उन्नत चालक सहायता प्रणालियों की मांग | 27 Jan 2024

प्रिलिम्स के लिये:

उन्नत चालक सहायता प्रणाली, स्वायत्त ड्राइविंग

मेन्स के लिये:

भारत में सेल्फ-ड्राइविंग कारों का परिदृश्य, परिवहन का स्वचालन और चुनौतियाँ

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों? 

जैसे-जैसे वैश्विक स्तर पर स्वायत्त ड्राइविंग की गति बढ़ रही है, उन्नत चालक सहायता प्रणाली (ADAS) की मांग में वृद्धि के साथ भारत एक आश्चर्यजनक लेकिन महत्त्वपूर्ण बाज़ार के रूप में उभरा है।

उन्नत चालक सहायता प्रणाली (ADAS) क्या है?

  • परिचय:
    • उन्नत चालक सहायता प्रणाली (ADAS) को वाहन डिजिटल प्रौद्योगिकियों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो पूरी प्रक्रिया को पूरी तरह से स्वचालित किये बिना ड्राइवरों को नियमित नेविगेशन और पार्किंग में मदद करती है, जिसमें अधिक डेटा-संचालित तथा सुरक्षित चालक संबंधी अनुभवों को सक्षम करने के लिये कंप्यूटर नेटवर्क का उपयोग किया जाता है।
      • ADAS में किसी वाहन के आसपास के परिवेश की निगरानी के लिये सेंसर, कैमरे और रडार का उपयोग किया जाता हैं।
      • वे सक्रिय रूप से सुरक्षा संबंधी जानकारी, ड्राइविंग हस्तक्षेप और पार्किंग में सहायता प्रदान कर सकते हैं।
    • ADAS का लक्ष्य उन ऑटोमोटिव दुर्घटनाओं की घटनाओं और गंभीरता को कम करना है जिन्हें टाला नहीं जा सकता है ताकि होने वाली मौतें तथा चोटों को रोका जा सके।
      • ये उपकरण यातायात, सड़क में रुकावट, भीड़भाड़ के स्तर, यातायात से बचने के लिये सुझाए गए मार्गों आदि के बारे में महत्त्वपूर्ण आँकड़े प्रदान कर सकते हैं।
  • ADAS की विशेषताएँ: 
    • ADAS सुइट में स्वचालित आपातकालीन ब्रेकिंग, फॉरवर्ड कलिशन वार्निंग, ब्लाइंड स्पॉट कलिशन वार्निंग, ‘लेन-कीपिंग’ सहायता, ‘अडैप्टिव क्रूज़’ नियंत्रण जैसी सुविधाएँ शामिल हैं।

