पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना | 20 Mar 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (Eastern Rajasthan Canal Project- ERCP) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग की गई है।

  • इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलने का मुख्य लाभ यह होगा कि परियोजना को पूर्ण करने हेतु 90% राशि केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।
  • ERCP की अनुमानित लागत लगभग 40,000 करोड़ रुपए है।

प्रमुख बिंदु: 

पृष्ठभूमि:

  • राज्य जल संसाधन विभाग के अनुसार, राजस्थान का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 342.52 लाख हेक्टेयर है जो संपूर्ण देश के भौगोलिक क्षेत्र का 10.4% है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत का सबसे बड़ा राज्य है। देश में उपलब्ध कुल सतही जल की 1.16% और भूजल की 1.72% मात्रा यहाँ पाई जाती है।
  • राज्य जल निकायों में केवल चंबल नदी के बेसिन में अधिशेष जल की उपलब्धता है परंतु इसके जल का सीधे तौर पर उपयोग नहीं किया जा सकता है क्योंकि कोटा बैराज के आस-पास का क्षेत्र मगरमच्छ अभयारण्य के रूप में संरक्षित है।
  •  ERCP का उद्देश्य मोड़दार संरचनाओं की सहायता से अंतर-बेसिन जल अंतरण चैनलों को जोड़ने तथा मुख्य फीडर चैनलों को जल आपूर्ति हेतु वाटर चैनलों का एक नेटवर्क तैयार करना है जो राज्य की 41.13% आबादी के साथ राजस्थान के 23.67% क्षेत्र को कवर करेगा।

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के बारे में:

  • ERCP का उद्देश्य दक्षिणी राजस्थान में बहने वाली चंबल नदी और उसकी सहायक नदियों (कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध) में वर्षा ऋतु के दौरान उपलब्ध अधिशेष जल का उपयोग राज्य के उन दक्षिण-पूर्वी ज़िलों में करना है जहाँ पीने के पानी और सिंचाई हेतु जल का अभाव है।
    • ERCP को वर्ष 2051 तक पूरा किये जाने की योजना है जिसमें दक्षिणी एवं दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में मानव तथा पशुधन हेतु पीने के पानी तथा औद्योगिक गतिविधियों हेतु पानी की आवश्यकताओं को पूरा किया जाना है।
  • इसमें राजस्थान के 13 ज़िलों में पीने का पानी और 26 विभिन्न बड़ी एवं मध्यम परियोजनाओं के माध्यम से 2.8 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हेतु जल  उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।
    • 13 ज़िलों में झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर शामिल हैं।

लाभ:

  • महत्त्वपूर्ण भू-क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी।
  • इससे राज्य के ग्रामीण इलाकों में भूजल तालिका (Ground Water Table) में सुधार होगा। 
    • यह लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को सकारात्मक रूप से परिवर्तित करेगा।
  • यह परियोजना विशेष रूप से दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारे (Delhi Mumbai Industrial Corridor- DMIC) पर ज़ोर देते हुए इस बात की परिकल्पना करती है कि इससे स्थायी जल स्रोतों को बढ़ावा मिलेगा जो क्षेत्र में उद्योगों को विकसित करने में मदद करेंगे।
    • इसके परिणामस्वरूप राज्य में निवेश और राजस्व में वृद्धि होगी। 

चंबल नदी

  • यह भारत की सबसे कम प्रदूषित नदियों में से एक है।
  • इसका उद्गम स्थल विंध्य पर्वत (इंदौर, मध्य प्रदेश) के उत्तरी ढलान पर स्थित सिंगार चौरी (Singar Chouri) चोटी है। यहाँ से यह लगभग 346 किमी. तक मध्य प्रदेश में उत्तर दिशा की ओर बहती हुई राजस्थान में प्रवेश करती है। राजस्थान में इस नदी की कुल लंबाई 225 किमी. है जो इस राज्य के उत्तर-पूर्व दिशा में बहती है।
  • उत्तर प्रदेश में इस नदी की कुल लंबाई लगभग 32 किमी. है जो इटावा में यमुना नदी में मिल जाती है।
  • यह एक वर्षा आधारित नदी है, जिसका बेसिन विंध्य पर्वत शृंखलाओं और अरावली से घिरा हुआ है। चंबल और उसकी सहायक नदियाँ उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में बहती हैं।
  • राजस्थान में हाडौती/हाड़ौती का पठार (Hadauti Plateau) चंबल नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र मेवाड़ मैदान के दक्षिण-पूर्व में स्थित है।
  • सहायक नदियाँ: बनास, काली सिंध, क्षिप्रा, पार्वती आदि।
  • चंबल नदी की मुख्य बिजली परियोजनाएँ/बाँध: गांधी सागर बाँध, राणा प्रताप सागर बाँध, जवाहर सागर बाँध और कोटा बैराज।
  • राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (National Chambal Sanctuary) उत्तर भारत में ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ घड़ियाल, रेड क्राउन्ड रूफ कछुए (Red-Crowned Roof Turtle) और लुप्तप्राय गंगा डॉल्फिन (राष्ट्रीय जलीय पशु) के संरक्षण के लिये चंबल नदी बेसिन के क्षेत्र में 5,400 वर्ग किमी. में फैला त्रिकोणीय राज्य (राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश) संरक्षित क्षेत्र है।

Kali-Sindh

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस