भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में क्रिसिल का पूर्वानुमान | 02 Aug 2019

चर्चा में क्यों?

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Crisil) ने वित्तीय वर्ष चालू वित्त वर्ष के लिये भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) विकास दर के अनुमान में 20 आधार अंकों की कमी है। क्रिसिल द्वारा भारत की GDP विकास दर के 6.9 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • GDP के पूर्वानुमान में यह कटौती कमज़ोर मानसून, धीमी वैश्विक वृद्धि और हाई फ्रीक्वेंसी डेटा (High-Frequency Data) की खराब गुणवत्ता के कारण की गई है।
  • क्रिसिल के पूर्वानुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की प्रथम तिमाही (अप्रैल-जून) में मंदी के प्रभाव अधिक स्पष्ट परिलक्षित होंगे जबकि दूसरी छमाही में अपेक्षित मौद्रिक छूट (Monetary Easing), उपभोग में वृद्धि और सांख्यिकीय आधार प्रभाव में कमी (Statistical Low-Base Effect) के कारण अर्थव्यवस्था में सुधार होने का अनुमान है।
  • इसके अनुसार कॉर्पोरेट क्षेत्र की वृद्धि दर में धीमापन आने का (8%) तक कम होने का अनुमान है जो पिछले दो वर्षों की तुलना में कम है। इसके अनुसार कॉर्पोरेट लाभ (Corporate Profits) में वृद्धि होने जबकि राजस्व वृद्धि में कमी का अनुमान है।
  • क्रिसिल जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2016-17 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 8.2 प्रतिशत की शानदार वृद्धि की थी।
  • रिपोर्ट के अनुसार बैंकिंग क्षेत्र के NPA में वित्तीय वर्ष 2019-2020 के अंत तक 8% तक की कमी आने का अनुमान है जिसका आधार पुनर्प्राप्तियों में वृद्धि और अतिरिक्त NPA में कमी होना है। क्रेडिट वृद्धि दर के 14% तक रहने की उम्मीद है जो पिछले पाँच वर्षों में सबसे अधिक है।
  • इसके अनुसार पूंजी निवेश सामान्यतः मध्यमावधि में सार्वजनिक व्यय (सरकार और सार्वजनिक उद्यमों द्वारा व्यय) द्वारा संचालित किया जाएगा जबकि समग्र निवेश में निजी निवेश की हिस्सेदारी में कमी रहने की उम्मीद है।

भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार   

  • गौरतलब है कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने भी जून माह में वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिये आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर सात प्रतिशत कर दिया था। घरेलू गतिविधियों में सुस्ती और वैश्विक व्यापार युद्ध को देखते हुए केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया था।
  • इससे पहले केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2018-19 में भारत की GDP वृद्धि पाँच साल के न्यूनतम स्तर पर रही और जनवरी-मार्च तिमाही में यह 5.8 प्रतिशत तक पहुँच गई थी।

हाई फ्रीक्वेंसी डेटा 

  • हाई फ्रीक्वेंसी डेटा अत्यंत शुद्ध पैमाने पर एकत्रित समयबद्ध डेटा को संदर्भित करता है। 
  • हाल के दशकों में उन्नत कम्प्यूटेशनल तकनीक के परिणामस्वरूप इस डेटा को विश्लेषण के लिये एक कुशल दर पर सटीक रूप से एकत्र किया जा सकता है।
  • इस डेटा का प्रयोग वित्तीय विश्लेषण और बाज़ार के व्यवहार को समझने में किया जाता है।

स्रोत: द हिंदू