ओपन जनरल एक्सपोर्ट लाइसेंस | 04 Nov 2019

प्रीलिम्स के लिये:

ओपन जनरल एक्सपोर्ट लाइसेंस

मेन्स के लिये:

रक्षा निर्यात बढ़ाने हेतु किये गए उपाय, भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी का निर्यात

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने रक्षा निर्यातों (Defence Exports) को बढ़ावा देने के लिये दो ओपन जनरल एक्सपोर्ट लाइसेंसों (Open General Export Licences-OGELs) को मंज़ूरी दी है।

प्रमुख बिंदु

  • OGEL किसी कंपनी को एक विशिष्‍ट अवधि के लिये एक बार दिया जाने वाला निर्यात लाइसेंस है। प्रारंभ में इसकी अवधि दो वर्ष होती है।
  • रक्षा उत्पादन विभाग (Department of Defence Production-DPP) द्वारा OGELकी मांग हेतु आवेदन के प्रत्येक मामले पर पृथक विचार किया जाएगा।
  • इन दो OGEL द्वारा चयनित देशों को कुछ पुर्जों और घटकों के निर्यात तथा रक्षा प्रौद्योगिकी की अंतर-कंपनी (Intra-company) हस्‍तांतरण की अनुमति दी गई है।
  • OGEL के तहत अनुमति प्राप्‍त देशों की सूची में बेल्जियम, फ्राँस, जर्मनी, जापान, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, स्वीडन, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, इटली, पोलैंड और मेक्सिको शामिल हैं।
  • लाइसेंस प्राप्त करने के लिये आवेदक के पास आयात-निर्यात प्रमाण-पत्र होना अनिवार्य है।
  • इसमें OGEL के तहत सभी लेन-देनों की प्रत्‍येक तिमाही और वार्षिक रिपोर्टों को जाँच एवं निर्यात के बाद सत्यापन हेतु DPP को प्रस्तुत किये जाने की भी बात कही गई है।

OGEL में शामिल वस्तुएँ

  • OGEL में ऊर्जावान और विस्फोटक सामग्री के बिना गोला-बारूद और फ्यूज़ सेटिंग उपकरणों के घटक।
  • अग्नि नियंत्रण और संबंधित खतरे की सूचना तथा चेतावनी से संबंधित उपकरण एवं संबंधित अन्य प्रणाली।
  • शारीरिक सुरक्षा संबंधी वस्तुएँ।

OGEL से बाहर रखी गई वस्तुएँ

  • संपूर्ण विमान या संपूर्ण मानव रहित विमानों (UAVs) और UAV के लिये विशेष रूप से संशोधित या डिज़ाइन किये गए घटकों को इस लाइसेंस से बाहर रखा गया है।
  • OGEL के तहत 'विशेष आर्थिक क्षेत्रों' (SEZs) में वस्तुओं के निर्यात की अनुमति नहीं दी जाएगी।
  • इसके अलावा अन्‍य देशों को प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिये अंतर-कंपनी हस्तांतरण की शर्त जोड़ी गई है अर्थात् निर्यात किसी भारतीय सहायक कंपनी (आवेदक निर्यातक) से अपनी विदेशी मूल कंपनी अथवा विदेशी मूल कंपनी की सहायक कंपनी को होना चाहिये।

रक्षा उत्पादन विभाग

(Department of Defence Production)

  • रक्षा उत्पादन विभाग (DPP) की स्थापना नवंबर, 1962 में की गई थी।
  • इसका उद्देश्य रक्षा के लिये आवश्यक हथियारों, प्रणालियों, प्लेटफॉर्मों, उपकरणों का उत्पादन करने के लिये एक व्यापक बुनियादी ढाँचे का विकास करना है।
  • विभाग ने विभिन्न रक्षा उपकरणों के विनिर्माण के लिये आयुध कारख़ानों और सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों (DPSU) के माध्यम से व्यापक उत्पादन सुविधाएँ सुनिश्चित की हैं।
  • विभाग द्वारा विनिर्मित उत्पादों में हथियार एवं गोला-बारूद, टैंक, हेलीकॉप्टर, युद्धपोत, पनडुब्बियाँ, मिसाइलें, इलेक्ट्रानिक उपकरण, अर्थमूविंग उपकरण, विशेष मिश्र धातुएँ आदि शामिल हैं।

रक्षा अधिग्रहण परिषद

(Defence Acquisition Council-DAC)

  • सशस्त्र बलों की स्वीकृत आवश्यकताओं की शीघ्र ख़रीद सुनिश्चित करने के उद्देश्य से वर्ष 2001 में रक्षा अधिग्रहण परिषद की स्थापना की गई थी।
  • DAC की अध्यक्षता रक्षा मंत्री द्वारा की जाती है।
  • उल्लेखनीय है कि DAC अधिग्रहण संबंधी मामलों पर निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च संस्था है।

लाभ

  • विगत दो वर्षों में भारत के रक्षा निर्यात में सात गुना वृद्धि हुई है और 2018-19 में यह बढ़कर 10,500 करोड़ रुपए तक पहुँच गया है।
  • यह मानक संचालन प्रक्रिया में सुधार और आवेदनों की ऑनलाइन मंज़ूरी के लिये एक पोर्टल की शुरुआत के कारण संभव हुआ है जिससे आवेदन जाँच प्रक्रिया में लगने वाले समय में भी काफी कमी आई है।
  • OGEL का विचार भी भारतीय रक्षा निर्यातों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • इससे रक्षा निर्यातों को बढ़ावा मिलेगा और कारोबार करने की सुगमता में सुधार होगा।
  • इससे सरकार से अनुमति लेने की लंबी प्रक्रिया को छोटा किया जा सकेगा।
  • नई लाइसेंस प्रणाली से रक्षा क्षेत्र की कंपनियों की अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुँच होगी और अधिक प्रतिस्पर्द्धी उत्पादों का विनिर्माण संभव होगा।

स्रोत : द हिंदू (बिज़नेस लाइन) एवं पीआईबी