वामपंथी उग्रवाद का उन्मूलन | 14 Aug 2025
वामपंथी उग्रवाद (LWE), जो कभी आंतरिक सुरक्षा के लिये एक बड़ा खतरा था, अब व्यापक रेड कॉरिडोर से सिमटकर केवल 18 ज़िलों तक सीमित रह गया है। यह बदलाव लक्षित विकास, निरंतर सुरक्षा अभियान, नेतृत्व का संकट और ज़मीनी स्तर पर समर्थन में कमी के कारण संभव हुआ है।
वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में प्रमुख उपलब्धियाँ क्या हैं?
- परिचय: वामपंथी उग्रवाद (LWE) मुख्य रूप से माओवादी समूहों द्वारा संचालित एक सशस्त्र विद्रोह है, जिसका उद्देश्य हिंसक तरीकों से सरकार का विरोध करना है।
- नक्सलवादी आंदोलन (1967, पश्चिम बंगाल) से उत्पन्न यह आंदोलन मध्य और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में केंद्रित है।
- प्रमुख उपलब्धियाँ:
- वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में निरंतर कमी: वर्ष 2004–14 और वर्ष 2014–23 के बीच वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में 50% से अधिक गिरावट आई है।
- भारत का लक्ष्य मार्च 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करना है।
- मुख्य अभियान: वर्ष 2024 में, भारत की खुफिया कार्रवाइयों ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) और सशक्त विशेष खुफिया शाखाओं की मदद से 290 माओवादियों को निष्क्रिय किया।
- वर्ष 2025 में कर्रगुट्टालु पहाड़ी अभियान (ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट) में प्रमुख माओवादी सदस्यों का सफाया किया गया, जिसमें सुरक्षा बल पूरी तरह सुरक्षित रहे।
- वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में निरंतर कमी: वर्ष 2004–14 और वर्ष 2014–23 के बीच वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में 50% से अधिक गिरावट आई है।
कौन-सी अतिरिक्त रणनीतियाँ वामपंथी उग्रवाद के प्रति भारत की प्रतिक्रिया को मज़बूत कर सकती हैं?
- शासन एवं विकास: अंतिम छोर तक सेवाओं की आपूर्ति, समावेशी विकास और अवसंरचना निर्माण सुनिश्चित करना ताकि वामपंथी उग्रवाद (LWE) प्रभावित क्षेत्रों में ज़मीनी स्तर पर सामाजिक-आर्थिक शिकायतों का समाधान किया जा सके।
- सुरक्षा ढाँचे को सुदृढ़ बनाना: प्रौद्योगिकी-सक्षम स्मार्ट पुलिसिंग, समन्वित खुफिया सूचना साझा करना, और क्षेत्र-प्रभुत्व संचालन लागू करना ताकि स्थायी सुरक्षा उपस्थिति बनाए रखी जा सके।
- समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोण: विश्वास निर्माण, शिकायत निवारण और सहभागी स्थानीय शासन को बढ़ावा देना ताकि प्रभावित जनसंख्या का विश्वास जीता जा सके।
- पुनर्वास एवं मुख्यधारा में लाना: आत्मसमर्पण-समेत-पुनर्वास पैकेज, कौशल विकास और आजीविका के अवसर प्रदान करना ताकि पूर्व उग्रवादियों का समाज में पुनः एकीकरण हो सके।
- अंतर-एजेंसी एवं केंद्र-राज्य समन्वय: संयुक्त टास्क फोर्स, एकीकृत कमान, और वास्तविक समय में निर्णय लेने के साथ "पूरे-सरकार" दृष्टिकोण अपनाना ताकि LWE प्रबंधन को प्रभावी बनाया जा सके।
मुख्य परीक्षा के लिये संबंधित की-वर्ड
- “विकास असहमति को परास्त करता है” – वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे, आजीविका और कल्याण में तेज़ी।
- “संवेदनशीलता के साथ सुरक्षा” – अधिकारों और स्थानीय संस्कृति के सम्मान के साथ बल का संतुलित प्रयोग।
- “उग्रवाद-विरोधी के रूप में कनेक्टिविटी” – एकीकरण के प्रवर्तक के रूप में सड़कें, दूरसंचार और डिजिटल पहुँच।
- “शिक्षा उग्रवाद का अंत करती है” – भर्ती चक्र को तोड़ने के लिए स्कूल और कौशल प्रशिक्षण।
निष्कर्ष:
वामपंथी उग्रवाद में निरंतर गिरावट भारत के बहुआयामी समाधान (SAMADHAN) सिद्धांत की सफलता को दर्शाती है—स्मार्ट नेतृत्व, आक्रामक रणनीति, प्रेरणा और प्रशिक्षण, कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी, डैशबोर्ड-आधारित प्रमुख परिणाम क्षेत्र, तकनीक का उपयोग, प्रत्येक क्षेत्र के लिये कार्य योजना और वित्तपोषण तक पहुँच की कमी। आगे बढ़ते हुए, इन लाभों को समेकित करने हेतु अंतिम छोर तक शासन को मज़बूत करना और समावेशी विकास सुनिश्चित करना आवश्यक होगा।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत में वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism - LWE) क्या है और इसके भारत में गिरावट के प्रमुख कारण क्या हैं? UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. पिछड़े क्षेत्रों में बड़े उद्योगों का विकास करने के सरकार के लगातार अभियानों का परिणाम जनजातीय जनता और किसानों, जिनको अनेक विस्थापनों का सामना करना पड़ता है, का विलगन (अलग करना) है। मल्कानगिरि और नक्सलबाड़ी पर ध्यान केंद्रित करते हुए वामपंथी उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक संवृद्धि की मुख्यधारा में फिर से लाने की सुधारक रणनीतियों पर चर्चा कीजिये। (2015) प्रश्न. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 244 अनुसूचित क्षेत्रों और आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है। वामपंथी उग्रवाद के विकास पर पाँचवीं अनुसूची के प्रावधानों के गैर-कार्यान्वयन के प्रभाव का विश्लेषण कीजिये। (2018) प्रश्न. भारत के पूर्वी हिस्से में वामपंथी उग्रवाद के निर्धारक क्या हैं? प्रभावित क्षेत्रों में खतरे का मुकाबला करने के लिये भारत सरकार, नागरिक प्रशासन और सुरक्षा बलों को क्या रणनीति अपनानी चाहिये? (2020) |