औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग की भूमिका का विस्तार | 01 Feb 2019

चर्चा में क्यों?


हाल ही में केंद्र सरकार ने उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने हेतु ‘औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग’ (Department of Industrial Policy & Promotion-DIPP) का नाम बदलकर ’उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग’ (Department for Promotion of Industry and Internal Trade-DPIIT) करते हुए इसकी भूमिका का विस्तार किया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • केंद्र सरकार ने उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने के लिये औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग का नाम बदलते हुए इसमें परिवर्तन किया है।
  • केंद्र सरकार द्वारा दी गई अधिसूचना में पुनर्निमाण निकाय के प्रभार की चार नई श्रेणियों को भी शामिल किया गया है,जिसमें शामिल हैं -

♦ आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देना (खुदरा व्यापार सहित)
♦ व्यापारियों और उनके कर्मचारियों का कल्याण
♦ ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस की सुविधा से संबंधित मामले
♦ स्टार्ट-अप से संबंधित मामले 

  • इस निर्देश के तहत शामिल निकाय DIPP की सामान्य औद्योगिक नीति, उद्योगों के प्रशासन (विकास और विनियमन) अधिनियम 1951, औद्योगिक प्रबंधन, उद्योग की उत्पादकता और ई-कॉमर्स से संबंधित मामलों के अतिरिक्त है।
  • इस निकाय का नाम बदलने और इसके अंतर्गत आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने हेतु उत्तरदायित्वों को शामिल करने का कार्य ‘ऑल इंडिया ट्रेडर्स ऑर्गेनाइज़ेशन’ द्वारा किया गया है।
  • अखिल भारतीय व्यापारियों के परिसंघ (Confederation Of All India Traders-CAIT) के अनुसार, सरकार ने DIPP के तहत खुदरा व्यापार क्षेत्र के अंतर्गत लंबे समय से की जा रही मांग को भी स्वीकार किया है।

औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग

  • औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग की स्थापना 1995 में हुई थी तथा औद्योगिक विकास विभाग के विलय के साथ वर्ष 2000 में इसका पुनर्गठन किया गया था।
  • इससे पहले अक्तूबर 1999 में लघु उद्योग तथा कृषि एवं ग्रामीण उद्योग (Small Scale Industries & Agro and Rural Industries -SSI&A&RI) और भारी उद्योग तथा सार्वजनिक उद्यम (Heavy Industries and Public Enterprises- HI&PE) के लिये अलग-अलग मंत्रालयों की स्थापना की गई थी।

स्रोत – द हिंदू