अधिकार प्राप्त ‘प्रौद्योगिकी समूह” | 20 Feb 2020

प्रीलिम्स के लिये:

प्रौद्योगिकी समूह क्या है, इसके कार्य एवं संबंधित तकनीकी पक्ष

मेन्स के लिये:

प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियाँ, सरकार द्वारा उठाए कदम

चर्चा में क्यों?

19 फरवरी, 2020 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक अधिकार प्राप्त ‘प्रौद्योगिकी समूह’ के गठन की मंज़ूरी दी है।

प्रमुख बिंदु

  • मंत्रिमंडल ने भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में 12 सदस्य वाले प्रौद्योगिकी समूह के गठन को मंज़ूरी दी है।
  • इस समूह को नवीनतम प्रौद्योगिकियों के बारे में समय पर नीतिगत सलाह देना, प्रौद्योगिकी और प्रौद्योगिकी उत्पादों की मैपिंग करना, राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और सरकारी अनुसंधान एवं विकास संगठनों में विकसित प्रौद्योगिकियों के दोहरे उपयोग का वाणिज्यीकरण, चुनिंदा प्रमुख प्रौद्योगिकियों के लिये स्वदेशी रोड मैप विकसित करना और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देने के लिये उचित अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों का चयन करने का अधिकार प्राप्त है।

कार्य

यह प्रौद्योगिकी समूह निम्न कार्य करेगा:

  • प्रौद्योगिकी आपूर्तिकर्त्ता के लिये विकसित की जाने वाली प्रौद्योगिकी और प्रौद्योगिकी खरीददारी रणनीति पर संभावित सर्वश्रेष्ठ सलाह देना।
  • नीतिगत पहलों और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों के उपयोग के बारे में इन-हाउस विशेषज्ञता विकसित करना।
  • सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों, राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और अनुसंधान संगठनों में विकसित/विकसित की जा रही सार्वजनिक क्षेत्र प्रौद्योगिकी की निरंतरता सुनिश्चित करना।

कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य

इस प्रौद्योगिकी समूह के कार्य के तीन स्तंभ इस प्रकार हैं:

  1. पूंजीगत सहायता,
  2. खरीदारी सहायता और
  3. अनुसंधान एवं विकास प्रस्ताव पर मदद करना।

प्रौद्योगिकी समूह निम्नलिखित कार्य सुनिश्चित करेगाः

  • कि भारत के पास आर्थिक विकास और सभी क्षेत्रों में भारतीय उद्योग के सतत् विकास के लिये नवीनतम तकनीकों के प्रभावी, सुरक्षित और संदर्भ के हिसाब से उपयोग करने के लिये आवश्यक नीतियाँ और रणनीतियाँ हों।
  • प्राथमिकताओं के आधार पर सरकार को सलाह देना और सभी क्षेत्रों में उभरती प्रौद्योगिकियों पर अनुसंधान की रणनीतियाँ तैयार करना।
  • देश भर में प्रौद्योगिकियों के अद्यतन नक्शे, इसके मौजूदा उत्पादों और विकसित की जा रही तकनीकों का रखरखाव करना।
  • चयनित महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के लिये स्वदेशीकरण रोडमैप विकसित करना।
  • सरकार को इसके प्रौद्योगिकी आपूर्तिकर्त्ता और खरीद रणनीति पर सलाह देना।
  • सभी मंत्रालयों और विभागों के साथ-साथ राज्य सरकारों को विज्ञान एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल तथा नीति पर विशेषज्ञता विकसित करने के लिये प्रोत्साहित करना। इसके लिये क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण को विकसित करने पर भी बल देना।
  • विश्वविद्यालयों और निजी कंपनियों के साथ मिलकर सभी क्षेत्रों में सहयोग एवं अनुसंधान को प्रोत्साहित करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों/प्रयोगशालाओं में सार्वजनिक क्षेत्र की प्रौद्योगिकी की स्थिरता के लिये नीतियाँ तैयार करना।
  • अनुसंधान एवं विकास के लिये प्रस्तावों के पुनरीक्षण में लागू होने वाली सामान्य शब्दावली और मानक तैयार करना।

पृष्ठभूमि

प्रौद्योगिकी क्षेत्र में पाँच महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर बल दिये जाने की आवश्यकता होती हैं:

  1. प्रौद्योगिकी के विकास के लिये साइलो-केंद्रित दृष्टिकोण।
  2. प्रौद्योगिकी मानक विकसित या लागू नहीं किये जाने से उच्च मानक से कम औद्योगिक विकास।
  3. दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों का पूरी तरह व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं हो पाना।
  4. अनुसंधान और विकास कार्यक्रम जिनका प्रौद्योगिकी विकास में पूरा इस्तेमाल नहीं किया गया।
  5. समाज और उद्योग में अनुप्रयोगों के लिये महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के मानचित्रण की आवश्यकता।

वस्तुतः इस संदर्भ में प्रौद्योगिकी समूह का गठन उपरोक्त समस्याओं को दूर करने का एक प्रयास है।

स्रोत: pib