विश्व भर में हो रही है पर्यावरणविदों की हत्या | 07 Aug 2019

चर्चा में क्यों?

ऑस्ट्रेलिया के एक विश्वविद्यालय के अध्ययनकर्त्ताओं द्वारा किये गए एक हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई है कि बीते 15 वर्षों के अंतर्गत भारत सहित विश्व के 50 देशों में प्राकृतिक संसाधनों जैसे- भूमि, जंगल, पानी आदि की रक्षा करते हुए लगभग 1,558 लोगों की हत्या कर दी गई।

प्रमुख बिंदु :

  • यह अध्ययन ‘नेचर सस्टेनेबिलिटी’ (Nature Sustainability) नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया था।
  • अध्ययन के अनुसार, उपरोक्त सभी मामलों में से मात्र 10 प्रतिशत मामलों में ही अब तक सज़ा सुनाई गई है।
  • प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के चलते होने वाली हत्याओं में से अकेले 39 प्रतिशत हत्याएँ सिर्फ ब्राज़ील में ही देखने को मिली हैं।
  • इसके अलावा फिलीपींस (Philippines), कोलंबिया (Columbia) और होंडुरास (Honduras) अन्य तीन ऐसे देश हैं, जहाँ वर्ष 2002 से 2017 के बीच 100 से ज्यादा पर्यावरणविदों की हत्या कर दी गई थी।
  • मरने वाले लोगों में अधिकतर वकील, पत्रकार और पारंपरिक समुदाय के लोग ही शामिल हैं।
  • पर्यावरणविदों की हत्याओं के अधिकांश मामले खनन उद्योग और कृषि व्यवसाय से ही जुड़ी हुए थे।
  • अनुसंधानकर्त्ताओं ने यह संकेत दिया है कि उन देशों में पर्यावरण-रक्षकों की मौत का आँकड़ा अधिक है जहाँ भ्रष्टाचार और कानूनों में लचीलापन ज़्यादा है।

क्या कारण हैं इन घटनाओं के पीछे?

  • अध्ययनकर्त्ताओं के मुताबिक, भ्रष्टाचार और कानूनों को लागू करने में लचीलापन ही इन घटनाओं के प्रमुख कारक हैं।
  • पर्यावरण की रक्षा करना किसी युद्ध क्षेत्र में कार्यरत होने से भी ज्यादा घातक हो गया है।
  • सामान्यतः यह देखा जाता है कि संसाधनों का उपयोग करने के क़ानूनी अधिकार न होने के बावजूद भी कंपनियों या अन्य लोगों द्वारा उनका दोहन करने के कारण ही ऐसे विवाद उत्पन्न होते हैं।
  • कई अन्य विवादों में यह भी देखा गया है कि राष्ट्रीय उद्यानों या समुद्री क्षेत्रों के संरक्षण के नाम पर वहाँ के पारंपरिक निवासियों को उस क्षेत्र से अलग कर दिया गया है।
  • केन्या के स्वदेशी सेंगवर (Sengwar) समुदाय के लोगों को उनकी पारंपरिक भूमि से अलग करने का विवाद इस संदर्भ में प्रमुख उदाहरण है।

स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन)