विश्व व्यापार संगठन में ‘हानिकारक मत्स्यपालन सब्सिडियों’ का मुद्दा | 28 Oct 2017

संदर्भ

हाल ही में व्यापार, निवेश और विकास संबंधी मुद्दों को नियंत्रित करने वाली संयुक्त राष्ट्र की प्रधान एजेंसी के प्रमुख द्वारा दिये गए एक वक्तव्य के अनुसार, दिसम्बर 2017 में अर्जेंटीना के ब्यूनोस आइरेस (Buenos Aires) में होने वाली विश्व व्यापार संगठन के उच्चस्तरीय निर्णय निकाय की बैठक (जिसे मंत्रिस्तरीय सम्मेलन कहा जाता है) में ‘हानिकारक मत्स्यपालन सब्सिडियों’ (harmful fisheries subsidies) के निराकरण पर समझौता होने की संभावना जताई जा रही है।

प्रमुख बिंदु

  • इस बैठक में हानिकारण मत्स्यपालन सब्सिडियों के निराकरण संबंधी मुद्दे को उठाया जाएगा। हालाँकि, विश्व व्यापार संगठन के सदस्य राष्ट्र पहले से ही इस संदर्भ में विचार-विमर्श तथा वार्ताएँ कर रहे हैं, जिसका तात्पर्य यह है कि उनके पास समझौते का आधार उपलब्ध होगा। दरअसल, इस बैठक में चर्चा का विषय बनने वाले अन्य मुद्दें कौन से होंगे, इस पर अभी तक स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। 
  • अनुमान है कि विश्व भर में हानिकारक मत्स्यपालन सब्सिडियों (जो अत्यधिक मत्स्यपालन में योगदान करती हैं) 35 बिलियन डॉलर की हैं।
  • इस बैठक में खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य से सार्वजनिक भंडारण के मुद्दे के स्थायी समाधान पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा अथवा नहीं, यह स्पष्ट नहीं हुआ है। दरअसल, यह मुद्दा विकासशील देशों (जिनमें भारत भी शामिल है) के लिये अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।    

ई- कॉमर्स संबंधी कोई वार्ता नहीं

  • इस बैठक में दोहा चक्र की वार्ताओं के समान नए मुद्दों (जैसे कि ई-कॉमर्स, सेवाओं में व्यापार को बढ़ावा और निवेश प्रोत्साहन) की शुरुआत की संभावना पर संशय व्यक्त किया जा रहा है।
  • वर्तमान में अनेक विकासशील देशों का मुख्य तर्क यह है कि दोहा चक्र के दौरान पहले ही इस प्रकार के मुद्दों को उठाया जा चुका है। अतः नए मुद्दों को विश्व व्यापार संगठन के समक्ष प्रस्तुत करने से पूर्व इन मुद्दों का समाधान किये जाने की आवश्यकता है।
  • यह देखा गया है कि अधिकांश विकासशील राष्ट्र विश्व व्यापार संगठन में ई-कॉमर्स पर वार्ता करने के लिये तैयार नहीं हैं। वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि विश्व व्यापार संगठन के नियमों के दायरे में न रहकर भी ई-कॉमर्स आर्थिक विकास का एक मापदंड है।
  • विश्व व्यापार संगठन का कहना है कि इसका निर्णय सदस्य राष्ट्रों को लेना होगा कि मंत्रिस्तरीय परिषद में किन मुद्दों को उठाया जाना चाहिये। हालाँकि ऐसा संभव है कि राष्ट्र इन मुद्दों से अभी अवगत न हों फिर भी इन्हें विश्व व्यापार संगठन के समक्ष उजागर किया जाना चाहिये, ताकि जल्द ही इनका समाधान किया जा सके।
  • 24 अक्टूबर को विश्व व्यापार संगठन की मंत्रिस्तरीय बैठक के लिये विश्व व्यापार संगठन के सभी सदस्य देशों की बैठक में इसके निदेशक रॉबर्टो एज़ेवेडो ने मंत्रिस्तरीय बैठक के समक्ष मुद्दों को उठाए जाने से पूर्व उनकी व्यावहारिकता से रूबरू होने को कहा है।  
  • यह अपेक्षा की जा रही है कि ब्यूनोस आइरेस की बैठक में विश्व व्यापार संगठन के सदस्य राष्ट्र व्यापार व्यवस्था के मज़बूतीकरण को लेकर अपनी प्रतिबद्धता ज़ाहिर करेंगे तथा भविष्य में ऐसे ही अनेक संभावित मुद्दों के स्थायी समाधान के विकल्प तलाशेंगे।   

‘हानिकारक मत्स्यपालन सब्सिडी’ का मुद्दा

  • सब्सिडी निजी क्षेत्रों (जो कि सार्वजानिक उद्देश्य के तहत कार्य करते हैं) को दी जाने वाली सरकारी आर्थिक सहायता है। यह प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष भुगतान, आर्थिक छूट, सरकार द्वारा निजी फर्मों को दी जाने वाली सुविधाओं के रूप में उपलब्ध कराई जाती है। 
  • मत्स्यपालन सब्सिडी सरकार द्वारा किया जाने वाला हस्तक्षेप है, जोकि मत्स्यपालन क्षेत्र को प्रभावित करता है परन्तु इसका आर्थिक महत्त्व भी होता है। सब्सिडी को ऐसे कार्य के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें इसे प्राप्त करने वाला व्यक्ति निजी मत्स्यपालन उद्योग का भाग हो न कि सरकारी उद्योग का।   
  • इन सब्सिडियों का तात्पर्य यह है कि कर का भुगतान करने वाले व्यक्ति पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं तथा संवेदनशील तटीय प्रजातियों की खाद्य सुरक्षा और उनके आजीविका के साधन को नुकसान पहुँचाते हैं। इसी कारण मत्स्यपालन सब्सिडी को ‘हानिकारक सब्सिडी’ माना जाता है।
  • मत्स्यपालन उद्योग मत्स्यपालन के सभी उत्पादक उपक्षेत्रों को प्रदर्शित करता है जैसे-सभी प्रकार के आगत उद्योग (जिसमें परिवहन और अन्य समर्थक सेवाएँ जैसे मछलियों को पकड़ना, उनका पालन, भंडारण और विपणन शामिल हैं)। यह छोटे और वृहद स्तर पर सभी उत्पादकों और संचालकों को कवर करता है, जो कि  मनोरंजन, जीवन निर्वाह और वाणिज्यिक गतिविधियों के लिये इसमें संलग्न रहते हैं।