डेफएक्सपो-2022 | 20 Oct 2022

प्रिलिम्स के लिये:

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, मेक इन इंडिया, IADD, हिंद महासागर क्षेत्र प्लस कॉन्क्लेव।

मेन्स के लिये:

डेफएक्सपो-2022,  इसके उद्देश्य और महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

डेफएक्सपो-2022 का 12वाँ संस्करण गुजरात के गांधीनगर में आयोजित किया जा रहा है।

डेफएक्सपो-2022:

  • परिचय:
    • डेफएक्सपो रक्षा मंत्रालय का एक प्रमुख द्विवार्षिक कार्यक्रम है, जिसमें स्थल, जल तथा वायु रक्षा प्रणालियों के साथ-साथ घरेलू सुरक्षा प्रणालियों का प्रदर्शन किया जाता है।
    • यह पहली बार चार-स्थल प्रारूप (four-venue format) में आयोजित किया जा रहा है जिसमें रक्षा में 'आत्मनिर्भरता के लिये, लोगों को संलग्न करने और उन्हें एयरोस्पेस और रक्षा निर्माण क्षेत्र में शामिल होने के लिये प्रेरित करना शामिल है।
    • इसका उद्देश्य घरेलू रक्षा उद्योग की ताकत का प्रदर्शन करना है जो अब सरकार और राष्ट्र के 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' संकल्प को मज़बूती प्रदान कर रहा है।
    • यह विशेष रूप से भारतीय कंपनियों के लिये पहला संस्करण है।
  • थीम: गर्व का मार्ग।

प्रमुख बिंदु:

  • यह भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता (IADD) के दूसरे संस्करण की मेज़बानी करेगा, जिसमें 53 अफ्रीकी देशों को आमंत्रित किया जाएगा।
    • भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता, क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद का मुकाबला करने जैसे क्षेत्रों सहित आपसी जुड़ाव के लिये अभिसरण के नए क्षेत्रों का पता लगाएगा।
    • अफ्रीका के प्रति भारत का दृष्टिकोण कंपाला सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है।
  • लगभग 40 देशों की भागीदारी के साथ अलग हिंद महासागर क्षेत्र प्लस (IOR+) सम्मेलन में भारत अपने सैन्य हार्डवेयर को विभिन्न देशों में पेश करेगा।
  • यह सात नई रक्षा कंपनियों के गठन के एक वर्ष के उत्सव को भी चिह्नित करेगा, जो पूर्ववर्ती आयुध कारखानों से बनी हैं।
    • ये सभी कंपनियाँ पहली बार डेफएक्सपो में भाग लेंगी।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रक्षा क्षेत्र में सुधार:

  • FDI सीमा में संशोधन: स्वचालित मार्ग के तहत रक्षा विनिर्माण में FDI की सीमा 49% से बढ़ाकर 74% कर दी गई है।
  • परियोजना प्रबंधन इकाई (PMU): सरकार से एक परियोजना प्रबंधन इकाई (अनुबंध प्रबंधन उद्देश्यों के लिये) की स्थापना के साथ समयबद्ध रक्षा उपकरणों की खरीद और त्वरित निर्णय लेने की उम्मीद की जाती है।
  • रक्षा आयात में कमी: सरकार आयात के लिये प्रतिबंधित हथियारों/प्लेटफॉर्मों की एक सूची अधिसूचित करेगी और इस प्रकार ऐसी वस्तुओं को केवल घरेलू बाज़ार से ही खरीदा जा सकता है।
    • घरेलू पूंजीगत खरीद के लिये अलग से बजट प्रावधान।
  • आयुध निर्माण बोर्ड का निगमीकरण: इसमें कुछ इकाइयों की सार्वजनिक सूची शामिल होगी, जो डिज़ाइनर और अंतिम उपयोगकर्त्ता के साथ विनिर्माता के अधिक कुशल इंटरफेस को सुनिश्चित करेगा।

स्रोत: द हिंदू