खुदरा निवेशकों की सरकारी प्रतिभूति मार्केट में प्रत्यक्ष पहुँच: आरबीआई | 08 Feb 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने खुदरा निवेशकों को बिचौलियों की मदद के बिना सीधे सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securit) में निवेश करने के लिये अपने यहाँ खाते खोलने की अनुमति देने का फैसला किया है।

  • खुदरा निवेशक गैर-पेशेवर निवेशक होते हैं जो प्रतिभूतियों या फंडों को खरीदते और बेचते है, इसमें म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Exchange Traded Fund) जैसी प्रतिभूतियों की एक बास्केट होती है।

सरकारी प्रतिभूति

  • सरकारी प्रतिभूतियाँ वे सर्वोच्च प्रतिभूतियाँ हैं जो भारत सरकार की ओर से रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा केंद्र/राज्य सरकार के बाज़ार उधार प्रोग्राम के एक भाग के रूप में नीलाम की जाती हैं। 
  • सरकारी प्रतिभूतियों की एक निश्चित या अस्थायी कूपन दर हो सकती है। इन प्रतिभूतियों की गणना बैंकों द्वारा SLR बनाए रखने के लिये की जाती है।
  • यह सरकार के ऋण दायित्व को स्वीकार करता है। ऐसी प्रतिभूतियाँ अल्पकालिक (आमतौर पर एक वर्ष से भी कम समय की मेच्योरिटी वाली इन प्रतिभूतियों को ट्रेज़री बिल कहा जाता है जिसे वर्तमान में तीन रूपों में जारी किया जाता है, अर्थात् 91 दिन, 182 दिन और 364 दिन) या दीर्घकालिक (आमतौर पर एक वर्ष या उससे अधिक की मेच्योरिटी वाली इन प्रतिभूतियों को सरकारी बॉण्ड या दिनांकित प्रतिभूतियाँ कहा जाता है) होती हैं।
  • भारत में केंद्र सरकार ट्रेज़री बिल और बॉण्ड या दिनांकित प्रतिभूतियाँ दोनों को जारी करती है, जबकि राज्य सरकारें केवल बॉण्ड या दिनांकित प्रतिभूतियों को जारी करती हैं, जिन्हें राज्य विकास ऋण (SDL) कहा जाता है। 

प्रमुख बिंदु

पृष्ठभूमि:

  • सरकारी प्रतिभूतियों में संस्थागत निवेशकों जैसे- बैंक, म्यूचुअल फंड और बीमा कंपनियों का वर्चस्व है। ये इकाइयाँ 5 करोड़ रुपए या इससे अधिक का व्यापार करती हैं।
  • इसलिये छोटे निवेशकों, जो छोटे आकार में व्यापार करना चाहते हैं, के लिये द्वितीयक बाज़ार में कोई जगह नहीं है ।

प्रस्ताव के विषय में:

  • रिज़र्व बैंक द्वारा खुदरा निवेशकों को सरकारी प्रतिभूतियों के प्राथमिक और द्वितीयक दोनों ही बाज़ारों में ऑनलाइन माध्यम से सीधे पहुँच प्रदान की  जाएगी।
    • प्राथमिक बाज़ार व्यवस्था पहली बार जारी की जा रही नई प्रतिभूतियों से संबंधित है। 
    • द्वितीयक बाज़ार में मौजूदा प्रतिभूतियों को खरीदा और बेचा जाता है। इसे स्टॉक बाज़ार या स्टॉक एक्सचेंज के रूप में भी जाना जाता है।
  • खुदरा निवेशकों को आरबीआई के साथ सीधे गिल्ट इन्वेस्टमेंट अकाउंट (Gilt Investment Account) खोलने की अनुमति होगी। इस खाते को RBI रिटेल डायरेक्ट (RBI Retail Direct) कहा जाएगा।
    • गिल्ट अकाउंट की तुलना बैंक खाते से की जा सकती है, लेकिन इस खाते में पैसे के बजाय ट्रेज़री बिल या सरकारी प्रतिभूतियों का लेन-देन किया जाता है।
  • खुदरा निवेशकों की बोली प्रक्रिया में प्रत्यक्ष भागीदारी को भारतीय रिज़र्व बैंक के मुख्य बैंकिंग समाधान माध्यम ई-कुबेर (E-kuber) द्वारा सक्षम किया जाएगा।

महत्त्व:

  • निवेशकों का विस्तार:
    • सरकारी प्रतिभूतियों में प्रत्यक्ष खुदरा निवेश की अनुमति निवेशकों के आधार को बढ़ाएगी और इससे खुदरा निवेशकों की सरकारी प्रतिभूति बाज़ार में पहुँच सुनिश्चित होगी।
  • एशिया में अग्रणी:
    • यह संरचनात्मक सुधार भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्राज़ील जैसे देशों की श्रेणी में ला देगा, जिनके पास ऐसी सुविधाएँ पहले से मौजूद हैं।
    • भारत संभवतः एशिया में सरकारी प्रतिभूति में प्रत्यक्ष खुदरा निवेश की अनुमति देने वाला पहला देश होगा।
  • सरकारी उधार की सुविधा:
    • परिपक्व प्रतिभूतियों (परिपक्वता तक खरीदी जाने वाली प्रतिभूतियाँ) में अनिवार्य छूट वर्ष 2021-22 में सरकार के उधार कार्यक्रम (Government Borrowing Programme) को पूरा करने में सहायक होंगी।
  • घरेलू वित्तीय बचत:
    • सरकारी प्रतिभूति बाज़ार में प्रत्यक्ष खुदरा भागीदारी की अनुमति से घरेलू बचत को बढ़ावा मिलेगा जो भारत के निवेश बाज़ार में एक गेम-चेंजर की भूमिका निभा सकता है।

सरकारी प्रतिभूतियों में खुदरा निवेश बढ़ाने को किये गए अन्य उपाय:

  • प्राथमिक नीलामी में गैर-प्रतिस्पर्द्धी (Non-Competitive) नीलामी
    • एक व्यक्ति दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियों (Dated Government Security) की गैर-प्रतिस्पर्द्धी नीलामी में मूल्य उद्धृत किये बिना भाग ले सकता है।
  • शेयर बाज़ार खुदरा बोलियों के लिये सेवा समूह (Aggregator) और सहायक केंद्र के रूप में कार्य करते हैं।
  • द्वितीयक बाज़ार में एक विशिष्ट खुदरा क्षेत्र की अनुमति।

स्रोत: द हिंदू