स्वच्छ भारत अभियान के दायरे में अब साइबर संसार भी | 25 Feb 2017

समाचारों में क्यों? 

गौरतलब है कि आज विभिन्‍न क्षेत्रों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका और इंटरनेट के जरिये लेन-देन एवं डेटा के आदान-प्रदान में हो रही वृद्धि के साथ-साथ डिजिटल इंडिया की दिशा में तेजी से बढ़ते हमारे कदमों को देखते हुए साइबर सुरक्षा सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारक के रूप में उभर कर सामने आया है। भारत सरकार ने साइबर सुरक्षा के महत्त्व को पहचानते हुए ‘स्‍वच्‍छ भारत’ अभियान का दायरा बढ़ाकर इसमें साइबर वर्ल्‍ड को भी सम्मिलित कर लिया है और नेटवर्कों एवं प्रणालियों को बुरी तरह प्रभावित करने वाले मालवेयर तथा बॉटनेट के विश्‍लेषण के लिये एक साइबर स्‍वच्‍छता केंद्र-बॉटनेट क्‍लीनिंग एवं मालवेयर विश्‍लेषण केंद्र का शुभारंभ किया है।

क्यों इतना महत्त्वपूर्ण है यह प्रयास?

  • विदित हो कि यह उपक्रम इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान का एक हिस्‍सा है, जिसका उद्देश्‍य भारत में बॉटनेट के संक्रमण का पता लगाकर एक सुरक्षित साइबर स्‍पेस का सृजन करना और उपयोगकर्ताओं की प्रणालियों को सुरक्षित करना है, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
  • इस केंद्र का परिचालन इंडियन कंप्यूटर एमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-इन) द्वारा किया जा रहा है। इस केंद्र का लक्ष्‍य सरकार और उद्योग जगत के बीच आपसी समन्‍वय को बढ़ाना है, ताकि सभी उपयोगकर्ताओं के बीच साइबर सुरक्षा को प्रोत्‍साहित किया जा सके और इसके साथ ही भारत में एक सुदृढ़ एवं सुरक्षित इंटरनेट परितंत्र का सृजन भी किया जा सके।
  • दरअसल, साइबर खतरों से निपटना कोई ऐसा कार्य नहीं है जो सिर्फ सरकार अथवा किसी संगठन अथवा किसी व्‍यक्‍ति द्वारा ही संपन्‍न किया जाए। इसके लिये भागीदारी की अवधारणा को अपनाने की ज़रूरत है। यह केंद्र इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और उद्योग जगत के साथ तालमेल बैठाकर काम करेगा। यह केंद्र नागरिकों के बीच बॉटनेट और मालवेयर संक्रमण के बारे में जागरूकता भी बढ़ाएगा।

क्या है बॉटनेट और मालवेयर?

  • मालवेयर एक प्रकार का सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जो कंप्यूटर के लिये खतरनाक साब‌ित हो सकता है। इस सॉफ्टवेयर को हैकर्स कंप्यूटर से पर्सनल डाटा चोरी करने के लिये विकसित करते हैं। हैकर्स की भाषा में मालवेयर टर्म का उपयोग वायरस, स्पाय वेयर और वार्म आदि के लिये किया जाता है। ये तीनों वायरस के ही रूप हैं। मालवेयर किसी के भी निजी फाइलों तक पहुँचकर उन्हें दूसरी किसी डिवाइस में ट्रांसफर कर सकता है। इसके जरिये हैकर्स सूचनाएँ, फोटो, वीडियो, बैंक या अकाउंट से जुड़ी जानकारी चुरा सकते हैं।
  • बॉटनेट सिस्टम में व्यवधान उत्पन्न करने वाला एक साफ्टवेयर नेटवर्क है जो गोपनीय सूचनाएँ चुरा सकता है। बॉटनेट उपकरण के परिचालन को नियंत्रित कर सकता है और साइबर हमले कर सकता है। कभी-कभी तो बॉटनेट अटैक इतना गंभीर होता है कि इसके बाद हम अटैक होने वाली वेबसाइट का उपयोग भी नहीं कर सकते हैं।

आम नागरिकों के लिये कैसे लाभकारी है यह कदम?

  • विदित हो कि साइबर स्‍वच्‍छता केंद्र-बॉटनेट क्‍लीनिंग एवं मालवेयर विश्‍लेषण केंद्र के माध्यम से नागरिकों के लिये कुछ उपकरणों (टूल्‍स) जारी किये गए हैं। और ये टूल्स हैं-

→ यूएसबी प्रतिरोध – यह एक डेस्‍कटॉप सिक्‍योरिटी सोल्‍यूशन है, जो यूएसबी मास स्टोरेज डिवाइस के खतरों से रक्षा करता है।
→ एपसंविद- यह एक डेस्‍कटॉप सोल्‍यूशन है, जो व्हाइट लिस्‍टिंग के जरिये वास्‍तविक एप्‍लीकेशन को इंस्‍टॉल करने की सुविधा देकर प्रणालियों की रक्षा करता है। इससे हानिकारक एप्‍लीकेशन से होने वाले खतरों की रोकथाम करने में भी मदद मिलती है।
→  एम-कवच – यह स्‍वदेश में ही विकसित किया गया एक सोल्‍यूशन है, जो किसी के मोबाइल फ़ोन में उभरने वाले सुरक्षा संबंधी खतरों का निवारण करता है।

निष्कर्ष

  • हमारा देश जैसे-जैसे तरक्की के पथ पर कदम बढ़ा रहा है ठीक वैसे-वैसे साइबर सुरक्षा का खतरा अब और भी ज़्यादा गंभीर एवं प्रत्‍यक्ष होता जा रहा है। आज आम आदमी को हैंकिंग, स्‍पैमिंग, मालवेयर और डाटा चोरी होने की समस्‍याओं का सामना करना पड़ रहा है। हालाँकि, इसके बावजूद साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूकता काफी कम है। इस दिशा में आपस में सहयोग करने के साथ-साथ साइबर स्‍वच्‍छता केंद्र जैसे और भी उपाय करने की ज़रूरत है ताकि भारत के नागरिकों के लिये एक सुदृढ़ एवं सुरक्षित साइबर वर्ल्‍ड सुनिश्‍चित किया जा सके।