डेब्ट-फॉर-क्लाइमेट स्वैप | 05 May 2023

प्रिलिम्स के लिये:

डेब्ट-फॉर-क्लाइमेट स्वैप, पेरिस समझौता, विकासशील छोटे द्वीपीय राज्य

मेन्स के लिये:

जलवायु वित्त का महत्त्व, जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिये डेब्ट-फॉर-क्लाइमेट स्वैप का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है जो सभी को प्रभावित करती है, लेकिन यह कुछ देशों को दूसरों की तुलना में अधिक प्रभावित करती है। दुर्भाग्य से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति सबसे संवेदनशील देश अकसर अपने लचीलेपन को दृढ़ करने के लिये आवश्यक निवेश को वहन करने में सबसे कम सक्षम होते हैं।

  • यह इन देशों को लंबे समय तक वित्तीय संकट का सामना करने के खतरे में डालता है, जिससे उन्हें अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की सहायता पर विश्वास करने के लिये मजबूर होना पड़ता है।
  • डेब्ट-फॉर-क्लाइमेट स्वैप एक नवाचारी वित्तीय लिखत है जिसका उद्देश्य जलवायु निवेश के लिये राजकोषीय विस्तार के साथ इस मुद्दे को संबोधित करना है।

डेब्ट-फॉर-क्लाइमेट स्वैप:

  • परिचय:
    • डेब्ट-फॉर-क्लाइमेट स्वैप ऋणी देशों को अपने ऋण बोझ को कम करते हुए जलवायु पर सार्थक कार्रवाई करने के लिये प्रोत्साहित कर सकते हैं।
    • इन स्वैपों में नीतिगत प्रतिबद्धताओं या कर्ज़दार देशों द्वारा किये गए व्यय के बदले ऋण को कम करना शामिल है।
      • आधिकारिक द्विपक्षीय देश और वाणिज्यिक ऋण दोनों डेब्ट-फॉर-क्लाइमेट स्वैप में शामिल हो सकते हैं।
      • द्विपक्षीय डेब्ट स्वैप में जलवायु कार्रवाई जैसे क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से सहमत परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये आधिकारिक द्विपक्षीय लेनदारों को पहले से प्रतिबद्ध ऋण सेवा भुगतानों को पुनर्निर्देशित करना शामिल है।
      • पिछले एक दशक में निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बीच डेब्ट-फॉर-क्लाइमेट स्वैप अपेक्षाकृत लोकप्रिय हुआ है।
      • बहुपक्षीय विकास बैंक और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) जैसे बहुपक्षीय संगठन ऋण-राहत उपाय के रूप में इस साधन की वकालत करते रहे हैं।
  • इतिहास:
    • डेब्ट-फॉर-क्लाइमेट स्वैप नेचर-फॉर-डेब्ट स्वैप का एक रूप है, जिसे पहली बार वर्ष 1980 के दशक में जैवविविधता के संरक्षण और ऋण राहत के बदले में उष्णकटिबंधीय वनों की रक्षा के लिये प्रस्तावित किया गया था।
    • पहली नेचर-फॉर-डेब्ट स्वैप वर्ष 1987 में बोलिविया और एक गैर-सरकारी संगठन कंज़र्वेशन इंटरनेशनल के बीच की गई थी।
    • 2000 के दशक में डेब्ट-फॉर-क्लाइमेट स्वैप एक व्यापक अवधारणा के रूप में उभरा, जिसमें न केवल प्रकृति संरक्षण बल्कि जलवायु शमन और अनुकूलन भी शामिल है।
    • जलवायु के बदले पहला ऋण वर्ष 2006 में जर्मनी और इंडोनेशिया के बीच लागू किया गया था, बाद में ऋण राहत के बदले में इसे वनों की कटाई और वन क्षरण से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने (Reduce Greenhouse gas Emissions from Deforestation and Forest Degradation (REDD+) हेतु प्रतिबद्ध किया गया था।
  • लाभ:
    • लेनदारों हेतु:
      • जलवायु के बदले ऋण का आदान-प्रदान उनके विकास सहयोग और जलवायु वित्त उद्देश्यों को बढ़ा सकता है, उनकी ऋण वसूली की संभावनाओं में सुधार कर सकता है एवं ऋणी देशों के साथ उनके राजनयिक संबंधों को मज़बूत कर सकता है।
    • देनदारों हेतु:
      • जलवायु हेतु ऋण का आदान-प्रदान उनके बाहरी ऋण स्टॉक और सेवा को कम कर सकता है, अन्य विकास आवश्यकताओं हेतु वित्तीय संसाधनों को मुक्त कर सकता है, जलवायु कार्रवाई में उनके घरेलू निवेश को बढ़ा सकता है, साथ ही उनके पर्यावरण तथा सामाजिक परिणामों में सुधार कर सकता है।
    • दोनों पक्षों हेतु:
      • जलवायु के बदले ऋण का आदान-प्रदान आपसी विश्वास एवं सहयोग को बढ़ावा दे सकता है, जो समाधान के साथ-साथ पेरिस समझौते और सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के वैश्विक प्रयासों में योगदान कर सकता है।
  • चुनौतियाँ:
    • लेनदार देश मुख्यतः जलवायु के लिये ऋण का आदान-प्रदान करने से हिचकिचाते हैं जब तक कि उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिये तैयार नहीं किया जाता है कि जलवायु कार्रवाई के प्रति सार्वजनिक व्यय प्रतिबद्धता शेष ऋण सेवा के मूल्य से बेहतर है।
      • हालाँकि सशर्त जलवायु अनुदानों को तैयार और संरचित किया जाता है ताकि उन्हें डायवर्ट करना असंभव हो जो केवल जलवायु निवेश के उद्देश्य हेतु लक्षित हैं।

ऋणदाता देशों की डेब्ट-फॉर-क्लाइमेट स्वैप में संलग्नता:

  • लेनदार देशों को जलवायु हेतु डेब्ट-फॉर-क्लाइमेट स्वैप में संलग्न होना चाहिये क्योंकि पेरिस समझौते और ग्लासगो फाइनेंशियल एलायंस फॉर नेट ज़ीरो (GFANZ), वित्तीय संस्थानों के एक वैश्विक गठबंधन के हस्ताक्षरकर्त्ताओं की प्रतिबद्धता स्वच्छ, जलवायु-लचीला भविष्य बनाने के लिये विकासशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
    • डेब्ट-फॉर-क्लाइमेट स्वैप अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का एक तरीका है।

डेब्ट-फॉर-क्लाइमेट स्वैप छोटे द्वीपीय देशों हेतु सहायक:

  • छोटे द्वीप विकासशील राज्य (SIDS) दो चुनौतियों का सामना करने हेतु डेब्ट-फॉर-क्लाइमेट स्वैप पर नज़र रख रहे हैं: बढ़ते जलवायु जोखिम के अनुकूल होना एवं वित्तीय संकट से उबरना।
    • जलवायु के लिये ऋण के आदान-प्रदान में भाग लेकर SIDS अपने बाहरी कर्ज़ को कम कर सकता है और जलवायु कार्रवाई सहित अन्य विकासात्मक ज़रूरतों के लिये वित्तीय संसाधनों को मुक्त कर सकता है। इससे उन्हें जलवायु कार्रवाई में अपने घरेलू निवेश को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