सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस प्रमुखों का चयन करने के लिये यूपीएससी से परामर्श लेने के आदेश दिये | 04 Jul 2018

चर्चा में क्यों?

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों द्वारा की जाने वाली कार्यवाहक (acting) पुलिस महानिदेशक (DGP) की नियुक्ति पर प्रतिबंध लगा दिया है और इस संबंध में ज़ोर देकर कहा है कि राज्य पुलिस प्रमुख की नियुक्ति संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा गठित पैनल के माध्यम से किया जाना चाहिये। कोर्ट ने कहा है कि राज्य, पद खाली होने से तीन महीने पहले UPSC को टॉप IPS अफसरों की सूची भेजेंगे। वरिष्ठता का ध्यान रखते हुए राज्य उसी अफसर को DGP बनाएंगे जिसका कार्यकाल दो साल से कम न हो।

महत्त्वपूर्ण बिंदु 

  • 2006 के प्रकाश सिंह मामले में दिये गए निर्णय का ज़िक्र करते हुए, सीजेआई दीपक मिश्रा और जस्टिस ए.एम. खानविलकर एवं डी.वाई. चन्द्रचूड की एक पीठ ने अपवाद स्वरूप कुछ राज्यों का ज़िक्र करते हुए कहा कि इन राज्यों ने डीजीपी की नियुक्ति के लिये पहले से ही कानून बनाए हैं।
  • न्यायालय ने कहा कि राज्य, प्रकाश सिंह के मामले में दिये गए फैसले को समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं|
  • 2006 में  उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि यूपीएससी द्वारा गठित पैनल द्वारा डीजीपी के चयन के बाद राज्यों को उन्हें कम-से-कम दो साल का निश्चित कार्यकाल देना होगा।
  • अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि अधिकांश राज्यों ने एक प्रणाली तैयार की है जिसके द्वारा राज्य इनकी सेवानिवृत्ति के ठीक पहले एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को डीजीपी के रूप में नियुक्त किया|
  • उन्होंने कहा कि तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और राजस्थान ने डीजीपी की  नियुक्ति के लिये उपयुक्त पुलिस अधिकारियों की सूची तैयार करने के लिये यूपीएससी से संपर्क किया था।
  • खंडपीठ ने कहा, "कोई भी राज्य किसी को भी डीजीपी के रूप में नियुक्त नहीं करेगा" और आदेश दिया कि यूपीएससी द्वारा गठित पैनल के माध्यम से ऐसे अधिकारियों का चयन किया जाएगा जिन्हें कम-से-कम दो वर्षों के कार्यकाल का लाभ मिल सके। खंडपीठ ने कहा कि सेवानिवृत्ति के कगार पर पहुँचे व्यक्तियों को आमतौर पर डीजीपी के रूप में नियुक्त नहीं किया जाना चाहिये|

क्या था प्रकाश सिंह मामला? 

  • प्रकाश सिंह मामले (2006) में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश वाई.के. सभरवाल की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश दिया था कि राज्य द्वारा यूपीएससी से परामर्श के बाद डीजीपी का चयन तीन वरिष्ठ अधिकारियों में से एक को उनकी सेवा की अवधि, पुलिस बल के नेतृत्व में बेहतर रिकार्ड और अनुभव के आधार पर किया जाएगा और एक बार चुने जाने के बाद न्यूनतम दो साल का कार्यकाल होना चाहिये।
  • कार्यरत डीजीपी को हटाए जाने के संबंध में न्यायालय ने कहा है कि राज्य सुरक्षा आयोग के परामर्श के बाद राज्य सरकार द्वारा कार्यरत डीजीपी को जिम्मेदारियों से मुक्त किया जा सकता है यदि उस पर अखिल भारतीय सेवाएँ (अनुशासन और अपील) नियम के तहत किसी आपराधिक कृत्य के लिये दोष सिद्ध किया गया हो या वह अपने कर्त्तव्यों के निर्वहन में अक्षम हो|