DGP की नियुक्ति से संबंधित राज्यों की याचिका ख़ारिज: SC | 17 Jan 2019

चर्चा में क्यों?


हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पाँच राज्यों पंजाब, केरल, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और बिहार में पुलिस प्रमुखों (Police Chief) के चयन और नियुक्ति हेतु उनके स्थानीय कानूनों को लागू करने संबंधी याचिका खारिज कर दी गई।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India–CJI) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक बेंच द्वारा पंजाब, केरल, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और बिहार द्वारा पुलिस महानिदेशक (DGP) की नियुक्ति के लिये अपनाई जाने वाली प्रक्रिया में शीर्ष अदालत के आदेशों में संशोधन के लिये दायर याचिका को खारिज कर दिया गया है।
  • अदालत के अनुसार, ऐसा इसलिये किया गया क्योंकि यह मामला बड़े पैमाने पर जनहित से जुड़ा है अतः पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप से बचा जाना चाहिये।
  • शीर्ष अदालत के अनुसार, राज्यों द्वारा पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति के विषय पर कोई भी नियम या स्थानीय कानून उसकी अवमानना एवं आदेश का उलंघन माना जाएगा।
  • कुछ राज्य सरकारें सेवानिवृत्त होने से बहुत समय पहले की तारीख पर अपने पसंदीदा अधिकारियों को DGP के रूप में नियुक्त कर देती हैं जिनका उद्देश्य अपने निजी लाभों को प्राप्त करना होता है। परिणामस्वरूप उसी पद पर आसीन व्यक्ति 62 वर्ष की आयु तक दो बार पद पर बने रहते हैं।
  • हालाँकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि यद्यपि राज्यों द्वारा नियुक्त किये गए DGP को पदभार ग्रहण करने के बाद भी पद पर बने रहने की अनुमति दी जा सकती है लेकिन, कार्यकाल का यह विस्तार केवल ‘उचित अवधि’ के लिये होना चाहिये।
  • जुलाई 2018 में, सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकारों को संघ लोक सेवा आयोग की सलाह के बिना DGP की नियुक्ती करने से रोक दिया था।

SC द्वारा जारी निर्देश

  • न्यायालय द्वारा राज्य पुलिस बलों की नियुक्ति में सुधार और पारदर्शिता के लिये निर्देशों की श्रृंखला पारित की गई थी। जो इस प्रकार हैं :
  • SC द्वारा राज्यों को DGP की नियुक्ति की प्रक्रिया में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) से सलाह लेने का निर्देश दिया गया है।
  • इस प्रक्रिया में संबंधित राज्य सरकारों को कार्यकारी DGP के रिटायर होने से तीन महीने पहले UPSC को इस पद के दावेदारों का नाम भेजना होगा।
  • UPSC, DGP के पद पर नियुक्त किये जाने के लिये उपयुक्त तीन अधिकारियों का एक पैनल तैयार करेगा और उसे वापस भेजेगा।
  • UPSC, जहाँ तक व्यावहारिक हो, विचार क्षेत्र के ऐसे लोगों को चुनेगा जिनकी सेवानिवृति में कम-से-कम दो साल शेष हो, इसके अंतर्गत योग्यता एवं वरिष्ठता को भी वरीयता दी जाएगी।
  • तदुपरांत, राज्य सरकारें UPSC द्वारा चुने गए व्यक्तियों में से किसी एक को DGP पद पर नियुक्त करेगी।
  • दिसंबर 2018 में शीर्ष अदालत ने पंजाब और हरियाणा के वर्तमान DGP के कार्यकाल को जनवरी 2019 के अंत तक बढ़ाया था और पुलिस प्रमुख के चयन एवं नियुक्ति के बारे में अपने स्थानीय कानूनों को लागू करने की मांग करने वाले राज्यों की दलीलों को सुनने के लिये सहमति भी व्यक्त की थी।

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)


संघ लोक सेवा आयोग भारत सरकार की प्रमुख केंद्रीय पदों पर नियुक्ति की एजेंसी है। यह अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सेवाओं के समूह ‘A’ और समूह ‘B’ के लिए नियुक्तियों हेतु परीक्षाओं का आयोजन भी करवाती है।


स्रोत – द हिंदू