इनसाइडर ट्रेडिंग पर नियंत्रण | 21 Jan 2019

चर्चा में क्यों?


हाल ही में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India-SEBI) ने आंतरिक सूचना के आदान-प्रदान पर नियंत्रण के लिये मानदंड निर्धारित किये हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इन मानदंडों में सेबी द्वारा ऐसी कंपनी के संचालकों (Promoters) को संदर्भित किया गया है, जो अपनी कंपनी के ‘वैध उद्देश्य’ (Legitimate Purpose) एवं संवेदनशील जानकारी को छुपाते है या अप्रकाशित रखते हैं, ऐसे लोग इनसाइडर ट्रेडिंग मानदंडों के उल्लंघन के दोषी होते हैं।
  • एक संचालक (Promoter) जो आधिकारिक रूप में सलाहकार नहीं है या बोर्ड में कोई पद धारण नहीं करता है, उसे UPSI (Unpublished Price Sensitive Information) धारण करने के लिये ‘वैध उद्देश्य’ रखने वाला व्यक्ति नहीं माना जाएगा।
  • सेबी का निदेशक मंडल यह सुनिश्चित करेगा कि मामले के आधार पर एक संरचित डिजिटल डेटाबेस को किन व्यक्तियों या संस्थाओं के नाम से बनाए रखना है या किनके साथ जानकारी साझा करनी है।
  • सेबी का निर्णय टी. के. विश्वनाथन समिति की सिफारिशों के ‘निष्पक्ष बाज़ार आचरण’ (fair market conduct) पर आधारित है।

इनसाइडर ट्रेडिंग

  • इसका तात्पर्य सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनी की प्रतिभूतियों की अंदरूनी जानकारी, जो अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई है, का उपयोग कर उन्हें खरीदने या बेचने से है।
  • आतंरिक जानकारी किसी भी ऐसी जानकारी को संदर्भित करती है जिसके परिणामस्वरूप इस संदर्भ में कि किस प्रतिभूति को खरीदना या बेचना है, एक निवेशक का निर्णय पर्याप्त प्रभावित हो सकता है।

♦ उदाहरण के लिये - एक सरकारी कर्मचारी नए पारित होने वाले विनियमन के बारे में अपने ज्ञान के आधार पर काम करता है और विनियमन की जानकारी सार्वजनिक होने से कंपनी के शेयरों को खरीदकर और किसी अन्य कंपनी या फर्म को लाभान्वित कर सकता है।


कॉर्पोरेट प्रशासन

  • कॉर्पोरेट प्रशासन वह प्रणाली है जिसके द्वारा कंपनियों का प्रबंधन और नियंत्रण किया जाता है। इसमें प्रणालियों, प्रक्रियाओं और सिद्धांतों का एक सेट अथवा प्रारूप शामिल होता है जो यह सुनिश्चित करता है कि एक कंपनी अपने हितधारकों के सर्वोत्तम हित के साथ कार्य करे।
  • ‘अच्छा कॉर्पोरेट प्रशासन’ सुनिश्चित करता है -

♦ कॉर्पोरेट उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये पर्याप्त जानकारियों का खुलासा एवं प्रभावी निर्णय।
♦ व्यापारिक लेन-देन में पारदर्शिता।
♦ वैधानिक और कानूनी अनुपालन।
♦ शेयरधारक के हितों की सुरक्षा।
♦ मूल्यों और व्यवसाय के नैतिक आचरण के लिये प्रतिबद्धता।

  • हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) द्वारा प्रकाशित ग्लोबल फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट (Global Financial Stability report) यह दर्शाती है कि उभरते बाज़ारों में कॉर्पोरेट प्रशासन के मानदंडों में सुधार हुआ है, लेकिन 2006-2014 के बीच भारत के संदर्भ में इसमें गिरावट दर्ज की गई है।
  • कॉर्पोरेट प्रशासन में सुधार के लिये हालिया पहल –

कोटक पैनल की रिपोर्ट

  • उदय कोटक की अध्यक्षता में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा गठित पैनल ने कंपनियों के कॉर्पोरेट प्रशासन मानकों में सुधार के लिये कई बदलावों हेतु सुझाव दिये हैं।
  • बोर्ड के अध्यक्ष कंपनी के प्रबंध निदेशक/सीईओ नहीं हो सकते।
  • बोर्ड में न्यूनतम छह निदेशक होने चाहिये। जिसमें 50% स्वतंत्र निदेशक में से कम-से-कम एक महिला स्वतंत्र निदेशक होनी चाहिये।
  • स्वतंत्र निदेशकों के लिये न्यूनतम योग्यता और उनके प्रासंगिक कौशल की सार्वजनिक जानकारी को सुनिश्चित करना।
  • कंपनी और उसके प्रमोटरों के बीच जानकारी साझा करने के लिये एक औपचारिक चैनल का निर्माण करना।
  • सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को सूचीबद्ध विनियमन द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिये, न कि नोडल मंत्रालयों द्वारा।
  • यदि किसी भी लेखा परीक्षण में कोई त्रुटि पाई जाती है तो ऑडिटर्स को दंडित किया जाना चाहिये।
  • सेबी के पास ‘व्हिसिल ब्लोअर’ (Whistle Blowers) को प्रतिरक्षा प्रदान करने की शक्ति होनी चाहिये। कंपनियों को वार्षिक रिपोर्ट में माध्यम से दीर्घकालिक व्यापार रणनीति का खुलासा करना चाहिये।

‘उचित बाज़ार आचरण’ पर गठित टी. के. विश्वनाथन समिति द्वारा अगस्त, 2018 में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में निम्नलिखित सिफारिशें की गई :

  • इनसाइडर ट्रेडिंग पर कई सिफारिशों के बीच, दो अलग-अलग आचार संहिता का निर्माण हुआ है।

♦ सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा आतंरिक जानकारी लीक होने की समस्या से निपटने के लिये न्यूनतम मानक।
♦ मूल्य-संवेदनशील जानकारी से सम्बद्ध बाज़ार, मध्यस्थों और अन्य के लिये मानक।

  • कंपनियों को नामित व्यक्तियों के ऐसे रिश्तेदारों का विवरण रखना चाहिये जिनके साथ वह कंपनी की संवेदनशील जानकारी या वित्तीय लेन-देन संबंधी जानकारी को साझा कर सकता है।
  • ऐसी सभी जानकारियों को कंपनी द्वारा इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में सुरक्षित रखा जा सकता है, और इन्हें किसी भी मामले से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिये सेबी के साथ भी साझा किया जा सकता है।
  • समिति ने टेलीफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक संचार उपकरणों को टैप करने के लिये सेबी को प्रत्यक्ष अधिकार देने की सिफारिश की है, जिससे यह इनसाइडर ट्रेडिंग और अन्य धोखाधड़ी की जाँच कर सके।
  • वर्तमान में सेबी को केवल मोबाइल या टेलीफोन नंबर और कॉल अवधि सहित कॉल रिकॉर्ड मांगने का ही अधिकार है।

स्रोत – इंडियन एक्स्प्रेस