जल कीटाणुरोधी प्रणाली ‘ओनीर’ | 20 Oct 2018

चर्चा में क्यों?

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद के भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (CSIR-IITR), लखनऊ ने ट्रेडमार्क ‘ओनीर’ (OneerTM) के तहत एक अभिनव प्रौद्योगिकी ‘पेयजल कीटाणुशोधन प्रणाली’ विकसित की है। 

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • यह प्रणाली जल का निरंतर उपचार करती है और बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया, वायरस, कवक, प्रोटोजोआ, सिस्ट आदि को नष्ट करती है ताकि घरेलू एवं सामुदायिक पेयजल के लिये (BIS, WHO आदि द्वारा) निर्धारित राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जा सके।
  • यह प्रौद्योगिकी विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिये काफी मददगार साबित होगी क्योंकि यह सौर ऊर्जा से संचालित हो सकती है।
  • इसका विकास 'मेक इन इंडिया' मिशन के तहत किया गया है।

भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान

  • भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ की स्थापना 1965 में हुई।
  • यह वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद की संघटक प्रयोगशाला है। 
  • IITR विषविज्ञान के प्रमुख क्षेत्रों में शोध संचालित करती है। इसमें औद्योगिक और पर्यावरण संबंधी रसायनों के मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव एवं वायु,जल एवं मिट्टी में प्रदूषकों प्रभाव संबंधी शोध सम्मिलित हैं।

IITR के उद्देश्य

  • उद्योग, कृषि एवं दैनिक जीवन में उपयोग में लाए जाने वाले रसायनों की सुरक्षात्मकता का मूल्यांकन करना। 
  • विषाक्त रसायनों/प्रदूषकों की क्रिया विधि को निर्धारित करना। 
  • प्रदूषकों से स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की सुरक्षा हेतु उपचारात्मक/निवारक उपायों का सुझाव देना।
  • रसायन उद्योगों, खानों, कृषि क्षेत्रों एवं पर्यावरण में जोखिम के कारण होने वाले स्वास्थ्य खतरों की पहचान करना। 
  • विभिन्न रसायनों के कारण उत्पन्न विकारों की सहज/शीघ्र नैदानिक जाँच करना। 
  • विषाक्त रसायनों की सूचना का संग्रहण, भंडारण एवं प्रसार करना। 
  • औद्योगिक एवं पर्यावरण संबंधी समस्यांओं से निपटने हेतु मानव संसाधन विकसित करना। 
  • रसायनों, योज्य तथा उत्पादों की सुरक्षा/विषाक्तता के संदर्भ में प्रश्नों और चिंताओं हेतु चर्चा करने के लिये जनता और उद्यमियों को मंच उपलब्ध कराना।