चित्र शब्द विधि | 05 Aug 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रकाशित एक शोध-पत्र में यह दावा किया गया है कि सिंधु सभ्यता के शिलालेखों की तुलना आधुनिक काल के टिकटों, कूपन, टोकन और मुद्रा सिक्कों पर संरचित संदेशों से की जा सकती है।

  • द्विभाषी ग्रंथों की अनुपस्थिति, शिलालेखों की अत्यधिक संक्षिप्तता और सिंधु शिलालेखों की भाषा के बारे में अज्ञानता के कारण अभी तक इन शिलालेखों को पढ़ा नहीं जा सका है।

Indus Script

परिणाम

  • हाल ही में पालग्रेव कम्युनिकेशंस (Palgrave Communications) नामक एक जर्नल में प्रकाशित शोध-पत्र में यह दावा किया गया कि सिंधु घाटी के अधिकांश शिलालेखों को रेखांकन (शब्द चिह्नों का उपयोग करके) प्रतीक चिह्नों द्वारा लिखा गया था, न कि फोनोग्राम्स (भाषण ध्वनि इकाइयों) का उपयोग करके।
  • शोध पत्र मुख्य रूप से इस बात पर केंद्रित है कि सिंधु शिलालेख ने किस अर्थ को व्यक्त किया, बजाय इसके कि उन्होंने क्या संदेश दिया।
  • कुछ प्रशासनिक क्रियाकलापों में उत्कीर्ण मुहरों और तख्तों/पटियों (tablets) का उपयोग किया गया था जो प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilisation) के वाणिज्यिक लेन-देन को नियंत्रित करते थे।
  • शोध पत्र के अनुसार, हालाँकि कई प्राचीन लिपियाँ नए शब्दों को उत्पन्न करने के लिये चित्र शब्द विधि का उपयोग करती हैं, सिंधु मुहरों और तख्तों/पटियों (tablets) पर पाए गए शिलालेखों में किसी शब्द के अर्थ को व्यक्त करने के लिये चित्र शब्द विधि का उपयोग नहीं किया गया है।
  • शोध में उन लोकप्रिय परिकल्पना को भी खारिज कर दिया गया जिसमें कहा गया है कि मुहरों को उनके मालिकों के प्रोटो-द्रविड़ियन (Proto-Dravidian) या प्रोटो-इंडो-यूरोपीय (Proto-Indo-European) नामों के साथ अंकित किया गया था।

चित्र शब्द विधि

Rebus Method

  • कुछ विद्वानों के बीच एक आम धारणा यह है कि सिंधु लिपि logo-syllabic अर्थात् प्रतीक चिन्हों पर आधारित शब्दांश है, जहाँ एक प्रतीक को एक समय में शब्द संकेत के रूप में और दूसरे समय में शब्दांश-संकेत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • इस विधि में, जहाँ एक शब्द-प्रतीक को भी कभी-कभी केवल अपने ध्वनि मूल्य के लिये उपयोग किया जाता है, को चित्र शब्द विधि सिद्धांत कहा जाता है।
    • "विश्वास" (मधुमक्खी+पत्ती) शब्द को दर्शाने के लिये एक मधुमक्खी के चित्र को एक पत्ती के साथ जोड़ा जा सकता है।

स्रोत: द हिंदू