चीन को विकासशील देश का टैग: विश्व व्यापार संगठन | 11 Jan 2022

प्रिलिम्सलिम्स के लिये:

विकासशील देश की स्थिति, विश्व व्यापार संगठन, S&DT, अनुचित व्यापार अभ्यास, USTR।

मेन्स के लिये:

विकासशील देश और विकसित देश विश्व व्यापार संगठन में टैग और इसका महत्त्व, चीन की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चीन को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में 'विकासशील देश' का दर्जा मिला है।

  • यह कई देशों के फैसले के खिलाफ चिंताजनक और एक विवादास्पद मुद्दा बन गया है।
  • इससे पहले वर्ष 2019 में दक्षिण कोरियाई सरकार ने विश्व व्यापार संगठन में भविष्य की बातचीत से विकासशील देश के रूप में कोई विशेष वरीयता नहीं लेने का फैसला किया।

World-Trade-Organization

प्रमुख बिंदु 

  • परिचय:
    • विश्व व्यापार संगठन ने 'विकसित' और 'विकासशील' देशों को परिभाषित नहीं किया है और इसलिये सदस्य देश यह घोषणा करने के लिये स्वतंत्र हैं कि वे 'विकसित' हैं या 'विकासशील'।
      • हालाँकि अन्य सदस्य विकासशील देशों के लिये उपलब्ध प्रावधानों का उपयोग करने के सदस्य के निर्णय को चुनौती दे सकते हैं।
    • विश्व व्यापार संगठन के पास विकासशील राष्ट्र की उचित परिभाषा का अभाव है, हालाँकि इसके 164 सदस्यों में से दो-तिहाई खुद को विकासशील के रूप में वर्गीकृत करते हैं।
    • जैसा कि विश्व व्यापार संगठन के सदस्य खुद को विकासशील राष्ट्र घोषित कर सकते हैं, यह चीन जैसे देश को वैश्विक व्यापार में अपने प्रभुत्व का विस्तार करने के लिये लाभ प्रदान करता है, जबकि वह खुद को विकासशील के रूप में वर्गीकृत करता है और इस तरह विशेष और विभेदित उपचार (S&DT) प्राप्त करता है।
  • चीन का मामला:
    • विश्व बैंक के अनुसार, चीन की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के कारण वह एक उच्च मध्यम आय वाला देश बन गया है और देश के अनुचित व्यापार प्रथाओं के कथित उपयोग को देखते हुए, कई देशों ने चीन से विकासशील देशों को उपलब्ध लाभों की मांग करने से परहेज करने का आह्वान किया है या एक विकासशील देश के रूप में वर्गीकरण को न करने को कहा है।
      • चीन की कुछ अनुचित व्यापार प्रथाओं में राज्य के उद्यमों के लिये संदर्भात्मक व्यवहार, डेटा प्रतिबंध और बौद्धिक संपदा अधिकारों के अपर्याप्त प्रवर्तन शामिल हैं।
    • यह असंगत प्रतीत होता है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जो वर्ष 2021 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की एक-चौथाई वृद्धि के लिये ज़िम्मेदार है, खुद को सबसे बड़ा विकासशील देश मानती है।

