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दोहरा कराधान अपवंचन समझौता | 08 Nov 2019 | अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स के लिये:

दोहरा कराधान अपवंचन समझौता, आधार क्षरण एवं लाभ हस्तांतरण

मेन्स के लिये:

भारत-ब्राज़ील के बीच दोहरे कराधान अपवंचन समझौते से संबंधित विभिन्न मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आय पर लगने वाले कर के संदर्भ में दोहरे कराधान (Double Taxation) को समाप्त करने तथा वित्तीय चोरी रोकने के लिये भारत और ब्राज़ील के बीच दोहरे कराधान अपवंचन समझौते में संशोधन को मंज़ूरी दी है।

मुख्य बिंदु:

कार्यान्वयन:

क्या है दोहरा कराधान?

दोहरे कराधान से आशय ऐसी स्थिति से है जिसमें एक ही कंपनी या व्यक्ति (करदाता) की एकल आय एक से अधिक देशों में कर-योग्य हो जाती है। ऐसी स्थिति विभिन्न देशों में कराधान के भिन्न नियमों के कारण उत्पन्न होती है।

दोहरा कराधान अपवंचन समझौता :

(Double Taxation Avoidance Convention- DTAC)

भारत-ब्राज़ील के बीच दोहरे कराधान अपवंचन समझौते के प्रमुख प्रभाव:

इतिहास:

आधार क्षरण एवं लाभ हस्तांतरण

(Base Erosion and Profit Shifting-BEPS):

भारत और ब्राज़ील के मध्य वर्तमान दोहरा कराधान अपवंचन समझौता बहुत पुराना है। इसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार करने तथा G-20/OECD की BEPS संधि की अनुशंसाओं को लागू करने के लिये संशोधित किए जाने की आवश्यकता थी।

स्रोत- PIB