धन्वंतरि रथ: आयुर्वेद संबंधी स्वास्थ्य सेवाएँ | 19 Aug 2020

प्रिलिम्स के लिये

धन्वंतरि रथ

मेन्स के लिये

आयुर्वेद का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

दिल्ली पुलिस की आवासीय कॉलोनियों में संरक्षणकारी और संवर्द्धनकारी स्वास्थ्य सेवाओं की आयुर्वेदिक पद्धति पहुँचाने के लिये दिल्ली पुलिस और अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (All India Institute of Ayurveda-AIIA) ने एक MoU पर हस्ताक्षर किये हैं। ये सेवाएँ ‘धन्वंतरि रथ’ नामक एक चलती-फिरती इकाई तथा पुलिस कल्याण केंद्रों के माध्यम से प्रदान की जाएंगी।

प्रमुख बिंदु

  • धन्वंतरि रथ और पुलिस कल्याण केंद्रों की पहुँच AIIA की OPD (OutPatient Department) सेवाओं तक होंगी और इनका लक्ष्य आयुर्वेदिक निवारक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के माध्यम से दिल्ली पुलिस के परिवारों को लाभान्वित करना है।
  • धन्वंतरि रथ- आयुर्वेद स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की चलती-फिरती इकाई में डॉक्टरों की एक टीम शामिल होगी जो नियमित रूप से दिल्ली पुलिस की कॉलोनियों का दौरा करेगी।
    • इन आयुर्वेदिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं से विभिन्न रोगों के प्रसार और अस्पतालों में रेफरल की संख्या को कम करने में सहायता मिलेगी, जिससे रोगियों की संख्या के साथ-साथ स्वास्थ्य प्रणालियों की लागत में भी कमी आएगी।
  • इससे पहले, AIIA और दिल्ली पुलिस के एक संयुक्त उपक्रम के रूप में आयुरक्षा-AYURAKSHA की शुरुआत की गई थी, इसे आयुर्वेदिक प्रतिरक्षा बढ़ाने के उपायों के माध्यम से दिल्ली पुलिस के कर्मियों जैसे फ्रंटलाइन कोविड योद्धाओं के स्वास्थ्य को सही बनाए रखने के लिये शुरू किया गया था।

आयुर्वेद (Ayurveda)

  • आयुर्वेद ‘आयु’ और ‘वेद’ नामक दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है जीवन विज्ञान। आयुर्वेद के अनुसार जीवन के उद्देश्यों यथा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति के लिये स्वास्थ्य पूर्वपेक्षित है।
  • यह मानव के सामाजिक, राजनीतिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक पहलुओं का समाकलन करता है, क्योंकि ये सभी एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।
  • आयुर्वेद तन, मन और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित कर व्यक्ति के स्वास्थ्य में सुधार करता है। आयुर्वेद में न केवल उपचार होता है बल्कि यह जीवन जीने का ऐसा तरीका सिखाता है, जिससे जीवन लंबा और खुशहाल हो जाता है।
  • आयुर्वेद के अनुसार व्यक्ति के शरीर में वात, पित्त और कफ जैसे तीनों मूल तत्त्वों के संतुलन से कोई भी बीमारी नहीं हो सकती, परन्तु यदि इनका संतुलन बिगड़ता है, तो बीमारी शरीर पर हावी होने लगती है। अतः आयुर्वेद में इन्हीं तीनों तत्त्वों के मध्य संतुलन स्थापित किया जाता है। इसके अतिरिक्त आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने पर भी बल दिया जाता है, ताकि व्यक्ति सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो।
    • अथर्ववेद मुख्य रूप से व्यापक आयुर्वेदिक जानकारी से संबंधित है। इसीलिये आयुर्वेद को अथर्ववेद की उप-शाखा कहा जाता है।
  • आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) मंत्रालय का गठन वर्ष 2014 में स्वास्थ्य देखभाल की आयुष प्रणालियों के इष्टतम विकास और प्रसार को सुनिश्चित करने के लिये किया गया था।

अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (All India Institute of Ayurveda)

  • यह आयुष मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन है।
  • इसकी कल्पना आयुर्वेद के लिये एक शीर्ष संस्थान के रूप में की गई है।
  • इसका लक्ष्य आयुर्वेद के पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक उपकरणों एवं प्रौद्योगिकी के बीच एक तालमेल स्थापित करना है।
  • यह संस्थान आयुर्वेद के विभिन्न विषयों में स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट पाठ्यक्रम प्रदान करने के साथ-साथ आयुर्वेद, औषधि विकास, मानकीकरण, गुणवत्ता नियंत्रण, सुरक्षा मूल्यांकन और आयुर्वेदिक चिकित्सा के वैज्ञानिक सत्यापन के मौलिक अनुसंधान पर केंद्रित है।
  • यह नई दिल्ली में स्थित है।

स्रोत-पीआइबी