स्वतंत्रता दिवस पर नवीन डिजिटल घोषणाएँ | 17 Aug 2020

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-नेट परियोजना, राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन, साइबर सुरक्षा नीति- 2020, राष्ट्रीय स्वास्थ्य आईडी प्रणाली

मेन्स के लिये:

साइबर सुरक्षा नीति- 2020

चर्चा में क्यों?

74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा 'डिजिटल इंडिया' पहल से जुड़ी तीन बड़ी परियोजनाओं; 'राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन', 'साइबर सुरक्षा नीति'-2020, और 1,000 दिनों में सभी छह लाख ग्रामों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने की घोषणा की गई।

प्रमुख बिंदु:

ऑप्टिकल-फाइबर कनेक्टिविटी:

  • ‘भारत-नेट परियोजना’ की शुरुआत अक्तूबर 2011 में की गई थी, जिसे मूल रूप से 'नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क' (NOFN) नाम से जाना जाता था।
  • देशभर की 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ने के लिये केंद्र सरकार द्वारा फ्लैगशिप कार्यक्रम ‘भारत-नेट प्रोजेक्ट’ की शुरुआत की गई थी।
  • परियोजना को ‘यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड’ (Universal Service Obligation Fund - USOF) द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है।
  • परियोजना का मुख्य उद्देश्य, राज्य की राजधानी, ज़िला मुख्यालय और ब्लॉकों में उपलब्ध फाइबर कनेक्टिविटी का प्रत्येक ग्राम पंचायत तक विस्तार करना है।
  • परियोजना के माध्यम से भारत की 69 प्रतिशत ग्रामीण आबादी को ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएँ प्रदान की जाएगी।
  • परियोजना को विभिन्न चरणों के तहत लागू किया जा रहा है, जिसकी अनुमानित लागत 42,068 करोड़ रुपए है।
  • प्रथम चरण:

    • भारतनेट परियोजना के प्रथम चरण को जून 2014 में प्रारंभ किया गया था जिसके लक्ष्य को दिसंबर 2017 तक पूरा कर लिया गया।
    • इस चरण में 1 लाख पंचायतों के ऑप्‍टिकल फाइबर कनेक्टिविटी के लक्ष्य की तुलना में 1,22,908 पंचायतों की कनेक्टिविटी की गई जिसकी कुल लागत 11,200 करोड़ रुपए थी।
  • द्वितीय चरण:

    • दूसरे चरण में, शेष 1,29,827 ग्राम पंचायतों को मार्च 2020 तक कवर किया जाना था। जिसकी समय सीमा को वर्तमान में बढ़ाकर अगस्त 2021 तक कर दिया गया है।
    • इस चरण में जम्मू और कश्मीर, पूर्वोत्तर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे अधिक दुर्गम स्थानों को कवर किया जाएगा।
    • इनके लिये न केवल भूमिगत फाइबर केबल अपितु इसमें हवाई फाइबर, रेडियो और उपग्रह आधारित कनेक्टिविटी भी शामिल हैं।

राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन:

  • पृष्ठभूमि:

    • भारत में ‘डिजिटल स्वास्थ्य अवसंरचना’ का प्रारंभ वर्ष 2017 की 'राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति' के तहत 'राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य प्राधिकरण' (National Digital Health Authority) की स्थापना के प्रस्ताव से माना जाता है।
    • ‘भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण’ (UIDAI) के पूर्व अध्यक्ष सत्यनारायण की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा जुलाई 2019 में 'राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन' का ब्लूप्रिंट जारी किया गया।
    • 7 अगस्त, 2020 को ‘राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन’ (NDHM) की दिशा में नवीनतम रणनीतिक दस्तावेज़ जारी किये गए।
  • नवीन राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन:

    • राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (National Digital Health Mission- NDHM) एक पूर्ण डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र होगा, जिसके तहत चार प्रमुख डिजिटल पहलों; हेल्थ आईडी, व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड, डिजी डॉक्टर और स्वास्थ्यसुविधा रजिस्ट्री को लॉन्च किया जाएगा।
    • नवीन NDHM रणनीतिक दस्तावेज में डॉक्टरों, अस्पतालों, फार्मेसियों, और बीमा कंपनियों द्वारा डिजिटल रजिस्ट्री का निर्माण करने, 'डिजिटल व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड रखने 'डिजिटल नैदानिक निर्णय प्रणालियों' की रूपरेखा प्रस्तुत की गई।
    • 'राष्ट्रीय स्वास्थ्य आईडी प्रणाली' की भी चर्चा की गई है जिससे रोगी अपने डेटा को अस्पतालों और डॉक्टरों के बीच डिजिटल रूप से साझा कर सकते हैं

'राष्ट्रीय स्वास्थ्य आईडी प्रणाली' (National Health ID System):

  • 'राष्ट्रीय स्वास्थ्य आईडी' निर्माण का उद्देश्य व्यक्ति के स्वास्थ्य से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी को भविष्य में उपयोग हेतु संगृहीत करना है।
  • प्रत्येक रोगी, जो अपने स्वास्थ्य रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से उपलब्ध कराना चाहता है, उसे प्रारंभ में एक हेल्थ आईडी बनानी होगी।
  • प्रत्येक हेल्थ आईडी को रोगी की सहमति से ‘व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड मॉड्यूल’ से जोड़ा जाएगा।
  • हेल्थ आईडी निर्माण के लिये व्यक्ति से सबंधित मूलभूत जानकारी और मोबाइल नंबर या आधार संख्या को आवश्यकता होगी।

साइबर सुरक्षा नीति- 2020:

  • वर्तमान 'साइबर सुरक्षा नीति'-2013 के स्थान पर नवीन 'साइबर सुरक्षा नीति'-2020 लागू की जाएगी।
  • 'राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति' (National Cyber Security Strategy- NCSS), 2020 के तहत जनवरी, 2020 तक सार्वजनिक टिप्पणियाँ मांगी गई थी।
  • नवीन साइबर नीति, संसदीय संयुक्त समिति के तहत विचाराधीन 'डेटा संरक्षण कानून'; जो डेटा स्थानीयकरण को अनिवार्य करता है, के प्रावधानों को भी प्रभावित कर सकती है।

नवीन साइबर सुरक्षा नीति की आवश्यकता:

  • नवीन चुनौतियाँ:

    • साइबर सुरक्षा के समक्ष नवीन चुनौतियों में डेटा गोपनीयता, कानूनी प्रवर्तन, विदेशों में संग्रहीत डेटा तक पहूँच का अभाव, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग, साइबर अपराध और साइबर आतंकवाद पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का अभाव आदि शामिल हैं।
  • डेटा सुरक्षा:

    • राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर साइबर खतरों का बढ़ना; संवेदनशील व्यक्तिगत और व्यावसायिक डेटा पर साइबर घुसपैठ और हमलों के दायरे और प्रकार में वृद्धि होना;'महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना' (critical Information Infrastructure) की सुरक्षा आदि डेटा सुरक्षा की नवीन चुनौतियाँ पेश कर रही है।
  • तीव्र तकनीकी विकास:

    • साइबर परिदृश्य में तेज़ी से तकनीकी विकास जैसे- क्लाउड कंप्यूटिंग, कृत्रिम बुद्धिमता, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 5G प्रौद्योगिकी आदि के कारण नवीन सुरक्षा चुनौतियाँ पेश हुई है।
  • साइबर युद्ध:

    • वर्तमान में ‘संगठित साइबर अपराध’, तकनीकी शीत युद्ध और बढ़ते ‘राज्य प्रायोजित साइबर हमलों’ के खतरे सामने आए हैं, जिनसे सुरक्षा के लिये मौजूदा साइबर अवसंरचनाओं को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

  • चीन के साथ तनाव के बाद स्वतंत्रता दिवस पर घोषित ये परियोजनाएँ 'डिजिटल इंडिया' पहल के लक्ष्यों को प्राप्त करने, दीर्घकालिक डिजिटल सुरक्षा को मज़बूत बनाने तथा देश को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेगी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस