DIGs की प्रतिनियुक्ति | 04 Mar 2022

प्रिलिम्स के लिये:

उप महानिरीक्षक स्तर के आईपीएस अधिकारी, अखिल भारतीय सेवाओं, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति।

मेन्स के लिये:

संघवाद, पुलिस व्यवस्था।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र ने उप महानिरीक्षक स्तर के आईपीएस अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति (Central Deputation) पर एक और आदेश जारी किया है।

  • आदेश में कहा गया है कि DIG स्तर पर केंद्र में आने वाले आईपीएस अधिकारियों को अब केंद्र सरकार के साथ उस स्तर पर पैनल में शामिल होने की आवश्यकता नहीं होगी।
  • यह आदेश अखिल भारतीय सेवा नियमों में संशोधन के प्रस्ताव के बाद आया है जो इसे राज्य की सहमति के साथ या सहमति के बिना केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर किसी भी आईएएस, आईपीएस या आईएफओएस अधिकारी को बुलाने की अनुमति प्रदान करता है।

प्रमुख बिंदु

मौजूदा आदेश:

  • मौजूदा नियमों के अनुसार, डीआईजी-रैंक के आईपीएस अधिकारियों, जिनके पास न्यूनतम 14 साल का कार्य अनुभव है, को केंद्र में प्रतिनियुक्त किया जा सकता है यदि पुलिस स्थापना बोर्ड उन्हें केंद्र में डीआईजी के रूप में सूचीबद्ध करता है।
    • बोर्ड, अधिकारियों के कार्यकाल और सतर्कता रिकॉर्ड के आधार पर पैनल में उनका चयन करता है।
    • अभी तक केवल पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारियों को केंद्र के पैनल में शामिल करने की आवश्यकता नहीं होती थी।
  • नया आदेश राज्य में DIG स्तर के अधिकारियों के पूरे पूल को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के योग्य बनाता है।
  • हालांँकि यह DIGs को स्वतः ही केंद्र में आने की अनुमति नहीं देगा। अधिकारियों को अभी भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति हेतु प्रस्तावित सूची में रखना होगा जो राज्यों और केंद्र द्वारा परामर्श से तय किया जाता है।

जारी आदेश:

  • गृह मंत्रालय (MHA) ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य केंद्रीय पुलिस संगठनों (CPOs) और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) में भारी रिक्तियों की पृष्ठभूमि में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति हेतु DIG स्तर के IPS अधिकारियों के पूल को बढ़ाना है।
    • विभिन्न CPOs और CAPFs संगठनों से प्राप्त आँकड़ों के अनुसार, केंद्र में DIG स्तर पर आईपीएस अधिकारियों के लिये आरक्षित 252 पदों में से 118 (लगभग आधे) खाली हैं।
    • साथ ही यह केंद्र के लिये उपलब्ध अधिकारियों के पूल के आकार को बढ़ाता है।
  • IPS अधिकारियों का CPO और CAPF में 40% का कोटा होता है। केंद्र ने नवंबर 2019 में राज्यों को इस कोटा को 50% कम करने का प्रस्ताव देते हुए लिखा था कि 60% से अधिक पद खाली हैं क्योंकि अधिकांश राज्य अपने अधिकारियों को नहीं छोड़ते हैं।
  • इसके अलावा MHA ने माना कि है कुछ राज्यों में ज़िलों की संख्या एक दशक में दोगुनी हो गई है, जबकि अधिकारियों की नियुक्ति उस गति से नहीं हुई है।

राज्यों के समक्ष क्या समस्या है?

  • कई राज्यों द्वारा नए आदेश को राज्यों में सेवारत अधिकारियों पर अपनी शक्तियों को बढ़ाने हेतु केंद्र सरकार के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है।
    • इसके अलावा राज्यों में भी अधिकारियों की गंभीर कमी है।
  • यह सहकारी संघवाद की भावना के विरुद्ध है।
  • प्रस्तावित संशोधन नौकरशाही पर राज्य के राजनीतिक नियंत्रण को कमज़ोर करेगा।
  • यह शासन प्रणाली को प्रभावित करेगा और परिहार्य कानूनी एवं प्रशासनिक विवाद पैदा करेगा।
  • केंद्र एक चुनी हुई राज्य सरकार के खिलाफ नौकरशाही को हथियार बना सकता है।

अखिल भारतीय सेवाएँ:

  • परिचय: अखिल भारतीय सेवाओं (AIS) में भारत की तीन सिविल सेवाएँ शामिल हैं:
    • भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS)
    • भारतीय पुलिस सेवा (IPS)
    • भारतीय वन सेवा (IFoS)।
  • अखिल भारतीय सेवाओं की संघीय प्रकृति: अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों की भर्ती केंद्र सरकार द्वारा (UPSC के माध्यम से) की जाती है और उनकी सेवाओं को विभिन्न राज्य संवर्गों के तहत आवंटित किया जाता है।
    • इसलिये उनकी राज्य और केंद्र दोनों के अधीन सेवा करने की जवाबदेही होती है।
    • हालाँकि अखिल भारतीय सेवाओं की कैडर नियंत्रण अथॉरिटी केंद्र सरकार के पास है।
      • DoPT भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारियों का कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी है।
      • भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा अधिकारियों (IFoS) की प्रतिनियुक्ति के लिये कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी क्रमशः गृह मंत्रालय (MHA) और पर्यावरण मंत्रालय के पास हैं।
  • केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिज़र्व: राज्य सरकार को प्रतिनियुक्ति हेतु उपलब्ध अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिज़र्व (Central Deputation Quota) के तहत निर्धारित करना होता है।
    • प्रत्येक राज्य कैडर/संवर्ग सेवा का एक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति कोटा प्रदान करता है जिसके लिये केंद्र सरकार में पदों पर सेवा देने के लिये प्रशिक्षित और अनुभवी सदस्यों को प्रदान करने हेतु अतिरिक्त भर्ती की आवश्यकता होती है।
  • अखिल भारतीय सेवा अधिकारी की प्रतिनियुक्ति और वर्तमान नियम:
    • सामान्यतः व्यवहार में केंद्र हर साल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति (Deputation) पर जाने के इच्छुक अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की "प्रस्ताव सूची" मांगता है जिसके बाद वह उस सूची से अधिकारियों का चयन करता है।
    • अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति हेतु राज्य सरकार से मंज़ूरी लेनी होती है।
    • राज्यों को केंद्र सरकार के कार्यालयों में अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करनी होती है और किसी भी समय यह कुल संवर्ग की संख्या के 40% से अधिक नहीं हो सकती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस