डेंगू वैक्सीन | 09 May 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सनोफी पाश्चर (Sanofi Pasteur) के विवादास्पद वैक्सीन डेंगवाक्सिया (Dengvaxia) को यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (US Food & Drug Administration) द्वारा मंज़ूरी दी गई है, लेकिन साथ ही इस पर कुछ प्रतिबंध भी लगाए गए हैं।

  • उल्लेखनीय है कि अमेरिका में रेगुलेटरी नोड (Regulatory Nod) प्राप्त करने वाला यह पहला डेंगू वैक्सीन है।

पृष्ठभूमि

  • डेंगवाक्सिया मूल रूप से एक जीवित, एटेन्यूयेटेड (Attenuated) डेंगू वायरस है।
  • एटेन्यूयेटेड वायरस एक ऐसा वायरस है जो शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय करने के अपने गुणों को बनाए रखता है लेकिन बीमारियों के नेतृत्व करने की इसकी क्षमता कम होती है।

डेंगू (Dengue)

  • डेंगू दुनिया के कई हिस्सों में तेजी से उभरती हुई वायरल बीमारी है।
  • डेंगू के वायरस  का मुख्य वाहक एडीज एजिप्टी मच्छर (Aedes aegypti mosquito) है।
  • मच्छर जनित वायरल संक्रमण जो फ्लू जैसी गंभीर बीमारी का कारण बनता है, कभी-कभी महामारी के रूप में घातक जटिलता की स्थिति पैदा करता है।
  • डेंगू शहरी गरीब क्षेत्रों, उपनगरों और ग्रामीण इलाकों में पनपता है लेकिन उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय देशों में अधिक समृद्ध पड़ोसी देशों को भी प्रभावित कर सकता है।

वैक्सीन की आवश्यकता

  • रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों (Centers for Disease Control and Prevention) के अनुसार, दुनिया भर में अनुमानित 400 मिलियन डेंगू वायरस का संक्रमण पाया जाता है।
  • 26 नवंबर, 2018 तक भारत में  89,974 डेंगू के मामले दर्ज किये गए, जिसमें से 144 लोगों की मौत हो गई। 2017 में 1,88,401 मामले दर्ज हुए, जिसमें से 325 लोगों की मौत हुई।
  • भारत डेंगू-स्थानिक (Dengue-Endemic) देशों में से एक है।
  • डेंगवाक्सिया लाइसेंस पाने वाला पहला डेंगू टीका है, जिसे 2015 में सबसे पहले मेक्सिको ने मंज़ूरी दी थी।
  • इसके बाद लगभग 20 देशों में इसे मंज़ूरी दे दी गई लेकिन वर्ष 2017 में फिलीपींस में कुछ ऐसा हुआ जिसने CYD-TDV के बारे में सवालिया निशान खड़े कर दिये हैं।

फिलीपींस की दुर्घटना
The Philippines casualties

  • वर्ष 2017 में एक स्कूल में डेंगवाक्सिया टीकाकरण अभियान के बाद इस द्वीपीय देश में दस मौतें हुई थीं।
  • लगभग 800,000 स्कूली बच्चों को डेंगवाक्सिया का टीका लगाया गया था लेकिन प्रतिकूल घटनाओं की सूचना प्राप्त होते ही अभियान को निलंबित कर दिया गया था।
  • सनोफी ने तत्काल ही स्वास्थ्य अधिकारियों से उत्पाद लेबल को अपडेट करने का आग्रह किया।
  • सनोफी ने स्वीकार किया कि यह टीका लोगों में इस्तेमाल किये जाने के लिये सुरक्षित नहीं था।
  • डब्ल्यूएचओ ने कंपनी से इस टीके से संबंधित अधिक जानकारी की मांग की।
  • इस वर्ष की शुरुआत में फिलीपींस ने डेंगवाक्सिया की बिक्री, इसके वितरण और विपणन पर स्थायी रूप से रोक लगा दी।

एफडीए की सिफारिश
(The FDA Recommendation)

  • एफडीए द्वारा की गई घोषणा के अनुसार, इस टीके का उपयोग डेंगू की रोकथाम के लिये किया जा सकता है।  9 -16 वर्ष के लोगों में डेंगू वायरस सेरोटाइप (1, 2, 3 और 4) सभी के कारण होता है। जो पहले से डेंगू से ग्रसित हैं या जो उन स्थानिक क्षेत्रों में रहते हैं विशेषकर ऐसे लोगों में इस टीके का उपयोग किया जा सकता है।
  • डेंगवाक्सिया के टीके को ऐसे व्यक्तियों में उपयोग की मंज़ूरी नहीं है जो पहले किसी डेंगू वायरस सेरोटाइप से संक्रमित नहीं थे या जो इस जानकारी से अपरिचित हैं।
  • ऐसा इसलिये है क्योंकि ऐसे लोग जो डेंगू वायरस से संक्रमित नहीं हुए हैं, उनमें इस वैक्सीन से गंभीर बीमारी हो सकती है। इसलिये स्वास्थ्यकर्मियों को डेंगू संक्रमण से बचने के लिये पहले डेंगू वायरस से संक्रमित लोगों में से बिना संक्रमित व्यक्तियों का मूल्यांकन करना चाहिये।

भारत की स्थिति (India’s Position)

  • भारत ने मई 2017 में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की विषय विशेषज्ञ समिति की एक सिफारिश को ठुकरा दिया तथा सनोफी को बताया कि भारत में विक्रय की अनुमति देने से पहले दवा या वैक्सीन में छूट देना आवश्यक नहीं है।
  • भारतीय संदर्भ में इसे  क्लिनिकल परीक्षण के चरण III (जो किसी दवा की सुरक्षा और प्रभावकारिता सुनिश्चित करती है) से गुज़रना होगा।

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया

  • DCGI (ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया), CDSCO के अधीन एक नियामक एजेंसी है जिसके द्वारा भारत में विशिष्ट श्रेणी की औषधियों (रक्त एवं रक्त उत्पाद, I।V फ्लुइड्स, वैक्सीन एवं सेरा) हेतु लाइसेंस प्रदान किये जाते हैं तथा औषधियों के विनिर्माण, विक्रय आदि हेतु मानक तय किये जाते हैं।
  • CDSCO (सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाइज़ेशन) भारत का राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण है जिसके द्वारा औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम, 1940 के तहत नई औषधियों के आयात/विनिर्माण, अनुमोदन, नैदानिक परीक्षण तथा DCC एवं DTAB की बैठकों का नियामक नियंत्रण किया जाता  है।

समिति की सिफारिश

  • हालाँकि वैक्सीन क्लिनिकल परीक्षण से प्राप्त छूट के लिये उपयुक्त नही हैं, अतः ऐसी स्थिति में डेंगू देश में चिंता का एक प्रमुख विषय है तथा कुछ मामलों में यह जानलेवा भी हो सकता है।
  • यह समिति 18-45 वर्ष की आयु हेतु टीके के बाजार में बिक्री के लिये केवल समयबद्ध तरीके से चरण IV क्लिनिकल परीक्षण करने की शर्त के साथ सिफारिश करती है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस