सरोगेसी के ज़रिये नॉर्दर्न व्हाइट राइनो संरक्षण | 03 Feb 2024

प्रिलिम्स के लिये:

नॉर्दर्न व्हाइट राइनो, इन-विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF), सरोगेसी, भारतीय गैंडा

मेन्स के लिये: 

सरोगेसी से जुड़ी चुनौतियाँ, विलुप्त प्रजातियों के संरक्षण में जैव प्रौद्योगिकी की भूमिका

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

नॉर्दर्न व्हाइट राइनो हमारी पृथ्वी पर सबसे लुप्तप्राय पशुओं में से एक है, वर्तमान में इसकी केवल दो मादाएँ जीवित शेष हैं। इस प्रजाति के अस्तित्त्व को बनाए रखने के लिये वैज्ञानिकों ने इन-विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF) और स्टेम सेल तकनीकों जैसी प्रजनन प्रौद्योगिकियों को नियोजित करते हुए वर्ष 2015 में बायोरेस्क्यू नामक एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना शुरू की थी।

  • हाल ही में बायोरेस्क्यू ने प्रयोगशाला में निर्मित भ्रूण की सहायता से साउदर्न व्हाइट राइनो में पहली बार गैंडे के गर्भधारण की जानकारी साझा की।
  • यह प्रयास नॉर्दर्न व्हाइट राइनो के अस्तित्त्व को बनाए रखने की दिशा में एक महत्त्व कदम है।

वैज्ञानिक किस प्रकार टेस्ट ट्यूब गैंडे(राइनो) बना रहे हैं?

  • इन-विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF) के रूप में महत्त्वपूर्ण खोज:
    • वैज्ञानिकों के एक अंतर्राष्ट्रीय संघ बायोरेस्क्यू ने पहली बार IVF के माध्यम से गैंडे के गर्भधारण में मदद कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
      • इस प्रक्रिया में प्रयोगशाला में निर्मित गैंडे के भ्रूण को सरोगेट साउदर्न व्हाइट राइनो में स्थानांतरित किया गया
  • सरोगेसी:
    • वर्ष 2018 में अंतिम नॉर्दर्न व्हाइट राइनो (नर) की मृत्यु के बाद से इन प्रजातियों के पुनर्जनन के लिये सरोगेसी एकमात्र व्यवहार्य विकल्प शेष रह गया।
      • नाजिन और फातू के रूप में शेष दो मादाएँ रोग संबंधी कारणों से प्रजनन में असमर्थ पाई गईं।
      • ऐसे में मृत नर के जमे हुए शुक्राणु और मादा के अंडाणुओं के उपयोग से प्रयोगशाला में भ्रूण बनाना ही नॉर्दर्न व्हाइट राइनो के लिये एकमात्र विकल्प बच गया, और फिर उन्हें साउदर्न व्हाइट राइनो की उप-प्रजाति की सरोगेट माताओं में प्रत्यारोपित करना है। ये प्रजातियाँ अधिक प्रचुर मात्रा में हैं तथा आनुवंशिक रूप से नॉर्दर्न व्हाइट राइनो के काफी समान है।
  • टेस्ट ट्यूब गैंडों के संबंध में चिंताएँ:
    • आनुवंशिक व्यवहार्यता संबंधी चिंताएँ:
      • इस प्रक्रिया में उपयोग किये गए भ्रूण दो मादाओं के अंडों और मृत पुरुषों के शुक्राणु से प्राप्त होते हैं, जो व्यवहार्य उत्तरी सफेद आबादी के लिये जीन पूल को सीमित करते हैं।
    • उत्तरी सफेद गैंडे के लक्षणों का संरक्षण:
      • दक्षिणी सफेद गैंडों के साथ क्रॉसब्रीडिंग कोई समाधान नहीं है, क्योंकि इसके परिणामस्वरूप दलदली आवासों के लिये अनुकूलित उत्तरी सफेद गैंडों की अनूठी विशेषताओं का नुकसान होगा।
        • सफल IVF और सरोगेसी प्रयासों के बाद भी आनुवंशिक विविधता चिंता का विषय बनी हुई है।
    • IVF शावकों में व्यवहारिक चुनौतियाँ:
      • IVF के माध्यम से पैदा हुए बच्चे विशिष्ट उत्तरी सफेद गैंडे के व्यवहार को प्रदर्शित करने के लिये आनुवंशिक रूप से कठोर नहीं होते हैं।
        • प्रजाति-विशिष्ट लक्षणों को बनाए रखने के लिये उत्तरी श्वेत वयस्कों से प्रारंभिक बातचीत और सीखना महत्त्वपूर्ण है।
      • तात्कालिकता शेष उत्तरी सफेद मादाओं, नाजिन (35) और फातू (24) की उम्र में निहित है।
        • यह सुनिश्चित करने के लिये कि व्यवहारिक और सामाजिक कौशल आगे बढ़े, पहले IVF बच्चों को जीवित मादाओं से सीखने के लिये समय पर पैदा होना चाहिये।
    • टेस्ट ट्यूब से परे संरक्षण:
      • आलोचकों का तर्क है कि ध्यान न केवल प्रजातियों के पुनर्जनन पर होना चाहिये, बल्कि विलुप्त होने के मूल कारणों, जैसे कि निवास स्थान के खतरे और अवैध शिकार, को संबोधित करने पर भी होना चाहिये।

