ज़िला-स्तरीय पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (DEIAA) | 08 Jul 2019

चर्चा में क्यों?

पर्यावरण आकलन (Environmental Assessment) के लिये नियुक्त राज्य-स्तरीय अधिकारियों ने ज़िला-स्तरीय पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (District-Level Environment Impact Assessment Authorities - DEIAA) के निर्माण हेतु तैयार किये गए कानून के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई है।

मुख्य बिंदु :

  • पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन अधिसूचना, 2019 (Environment Impact Assessment Notification, 2019 - EIA 2019) जिलाधिकारी (District Magistrate - DM) को DEIAA (जो की एक विशेष प्राधिकरण है) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने का प्रावधान करता है।
  • EIA 2019 के तहत DEIAA को ‘लघु-खनन’ परियोजनाओं की पर्यावरणीय मंज़ूरी का अधिकार सौंपा गया है।

लघु-खनन का तात्पर्य 25 हेक्टेयर या उससे छोटे भूखंडों पर होने वाले रेत और पत्थर के खनन से है।

  • इससे पूर्व EIA 2006 के कई प्रावधानों को NGT के समक्ष चुनौती दी जा चुकी है और उसमे कई परिवर्तन भी हुए हैं।
  • EIA 2019 इन सभी परिवर्तनों को समायोजित करने का प्रयास करता है।

क्या होता है EIA?

  • EIA एक ऐसा दस्तावेज़ है जो किसी परियोजना हेतु पर्यावरणीय मंजूरी की प्रक्रिया का निर्धारण करता है।
  • इस दस्तावेज़ के अनुसार, ऐसे सभी विकासकर्त्ताओं (Developers), जिनके परियोजनाओं में वनों, नदियों एवं उसके किनारों और अन्य पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों को प्रभावित एवं परिवर्तित करने की शक्ति है, को केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय (MoEF) या इसके द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों से अनुमति लेनी होगी।
  • EIA 2019 अभी पूर्णतया तैयार नहीं हुआ है। अभी राज्यों को सिर्फ ‘ज़ीरो ड्राफ्ट’ ही भेजा गया है, जिसका अर्थ है कि राज्य के अधिकारियों से अभी इस संदर्भ में टिप्पणी माँगी जा रही है जिसके बाद इसे संशोधित किया जाएगा और फिर इसे सार्वजनिक टिप्पणी के लिये आमंत्रित किया जाएगा।
  • राज्य स्तरीय अधिकारियों द्वारा DM को DEIAA के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त न किये जाने के निम्न तर्क दिये जा रहे हैं :
    • DM पर्यावरण और पारिस्थितिकी के मामलों में तकनीकी विशेषज्ञता नहीं रखता है।
    • राज्य अपने मानव संसाधन (DM के रूप में) को अतिरिक्त कार्यभार देने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।

स्रोत : द हिंदू