साइबर प्रतिक्रिया इकाई का गठन | 18 Apr 2017

संदर्भ
गौरतलब है कि वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद् (Financial Stability and Development Council - FSDC) एक सर्वोच्च निकाय है, जिसका गठन भारत सरकार द्वारा किया गया है| इस निकाय के गठन का विचार सर्वप्रथम वर्ष 2008 में रघुराम राजन समिति द्वारा प्रस्तुत किया गया था| वर्ष 2010 में इस स्वायत्त निकाय का गठन भारत के संपूर्ण वित्तीय क्षेत्र की सूक्ष्म, विवेकपूर्ण और वित्तीय नियमितताओं को बनाए रखने के लिये किया गया|

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि हाल ही में 17 अप्रैल, 2017 को वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद् (FSDC) की उप-समिति की बैठक में सीईआरटी-वित्तीय क्षेत्र (Computer Emergency Response Team for the Financial Sector - CERT-Fin) के गठन पर विचार-विमर्श किया गया|
  • इस बैठक में वित्तीय क्षेत्र के लिये आपातकालीन कंप्यूटर प्रतिक्रिया समूह, भारत में वित्तीय शिक्षा और सूक्ष्म विवेकपूर्ण ढाँचे के राष्ट्रीय केंद्र के लिये रोडमैप का निर्माण करने जैसे मुद्दों को भी शामिल किया गया था|
  • इस उप-समिति ने वैश्विक और घरेलू स्तर पर उन सभी बड़े विकास कार्यों एवं परियोजनाओं की समीक्षा की जो देश की वित्तीय स्थिरता में बाधा उत्पन्न करते हैं|
  • रिज़र्व बैंक के गवर्नर और डिप्टी गवर्नर के अलावा इस बैठक में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India -  SEBI) के चेयरमैन अजय त्यागी, भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI)  के चेयरमैन टी. एस. विजयन, पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) के चेयरमैन हेमंत कांट्रेक्टर और वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि भी शामिल थे| 
  • आपातकालीन प्रतिक्रिया समूह के गठन का निर्णय वित्तीय व्यवस्था में निरंतर बढ़ते साइबर हमलों के कारण किया गया है|
  • रिज़र्व बैंक के द्वारा पहले ही साइबर सुरक्षा की तैयारी के लिये बैंकों का विस्तृत आई.टी. परीक्षण, अंतरालों की पहचान करने और उपचारात्मक उपायों की प्रगति की निगरानी का संचालन करने के लिये अपने पर्यवेक्षण विभाग के अंतर्गत एक विशेष सेल (C-SITE) का गठन किया जा चुका है| 
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 2016-17 में 30 से अधिक बैंकों को इस विस्तृत आई.टी. परीक्षण के तहत कवर किया गया है| साथ ही इसके अंतर्गत सभी बैंकों को वर्ष 2017-18 के अंत तक कवर करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है| 

भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण

  • इरडा एक स्वायत सांविधिक एजेंसी है जिसका कार्य भारत में बीमा और पुनः बीमा करने वाले उद्योगों का नियमन करना और उन्हें बढ़ावा देना है|
  • इसे बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम,1999 के तहत भारत सरकार द्वारा गठित किया गया था|

पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण

  • यह एक पेंशन नियामक है जिसका गठन भारत सरकार द्वारा वर्ष 2003 में किया गया था| 
  • यह प्राधिकरण वृहद आय सुरक्षा को बढ़ावा प्रदान करने का कार्य करता है| साथ ही यह पेंशन फंड जैसी योजनाओं का संचालन करके इन योजनाओं के ग्राहकों के हितों की रक्षा भी करता है| 

प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड

  • भारतीय प्रतिभूति और नियामक बोर्ड भारत में प्रतिभूति बाज़ार का एक नियामक है| 
  • इसका गठन वर्ष 1988 में किया गया था|
  • इसे सेबी अधिनियम,1992 के माध्यम से वर्ष 1992 में वैधानिक शक्तियाँ सौंपी गई|