  • भारत में मांग में वृद्धि के कारण:
    • प्रगतिशील उपयोग:
      • भारत में स्वायत्त ड्राइविंग वाहनों को व्यापक रूप से अपनाया जा रहा है। कार विनिर्माता तेज़ी से मध्य-खंड (Mid-Segment) के वाहनों में मानक सुविधाओं के रूप में ADAS की प्रस्तुति कर रहे हैं जो उन्नत चालक सहायता तकनीक की बढ़ती मांग में योगदान दे रहा है।
    • सड़क सुरक्षा संबंधी चिंताएँ:
      • भारत की गंभीर सड़क दुर्घटनाओं तथा यातायात पैटर्न के देखते हुए सड़क सुरक्षा को महत्त्व दिया जा रहा है। कार विनिर्माता सुरक्षा बढ़ाने तथा उपभोक्ताओं को उन्नत चालक सहायता उपकरण प्रदान करने के लिये ADAS सुविधाओं को एकीकृत कर रहे हैं।
  • ADAS सिस्टम के लिये भारत में चुनौतियाँ:
    • सड़क अवसंरचना चुनौतियाँ:
      • भारत को विश्व स्तर पर सबसे चुनौतीपूर्ण ड्राइविंग वातावरणों में से एक माना जाता है।
        • विश्व बैंक के अनुसार, भारत में विश्व की सबसे खतरनाक सड़कें हैं, जिनमें दुर्घटनाओं में सालाना 8,00,000 से अधिक लोग मारे जाते हैं और अपंग हो जाते हैं।
      • भारत की विविध सड़क स्थितियाँ, उच्च गुणवत्ता से बनाए गए राजमार्गों से लेकर खराब निर्मित ग्रामीण सड़कों तक, लगातार सड़क चिह्नों और बुनियादी ढाँचे के लिये ADAS प्रणालियों के लिये चुनौतियाँ पैदा करती हैं।
    • विविध सड़क उपयोगकर्त्ता:
      • भारतीय सड़कों पर मोटर वाहनों के साथ-साथ पैदल चलने वालों, साइकिल चालकों और गैर-मोटर चालित वाहनों का मिश्रण होता है, जो एडीएएस अनुकूलन के लिये जटिलता पैदा करता है।
      • वर्ल्ड रिसोर्सेज़ इंस्टीट्यूट (World Resources Institute-WRI) India इंडिया के एक अध्ययन से पता चला है कि भारत में लगभग 50% शहरी यात्राएँ पैदल, साइकिल या साइकिल-रिक्शा पर की जाती हैं, जो एडीएएस डिज़ाइन में गैर-मोटर चालित सड़क उपयोगकर्त्ताओं पर विचार करने के महत्त्व पर ज़ोर देती है
    • कनेक्टिविटी और डेटा:
      • एडीएएस सिस्टम को वास्तविक समय डेटा अपडेट और विश्वसनीय कनेक्टिविटी की आवश्यकता होती है, जो भारत के दूरस्थ या खराब नेटवर्क वाले क्षेत्रों में एक समस्या हो सकती है।
    • हैकिंग के प्रति संवेदनशील:
      • ADAS सिस्टम के बारे में उपभोक्ताओं और विशेषज्ञों की एक बड़ी चिंता साइबर हमलों के प्रति उनकी संवेदनशीलता है।
      • हैक किये गए वाहन बेहद खतरनाक होते हैं और इनसे दुर्घटनाएँ हो सकती हैं।
    •  ड्राइवर का व्यवहार:
      • एडीएएस सिस्टम की सफलता ज़िम्मेदार ड्राइविंग व्यवहार पर निर्भर करती है। भारत में इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन (IRTE) के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि केवल 44% ड्राइवर एडीएएस तकनीक के बारे में जानते थे, जो इसके लाभों और उपयोग पर व्यापक शिक्षा की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

स्वायत्त ड्राइविंग क्या है?

  • परिचय:
    • एक स्वायत्त कार एक ऐसा वाहन है जो मानव भागीदारी के बिना अपने आसपास को समझने और संचालन करने में सक्षम है। यह ADAS जैसी तकनीकों से लैस हैं और इसमें मानव यात्री को किसी भी समय वाहन को नियंत्रित करने की आवश्यकता नहीं होती है, न ही मानव यात्री को वाहन में उपस्थित होने की आवश्यकता होती है।
      • स्वायत्त ड्राइविंग का तात्पर्य स्व-चालित वाहनों से भी हो सकता है।
  • स्वायत्त ड्राइविंग के स्तर:
    • ऑटोमोटिव इंजीनियर्स सोसायटी (SAE) ड्राइविंग ऑटोमेशन के 6 स्तरों को 0 (पूरी तरह से मैनुअल) से 5 (पूरी तरह से स्वायत्त) तक परिभाषित करती है।
    • भारत में कार निर्माता वर्तमान में लेवल 2 कार्यक्षमता की पेशकश पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
      • ADAS को अपनाने में वृद्धि के बावजूद, अधिकांश कार निर्माताओं के लिये लेवल 2 वर्तमान सीमा प्रतीत होती है। पूर्ण स्वायत्त ड्राइविंग (स्तर 5) तकनीकी सीमाओं से लेकर नियामक चिंताओं तक की चुनौतियों के साथ एक दूर का लक्ष्य बना हुआ है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है?

  1. औद्योगिक इकाइयों में विद्युत की खपत कम करना
  2.  सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना
  3.  रोगों का निदान
  4.  टेक्स्ट से स्पीच (Text- to- Speech) में परिवर्तन
  5.  विद्युत् ऊर्जा का बेतार संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-

(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर : (d)