ECI ने नकद चंदे पर सीमा की मांग की | 20 Sep 2022
प्रिलिम्स के लिये:चुनाव सुधार के लिये ECI प्रस्ताव, भारत का चुनाव आयोग। मेन्स के लिये:चुनाव में नकद चंदे से संबंधित चिंताएँ।  | 
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने उम्मीदवारों की ओर से पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिये जन प्रतिनिधित्त्व अधिनियम, 1951 में कई संशोधनों का सुझाव दिया है।
चिंताएँ:
- हाल ही में यहाँ देखा गया कि कुछ राजनीतिक दलों द्वारा सूचित किये गए चंदे शून्य थे, लेकिन उनके लेखा परीक्षा खातों के विवरण में बड़ी मात्रा में धन प्राप्त होने का पता चलता है, जो नकद में बड़े पैमाने पर लेन-देन को 20,000 रुपए की सीमा से संकुचित करने का आह्वान करता है।
 - चिंता का एक अन्य क्षेत्र जिसे EC द्वारा पहचाना गया है, वह विदेशी मुद्रा नियमों का उल्लंघन है।
 
ECI की प्रमुख सिफारिशें:
- 2000 रुपए से ऊपर के चंदे की रिपोर्ट करना:
- 2,000 रुपए से अधिक के सभी चंदे की सूचना दी जानी चाहिये, जिससे फंडिंग में पारदर्शिता बढ़े।
 - नियमों के अनुसार, राजनीतिक दलों को 20,000 रुपए से अधिक के सभी चंदे का खुलासा अपनी योगदान रिपोर्ट के माध्यम से करना होता है जो चुनाव आयोग को प्रस्तुत की जाती है।
 
 - डिजिटल या चेक से लेन-देन:
- एक इकाई/व्यक्ति को 2,000 रुपए से अधिक के सभी खर्चों के लिये डिजिटल लेन-देन या खाता प्राप्तकर्त्ता चेक हस्तांतरण अनिवार्य करना चाहिये।
 
 - नकद चंदा सीमित करना:
- किसी पार्टी द्वारा प्राप्त कुल धनराशि में से 20% या अधिकतम 20 करोड़ रुपए, जो भी कम हो, पर नकद चंदे को प्रतिबंधित किया जाए।
 
 - अलग बैंक खाता:
- प्रत्येक उम्मीदवार को चुनाव उद्देश्यों के लिये एक अलग बैंक खाता खोलना चाहिये और सभी खर्चों एवं प्राप्तियों को इस खाते के माध्यम से रूट करना चाहिये, एवं इन विवरणों को अपने चुनावी खर्च के खाते में प्रस्तुत करना चाहिये।
 
 - विदेशी चंदे को अलग करना:
- चुनाव आयोग ने "चुनावी सुधारों" की भी मांग की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA), 2010 के तहत पार्टियों के फंड में कोई विदेशी चंदा न मिले।
- वर्तमान में चंदे की प्राप्ति के प्रारंभिक चरणों में विशेष रूप से विदेशी चंदे को अलग करने के लिये कोई तंत्र नहीं है।
 
 
 - चुनाव आयोग ने "चुनावी सुधारों" की भी मांग की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA), 2010 के तहत पार्टियों के फंड में कोई विदेशी चंदा न मिले।
 
भारत निर्वाचन आयोग:
- परिचय:
- भारत निर्वाचन आयोग, जिसे चुनाव आयोग के नाम से भी जाना जाता है, एक स्वायत्त संवैधानिक निकाय है जो भारत में संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं का संचालन करता है।
 - यह देश में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव का संचालन करता है।
 - निर्वाचन आयोग में मूलतः केवल एक चुनाव आयुक्त का प्रावधान था, लेकिन राष्ट्रपति की एक अधिसूचना के ज़रिये 16 अक्तूबर, 1989 को इसे तीन सदस्यीय बना दिया गया।
 - इसके बाद कुछ समय के लिये इसे एक सदस्यीय आयोग बना दिया गया और 1 अक्तूबर, 1993 को इसका तीन सदस्यीय आयोग वाला स्वरूप फिर से बहाल कर दिया गया। तब से निर्वाचन आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं।
 
 - संवैधानिक प्रावधान:
- भारतीय संविधान का भाग 15 चुनावों से संबंधित है जिसमें चुनावों के संचालन के लिये एक आयोग की स्थापना करने की बात कही गई है।
 - चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को संविधान के अनुसार की गई थी।
 - संविधान के अनुच्छेद 324 से 329 तक चुनाव आयोग और सदस्यों की शक्तियों, कार्य, कार्यकाल, पात्रता आदि से संबंधित हैं।
 
 
संविधान में चुनावों से संबंधित अनुच्छेद
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 324  | 
 चुनाव आयोग में चुनावों के लिये निहित दायित्व: अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण।  | 
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 325  | 
 धर्म, जाति या लिंग के आधार पर किसी भी व्यक्ति विशेष को मतदाता सूची हेतु अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता और इनके आधार पर मतदान के लिये अयोग्य नहीं ठहराने का प्रावधान।  | 
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 326  | 
 लोकसभा एवं प्रत्येक राज्य की विधानसभा के लिये निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होगा।  | 
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 327  | 
 विधायिका द्वारा चुनाव के संबंध में संसद में कानून बनाने की शक्ति।  | 
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 328  | 
 किसी राज्य के विधानमंडल को इसके चुनाव के लिये कानून बनाने की शक्ति।  | 
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 329  | 
 चुनावी मामलों में अदालतों द्वारा हस्तक्षेप करने के लिये बार (BAR)  | 
UPSC सिविल सेवा परीक्षा पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)Q. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (वर्ष 2017) 
 उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: D  |