देविका नदी परियोजना | 05 Jun 2021

प्रिलिम्स के लिये:

देविका नदी परियोजना, देविका नदी, राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना तथा इसके तहत नदियों में प्रदूषण को रोकने हेतु किये गए उपाय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास राज्य मंत्री द्वारा उधमपुर, जम्मू-कश्मीर में देविका नदी परियोजना के लिये सुझाव आमंत्रित किये गए हैं।

प्रमुख बिंदु

परियोजना के विषय में:

  • इस परियोजना की लागत 190 करोड़ रुपए है।
  • मार्च 2019 में, राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (National River Conservation Plan-NRCP) के अंतर्गत इस परियोजना पर काम शुरू किया गया था। 
  • परियोजना के अंतर्गत देविका नदी के किनारे स्नान "घाट" (स्थल) विकसित किए जाएंगे, अतिक्रमण हटाया जाएगा, प्राकृतिक जल निकायों को पुन: स्थापित किया जाएगा और श्मशान भूमि के साथ-साथ जलग्रहण क्षेत्र भी विकसित किये जाएंगे।
  • इस परियोजना में तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, 129.27 किमी का सीवरेज़ नेटवर्क, दो श्मशान घाटों का विकास, सुरक्षा बाड़ और लैंडस्केपिंग, छोटे जल विद्युत संयंत्र तथा तीन सौर ऊर्जा संयंत्र शामिल किये गए हैं।
  •  परियोजना के पूरा होने के बाद, नदियों के प्रदूषण में कमी आएगी और जल की गुणवत्ता में सुधार होगा।

देविका नदी के बारे में:

  • देविका नदी जम्मू और कश्मीर के उधमपुर ज़िले में पहाड़ी सुध (शुद्ध) महादेव मंदिर से निकलती है और पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान में) की ओर बहती है जहाँ यह रावी नदी में मिल जाती है।
  • नदी का धार्मिक महत्त्व इसलिये है क्योंकि इसे हिंदुओं द्वारा गंगा नदी की बहन के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • जून 2020 में, उधमपुर में देविका पुल का उद्घाटन किया गया। इस पुल के निर्माण का उद्देश्य यातायात की भीड़ से निपटने के अलावा, सेना के काफिले और वाहनों को सुगम मार्ग प्रदान करना भी है।

राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना

परिचय:

  • राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (National River Conservation Plan-NRCP) वर्ष 1995 में शुरू की गई एक केंद्रीय वित्तपोषित योजना है जिसका उद्देश्य नदियों में प्रदूषण को रोकना है।
  • नदी संरक्षण से जुड़े विभिन्न कार्यक्रम, राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (NRCP) और राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (National Ganga River Basin Authority- NGRBA) के तहत लागू किये जा रहे हैं।

NRCP के तहत अंतर्निहित गतिविधियाँ:

  • खुले नालों के द्वारा नदी में बहने वाले कच्चे मल-जल को रोकने तथा शोधन हेतु उसका पथांतर करने के लिये दिशा अवरोधन एवं दिशा परिवर्तन कार्य।
  • पथांतरित वाहित मल-जल का शोधन करने के लिये मल-जल शोधन संयंत्र/सीवेज़ ट्रीटमेंट प्लांट। 
  • नदी तटों पर खुले में मलत्याग की रोकथाम के लिये अल्प लागत वाले शौचालय।
  • लकड़ी के प्रयोग को संरक्षित करने के लिये विद्युत शवदाह गृह एवं उन्नत काष्ठ शवदाह गृहों का निर्माण करना तथा जलाऊ घाटों पर लाए गए शवों का उचित दाह-संस्कार सुनिश्चित करना।
  • स्नान घाटों का सुधार जैसे नदी तटाग्र विकास कार्य।
  • जन जागरूकता तथा जन सहभागिता।
  • नदी संरक्षण के क्षेत्र में मानव संसाधन विकास (HRD), क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान।
  • अन्य विविध कार्य जो मानव आबादी के साथ संपर्क सहित स्थान विशिष्ट स्थितियों पर निर्भर करते हैं।

स्रोत: पी.आई.बी.