ज़िला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट | 22 Dec 2020

चर्चा में क्यों?

धनबाद (झारखंड) के उपायुक्त ने वर्ष 2017-2020 के लिये ज़िला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) के फंड के उपयोग के ऑडिट और प्रभावी मूल्यांकन का आदेश दिया है।

प्रमुख बिंदु

  • सांविधिक प्रावधान: खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 के मुताबिक खनन गतिविधियों से प्रभावित भारत के प्रत्येक ज़िले में राज्य सरकार अधिसूचना के माध्यम से ज़िला खनिज फाउंडेशन के नाम से गैर-लाभकारी निकाय के रूप में एक ट्रस्ट की स्थापना करेगी।
  • ज़िला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट फंड: नियम के अनुसार, खनन कंपनियाँ सरकार को दी जाने वाली रॉयल्टी राशि का 10-30 प्रतिशत हिस्सा उस ज़िला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट के फंड में देती हैं, जहाँ वे परिचालन में हैं।
  • उद्देश्य: इस ज़िला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट का प्राथमिक उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों के समुदायों/व्यक्तियों का लाभ सुनिश्चित करना है, जो कि इस तथ्य से प्रेरित है कि खनन प्रभावित क्षेत्रों के स्थानीय लोग, जिनमें अधिकतर आदिवासी गरीब हैं, को भी प्राकृतिक संसाधनों से लाभान्वित होने का अधिकार है।
  • स्थिति: खनन मंत्रालय के आँकड़ों की मानें तो अब तक देश भर के कुल 572 ज़िलों में इस प्रकार के गैर-लाभकारी निकाय गठित किये गए हैं, जिनमें फंड के तौर पर कुल 40000 करोड़ रुपए की राशि संचय की गई है।
  • कार्यपद्धति: देश के सभी खनिज समृद्ध राज्यों ने ज़िला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट की संरचना और कार्यपद्धति तथा फंड के प्रयोग से संबंधित नियम तैयार किये हैं, हालाँकि केंद्र सरकार की और से निर्धारित नियमों में सभी राज्यों को प्रधानमंत्री खनन क्षेत्र कल्याण योजना (PMKKKY) के दिशा-निर्देशों को शामिल करने का आदेश दिया गया है। 

प्रधानमंत्री खनन क्षेत्र कल्याण योजना (PMKKKY) 

  • नोडल मंत्रालय: ज़िला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट के फंड का उपयोग कर खनन गतिविधियों से प्रभावित लोगों और क्षेत्रों का कल्याण सुनिश्चित करने संबंधी यह खनन मंत्रालय की एक प्रमुख योजना है।
  • उद्देश्य
    • खनन प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक और कल्याणकारी परियोजनाओं/कार्यक्रमों को लागू करना, जो राज्य और केंद्र सरकार की मौजूदा परियोजनाओं/कार्यक्रमों के पूरक के तौर पर कार्य करें।
    • आम लोगों के स्वास्थ्य, पर्यावरण और उस क्षेत्र विशिष्ट की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर खनन गतिविधियों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करना।
    • खनन क्षेत्रों में प्रभावित लोगों के लिये दीर्घकालिक स्थायी आजीविका सुनिश्चित करना।
  • क्रियान्वयन
    • कम-से-कम 60 प्रतिशत फंड का उपयोग ‘उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों’ जैसे- पेयजल आपूर्ति, पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण उपाय, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा आदि के लिये किया जाएगा।
    • शेष फंड का उपयोग ‘अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों’ जैसे कि अवसंरचना, सिंचाई, ऊर्जा तथा वाटरशेड विकास और पर्यावरण गुणवत्ता में सुधार करने संबंधी उपायों के लिये किया जाएगा। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस