आर्थिक असमानता में हो रही लगातार वृद्धि: विश्व असमानता रिपोर्ट | 15 Dec 2017

चर्चा में क्यों?

“वर्ल्ड इनिक्वेलिटी लैब’ ने अपनी पहली ‘विश्व असमानता रिपोर्ट’ (World Inequality Report) जारी की है, जिसके आँकड़े पूरे विश्व के लिये चिंताजनक हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार विश्व के लगभग सभी देशों में आर्थिक असमानता बढ़ रही है। 

क्या है यह रिपोर्ट?

वर्ल्ड इनिक्वेलिटी लैब से जुड़े विख्यात अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इस रिपोर्ट को तैयार किया है। इस रिपोर्ट को 1980 से 2016 के बीच के 36 वर्षों के वैश्विक आँकड़ों को आधार बनाकर तैयार किया गया है। 

क्या कहती है ‘विश्व असमानता रिपोर्ट’ ?

  • इस रिपोर्ट के अनुसार विश्व के 0.1% लोगों के पास दुनिया की कुल दौलत का 13% हिस्सा है।
  • इसके अलावा पिछले 36 वर्षों में जो नई संपत्तियाँ सृजित की गईं, उनमें से भी 27% पर सिर्फ 1% अमीरों का ही अधिकार है।
  • असमानता की गंभीरता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि आय की सर्वोच्च श्रेणी में गिने जाने वाले शीर्ष 1% लोगों की कुल संख्या महज़ 7.5 करोड़ है, जबकि सबसे नीचे के 50% लोगों की कुल संख्या 3.7 अरब है।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार उभरते हुए देशों में 1980 के बाद से किये गए आर्थिक सुधारों और नई आर्थिक नीतियों के लागू होने के बाद यह असमानता और अधिक बढ़ी है।
  • निजीकरण और आय की असमानता के चलते संपत्ति के वितरण में भी असमानता में वृद्धि हुई है।
  • इस रिपोर्ट में चेतावनी भी दी गई है कि यदि उभरते हुए देश 1980 के बाद की नीतियाँ ही जारी रखते हैं, तो भविष्य में आर्थिक असमानता के और अधिक बढ़ने की संभावना है। 
  • इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विश्व की कुल आय का 10% टैक्स-हैवंस में छिपाकर रखा गया है। 

कुछ अन्य देशों के आँकड़े 

विभिन्न देशों या क्षेत्रों के शीर्ष 10% लोग वहाँ की कुल आय में कितनी हिस्सेदारी रखते हैं, यह इस ग्राफ से समझा जा सकता है।

इस रिपोर्ट के अनुसार उत्तरी अमेरिका और यूरोप में असमानता काफी अधिक है, लेकिन यह उप-सहारा अफ्रीका, ब्राज़ील और मध्य पूर्व में अधिक गंभीर है। 

भारत के बारे में क्या कहती है रिपोर्ट ?

  • इस रिपोर्ट के अनुसार 2014 में भारत के शीर्ष 1% अमीरों के पास राष्ट्रीय आय की 22% हिस्सेदारी थी और शीर्ष 10% अमीरों के पास 56% हिस्सेदारी थी।
  • देश के शीर्ष 0.1% सबसे अमीर लोगों की कुल संपदा बढ़कर निचले 50% लोगों की कुल संपदा से अधिक हो गई है।
  • 1980 के दशक से भारतीय अर्थव्यवस्था में भारी बदलाव के बाद असमानता काफी बढ़ गई है।
  • यह रिपोर्ट कहती है कि भारत में असमानता की वर्तमान स्थिति 1947 में आज़ादी के बाद के तीन दशकों की स्थिति के बिल्कुल विपरीत है। 
  • स्वतंत्रता के बाद के तीन दशकों में आय में असमानता काफी कम हो गई थी और नीचे के 50 प्रतिशत लोगों की आमदनी राष्ट्रीय औसत से अधिक बढ़ी थी।
  • वर्ष 2016 में जो भारत में आय असमानता का स्तर उप-सहारा अफ्रीका और ब्राज़ील के स्तर जैसा है।

आगे क्या ?

  • यह रिपोर्ट बहुत से देशों में शिक्षा नीतियों, कॉर्पोरेट गवर्नेंस और वेतन संबंधी नीतियों के दोबारा आकलन की आवश्यकता पर जोर देती है।
  • आय की असमानता को रोकने के लिये यदि वैश्विक स्तर पर समन्वयात्मक प्रयास नहीं किये गए तो असमानता की स्थिति और अधिक गंभीर हो जाएगी।
  • अब समय आ गया है कि विश्व में कहीं भी किये जाने वाले निवेश का लक्ष्य आमदनी और संपत्ति की इस असमानता से निपटने और भविष्य में इसमें वृद्धि को रोकने के उद्देश्य पर केंद्रित होना चाहिये।
  • इस समस्या का एक उपाय प्रगतिशील कर व्यवस्था (Progressive Taxation) है।
  • इसका अर्थ सर्वाधिक धनी लोग ज्यादा कर दें, क्योंकि वे ज्यादा कर देने में समर्थ हैं।
  • प्रगतिशील कराधान का स्वरूप ऐसा होना चाहिये कि वह कर लगाने के बाद की असमानता के साथ–साथ कर लगाने के पहले (pre-tax inequality) की असमानता को भी कम करे, अर्थात् उच्चतम आय वाले लोगों को और अधिक आय अर्जन के प्रति हतोत्साहित किया जाए।
  • केवल कराधान में सुधार इस समस्या का समाधान नहीं है। पैराडाइज़ और पनामा पेपर्स साबित करते हैं कि धनी लोग कर चोरी में लिप्त हैं। 
  • भारत समेत पूरे विश्व को अपनी आर्थिक नीतियों में व्यापक परिवर्तन करने होंगे, तभी असमानता की यह समस्या सुलझाई जा सकती है।