्क और जालान समिति | 29 Aug 2019 | भारतीय अर्थव्यवस्था

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक के आर्थिक पूंजी फ्रेमवर्क की समीक्षा के लिये गठित बिमल जालान समिति के सुझाव पर केंद्रीय बैंक ने केंद्र सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए दिये, साथ ही इस समिति ने प्रत्येक पाँच वर्षों में आर्थिक पूंजी फ्रेमवर्क की समीक्षा करने की सिफारिश भी की है।

संबंधित मुद्दे:

सरकार का पक्ष:

उपरोक्त कारणों के परिप्रेक्ष्य में सरकार अर्थव्यवस्था में मुद्रा की तरलता बढ़ाकर मंदी की स्थिति को खत्म करके रोज़गार और आर्थिक गतिविधियों को तेज़ करना चाहती है।

भारतीय रिज़र्व बैंक का पक्ष:

उपरोक्त परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में केंद्रीय बैंक ने बिमल जालान समिति का गठन किया था। बिमल जालान समिति की सिफारिशें निम्नलिखित हैं:

आर्थिक पूंजी फ्रेमवर्क

(Economic Capital Framework):

आगे की राह:

इसलिये इस रणनीति हेतु पर्याप्त वित्त की आपूर्ति की जानी चाहिये।

भारतीय अर्थव्यवस्था को वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की महत्त्वाकांक्षा की पूर्ति और वर्तमान आर्थिक मंदी तथा बेरोज़गारी के दुष्चक्र से निकलने हेतु अर्थव्यवस्था में मुद्रा की तरलता बढ़ाया जाना आवश्यक है लेकिन साथ ही भारतीय रिज़र्व बैंक की स्वायत्तता भी आवश्यक है, इसलिये दोनों स्थितियों के सामंजस्य से ही बेहतर परिणाम हासिल किये जा सकते हैं।

स्रोत: द हिंदू