सरोगेसी:

  • सरोगेसी एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें एक महिला (सरोगेट) किसी अन्य व्यक्ति या जोड़े (इच्छित माता-पिता) की ओर से बच्चे को जन्म देने के लिये सहमत होती है। 
    • सरोगेट, जिसे कभी-कभी गर्भकालीन वाहक भी कहा जाता है, वह महिला होती है जो किसी अन्य व्यक्ति या जोड़े (इच्छित माता-पिता) के लिये गर्भ धारण करती है और बच्चे को जन्म देती है।

नॉर्दर्न व्हाइट राइनो से जुड़े मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय:
    • नॉर्दर्न व्हाइट राइनो (NWR) सफेद गैंडे/व्हाइट राइनो (सेराटोथेरियम सिमम) की एक उप-प्रजाति है, यह मूलतः मध्य और पूर्वी अफ्रीका में पाए जाते हैं
      • सफ़ेद गैंडे हाथी के बाद दूसरा सबसे बड़ा धरातली स्तनपायी जीव हैं। इन्हें चौकोर होंठ वाले (स्क्वायर लिप्ड) गैंडे  के रूप में जाना जाता है, सफेद गैंडों का ऊपरी होंठ चौकोर होता है और इनकी त्वचा पर लगभग न के बराबर बाल होता है।                         
      • नॉर्दर्न और साउदर्न व्हाइट राइनो, सफ़ेद गैंडे की दो आनुवंशिक रूप से भिन्न उप-प्रजातियाँ हैं।

  • मौजूदा स्थिति:
    • IUCN रेड लिस्ट में सफेद गैंडे को निकट संकटग्रस्त के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसकी उप-प्रजातियों की IUCN स्थिति इस प्रकार है:
      • उत्तरी सफेद गैंडा: गंभीर रूप से लुप्तप्राय।
      • दक्षिणी सफेद गैंडा: निकट संकटग्रस्त।
    • अवैध शिकार, निवास स्थान को नुकसान और बीमारी के कारण नॉर्दर्न व्हाइट राइनो की आबादी काफी कम हुई है।
      • 1960 के दशक में  NWR की संख्या लगभग 2,000 थी, किंतु वर्ष 2008 आते आते इनकी संख्या मात्र 4 रह गई।
        • वर्ष 2018 में सूडान नामक अंतिम नर NWR की मृत्यु हो गई, इसके बाद केवल दो मादाएँ, नाजिन और फातू बचीं, ये केन्या में एक संरक्षण क्षेत्र में हैं।
    • दक्षिणी सफेद गैंडों की बड़ी संख्या (98.8%) केवल चार देशों में पाई जाती हैं: दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, ज़िम्बाब्वे एवं केन्या।
    • एक सदी से भी अधिक समय तक संरक्षण और प्रबंधन के बाद उन्हें अब संकटग्रस्त के रूप में वर्गीकृत किया गया है और लगभग 18,000 पशु संरक्षित क्षेत्रों एवं निजी अभ्यारण्यों में मौजूद हैं।

नोट:

  • भारतीय गैंडा (जिसे एक सींग वाले गैंडे के रूप में भी जाना जाता है) और अफ्रीकी गैंडों में काफी भिन्नता है और इसे IUCN रेड लिस्ट में सुभेद्य के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. मानव प्रजनन तकनीकी में अभिनव प्रगति के संदर्भ में, "प्राक्केन्द्रिक स्थानान्तरण" (Pronuclear Transfer) का प्रयोग किस लिये होता है? (2020)

(a) इन विट्रो अंड के निषेचन के लिये दाता शुक्राणु का उपयोग
(b) शुक्राणु उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं का आनुवंशिक रूपान्तरण
(c) स्टेम (Stem) कोशिकाओं का कार्यात्मक भ्रूणों में विकास
(d) संतान में सूत्रकणिका वाले रोगों का निरोध

उत्तर: (d)