राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का आखिरी मसौदा जारी | 01 Aug 2018

चर्चा में क्यों?

असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens-NRC) का दूसरा और आखिरी मसौदा जारी कर दिया गया| इसके तहत 2.90 करोड़ लोगों को राज्य का वैध नागरिक माना गया है| करीब 40 लाख लोग अपनी नागरिकता के वैध दस्तावेज़ प्रस्तुत करने में नाकाम रहे हैं| इससे उनका भविष्य अधर में लटक गया है|

प्रमुख बिंदु 

  • गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि जिनका नाम सूची में नहीं है उन्हें फ़िलहाल विदेशी घोषित नहीं किया जाएगा|
  • एनआरसी में उन सभी भारतीय नागरिकों के नाम-पते और फोटो हैं जो 25 मार्च, 1971 से पहले से असम में रह रहे हैं| इसके साथ ही राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर जारी करने वाला असम देश का पहला राज्य बन गया है|
  • राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इसे ऐतिहासिक दिन बताते हुए कहा कि यह हमेशा लोगों की यादों में बना रहेगा| राज्य में एहतियातन सभी 33 ज़िलों में धारा 144 लागू कर दी गई है|
  • असम में वैध नागरिकता के लिये 3,29,91,384 लोगों ने आवेदन किया था| इनमें से 2,89,83,677 लोगों के पास ही नागरिकता के वैध दस्तावेज़ मिले|
  • राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का दूसरा मसौदा पिछले वर्ष दिसंबर में जारी किया गया था| इसमें केवल 1.9 करोड़ लोगों को ही भारत का वैध नागरिक माना गया था|
  • नागरिक रजिस्टर बनाने की पूरी प्रक्रिया सीधे सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में संपन्न की गई है|

नाम दर्ज कराने का मिलेगा मौका 

  • NRC के अनुसार यह अंतिम मसौदा है, फाइनल लिस्ट नहीं| छूट गए लोगों के नाम दर्ज करने के लिये 2500 ट्रिब्यूनल का गठन किया गया है|
  • इन गठित ट्रिब्यूनल में 25 मार्च, 1971 से पहले के नागरिकता संबंधी वैध दस्तावेज़ पेश करने होंगे| इसके लिये उन्हें एक फॉर्म भरना होगा|
  • इसके बाद उन्हें अपने दावे को दर्ज कराने के लिये अन्य निर्दिष्ट फॉर्म भरना होगा, जो 30 अगस्त से 28 सितंबर तक उपलब्ध रहेगा| फाइनल लिस्ट 31 दिसंबर तक जारी होगी|

किन्हें अवैध करार दिया गया 

  • जो एनआरसी में वैध दस्तावेज़ संबंधी कार्रवाई पूरी नहीं कर सके|
  • जिनके पास 25 मार्च, 1971 से पहले की नागरिकता के कानूनी दस्तावेज़ नहीं हैं|
  • चोरी-छिपे बांग्लादेश से आए लोग भी भारतीय दस्तावेज़ पेश नहीं कर पाए|
  • संदिग्ध मतदाताओं, उनके आश्रितों, विदेशी न्यायाधिकरण में गए लोगों और उनके बच्चों को भी इसमें शामिल नहीं किया गया है| 

पृष्ठभूमि 

  • असम में अवैध रूप से रह रहे लोगों को निकालने के लिये सबसे पहले 1951 में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) बनाया गया था|
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य अवैध रूप से रह रहे लोगों की सही तरह पहचान कर उन्हें वापस उनके देश भेजना है|
  • घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिये पहला आंदोलन 1979 में ऑल असम स्टूडेंट यूनियन और असम गण परिषद ने शुरू किया| इस आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया और करीब 6 साल तक चला| इसमें हज़ारों लोगों की मौत हो गई|
  • 1985 में केंद्र सरकार और आंदोलनकारियों के बीच समझौता हुआ| उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ ऑल असम स्टूडेंट यूनियन और असम गण परिषद के नेताओं की वार्ता हुई|
  • इस वार्ता में 1951 से 1971 के बीच भारत आए लोगों को नागरिकता देने और 1971 के बाद बांग्लादेश से आए लोगों को वापस भेजने की बात तय हुई| लेकिन यह वार्ता आगे नहीं बढ़ सकी|