विश्व बैंक द्वारा देशों का वर्गीकरण

  • विश्व बैंक दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को चार आय समूहों- निम्न, निम्न-मध्यम, उच्च-मध्यम और उच्च आय वाले देशों में वर्गीकृत करता है।
  • वर्गीकरण को प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई को अद्यतन किया जाता है और यह पिछले वर्ष के वर्तमान अमेरिकी डाॅलर में प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI) पर आधारित होता है।
    • GNI किसी देश के लोगों और व्यवसायों द्वारा अर्जित की गई कुल राशि होती है।
  • विश्व बैंक ने अपने नवीनतम वर्गीकरण (2020-21) में भारत को निम्न-मध्यम आय वाले देश के रूप में वर्गीकृत किया है।
  • उठाई गई चिंताएँ:
    • विश्व व्यापार संगठन में एक 'विकासशील देश' के रूप में चीन की स्थिति एक विवादास्पद मुद्दा बन गई है, जिसमें कई देशों ने WTO मानदंडों के तहत विकासशील देशों के लिये आरक्षित लाभ प्राप्त करने वाले उच्च-मध्यम आय वाले राष्ट्र पर चिंता जताई है।
    • यूरोपियन संघ (ईयू) ने अक्तूबर 2021 में आयोजित चीन की व्यापार नीति की नवीनतम समीक्षा पर एक बयान में कहा कि चीन के लिये नेतृत्त्व करने का एक तरीका उन लाभों का दावा करने से बचना होगा जो चल रही वार्ता में एक विकासशील देश के अनुरूप होंगे तथा संयुक्त राज्य अमेरिका व्यापार प्रतिनिधि ने भी इसी तरह का एक बयान जारी किया।
      • ऑस्ट्रेलिया ने भी सिफारिश की थी कि चीन "एस एंड डीटी (S&DT) तक अपनी पहुँच" को छोड़ दे, विश्व बैंक के अनुसार, चीन की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2020 में 10,435 अमेरिकी डॉलर जबकि भारत की 1,928 अमेरिकी डॉलर थी।
      • भारत ने चीन के इस दावे पर भी सवाल उठाया है कि वह एक विकासशील देश है, क्योंकि विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार, उसकी प्रति व्यक्ति आय एक उच्च मध्यम आय वाले देश की है।
    • इसके अलावा अल्प-विकसित देशों को लेकर चिंता ज़ाहिर की गई है, जबकि बांग्लादेश संभावित रूप से प्रति व्यक्ति जीडीपी के मामले में भारत को पीछे छोड़ने के बाद इस टैग को खो सकता है।
  • विकासशील देश की स्थिति के लाभ:
    • कुछ विश्व व्यापार संगठन समझौते विकासशील देशों को S&DT प्रावधानों के माध्यम से विशेष अधिकार देते हैं, जो विकासशील देशों को समझौतों को लागू करने हेतु लंबी समय-सीमा प्रदान कर सकते हैं और यहाँ तक ​​कि ऐसे देशों के लिये व्यापार के अवसर बढ़ाने की प्रतिबद्धता भी व्यक्त कर सकते हैं।
      • S&DT विकासशील और गरीब देशों को प्रतिबद्धताओं को लागू करने हेतु लंबी ट्रांजिशन अवधि सहित कुछ लाभों की अनुमति देता है।
      • यह विकासशील देशों के लिये व्यापारिक अवसरों को बढ़ाने के उपाय भी प्रदान करता है, जिसके तहत सभी विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों को विकासशील देशों के व्यापार हितों की रक्षा करने की आवश्यकता होती है, साथ ही विकासशील देशों को विश्व व्यापार संगठन के काम करने, विवादों को संभालने और तकनीकी मानकों को लागू करने की क्षमता प्राप्त करने में सहायता प्रदान करता है।
    • विश्व व्यापार संगठन के समझौते प्रायः समय के साथ कुछ उद्योगों के लिये सरकारी समर्थन में कमी लाने और विकासशील देशों हेतु अधिक उदार लक्ष्य निर्धारित करने और विकसित देशों की तुलना में इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये अधिक समय देने के उद्देश्य से लागू होते हैं।
    • यह वर्गीकरण अन्य देशों को तरजीही उपचार या विशेष सुविधा प्रदान करने की भी अनुमति देता है।

नोट:

  • ऐसे समय में जब विकसित राष्ट्र विश्व व्यापार संगठन-सुधारों को आगे बढ़ा रहे हैं जो S&DT प्रावधानों को कमज़ोर कर देगा, भारत ने संकेत दिया है कि वह विकासशील दुनिया के लिये S&DT के संरक्षण हेतु संघर्ष करेगा।
  • भारत पहले ही कह चुका है कि यह विषय चर्चा के लिये खुला है कि किस देश को विकासशील माना जाना चाहिये।
  • चीन का पक्ष:
    • चीन ने लगातार यह सुनिश्चित किया है कि वह "दुनिया की सबसे बड़ी विकासशील अर्थव्यवस्था" है, लेकिन उसने हाल ही में संकेत दिया है कि वह विकासशील देश होने के कई लाभों को छोड़ने के लिये तैयार हो सकता है।
    • इसने कथित तौर पर सूचित किया है कि वह अत्यधिक ‘फिशिंग’ पर अंकुश लगाने के लिये ‘फिशिंग’ सब्सिडी में कटौती करने के उद्देश्य से विकासशील देशों को उपलब्ध सभी छूटों को वापस ले सकता है।

आगे की राह

  • विश्व व्यापार संगठन को जल्द से जल्द एक विकासशील राष्ट्र को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना चाहिये ताकि केवल ऐसे राष्ट्र ही S&DT का दावा कर सकें।
  • बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को मज़बूत करने के लिये दृष्टिकोण का उद्देश्य एक ऐसी प्रक्रिया को अपनाना है जिसमें प्रत्येक राष्ट्र अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए S&DT लाभों का दावा करने के लिये अंततः विकासशील राष्ट्र की स्थिति से वापसी की रणनीति बनाता है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस