तटीय रडार शृंखला नेटवर्क | 21 Dec 2020

चर्चा में क्यों?

मालदीव, म्याँमार और बांग्लादेश में तटीय राडार स्टेशन स्थापित करने के भारत के प्रयास तकरीबन अंतिम चरण में पहुँच गए हैं।

  • यह रडार शृंखला जो कि भारत, श्रीलंका, मॉरीशस और सेशेल्स में मौजूद समान प्रणालियों के साथ जुड़ेगी, हिंद महासागर क्षेत्र में जहाज़ों की आवाजाही की वास्तविक स्थिति की जानकारी (Live Feed) प्रदान करेगी और इसका उपयोग संबंधित देशों की नौसेनाओं द्वारा किया जा सकेगा।

प्रमुख बिंदु

तटीय रडार शृंखला नेटवर्क:

  • इसका उद्देश्य रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र में सूचना एवं समुद्री डोमेन जागरूकता का एक नेटवर्क बनाना है।
  • यह हिंद महासागर क्षेत्र में मौजूद देशों के क्षमता निर्माण के लिये भी भारत की सहायता का विस्तार करेगा। 
    • इन देशों की सहायता के लिये भारत ने ‘सागर’ (Security and Growth for All in the Region -SAGAR) नाम से एक पहल भी शुरू की है।
  • तटीय रडार शृंखला नेटवर्क के पहले चरण के तहत देश के समुद्र तटों पर कुल 46 तटीय रडार स्टेशन स्थापित किये गए हैं।
  • वर्तमान में जारी परियोजना के दूसरे चरण के अंतर्गत तटरक्षक बल द्वारा 38 राडार स्टेशन और चार मोबाइल रडार स्टेशन स्थापित किये जाने हैं, जिनका कार्य लगभग अंतिम चरण में है।
    • तटरक्षक बल, रक्षा मंत्रालय के तहत संचालित एक मल्टी-मिशन संगठन है, जो कि समुद्र में अलग-अलग तरह के ऑपरेशन्स का संचालन करता है।
  • इसका प्राथमिक लक्ष्य तटीय निगरानी एप्लीकेशन के लिये छोटे जहाज़ों का पता लगाना और उन्हें ट्रैक करना है। 
    • हालाँकि इसका उपयोग वेसल ट्रैफिक मैनेजमेंट सर्विसेज़ एप्लीकेशन, हार्बर सर्विलांस और नेविगेशनल उद्देश्यों के लिये भी किया जा सकता है।
    • यह समुद्र में किसी भी अवैध गतिविधि पर नज़र रखने में भी मदद करेगा।
  • अंततः इसके तहत एकत्र किये गए डेटा को ‘सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र’ (IFC-IOR) के तहत शामिल किया जाएगा

सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR)

  • हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) के लिये सूचना संलयन केंद्र (IFC) को गुरुग्राम में नौसेना के सूचना प्रबंधन एवं विश्लेषण केंद्र (IMAC) में स्थापित किया गया है, जिसे भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल द्वारा संयुक्त रूप से शासित किया जाता है।
    • 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद स्थापित सूचना प्रबंधन एवं विश्लेषण केंद्र (IMAC) भारत में समुद्री डेटा संलयन हेतु एक नोडल एजेंसी है।
    • इसे जल्द ही ‘राष्ट्रीय समुद्री डोमेन जागरूकता’ (NDMA) केंद्र के रूप में बदल दिया जाएगा।
  • IFC-IOR ने 21 देशों और 20 समुद्री सुरक्षा केंद्रों के साथ व्हाइट शिपिंग सूचना विनिमय समझौतों के माध्यम से हिंद महासागर क्षेत्र में स्वयं को समुद्री सुरक्षा सूचना के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित किया है।
    • व्हाइट शिपिंग का अर्थ गैर-सैन्य वाणिज्यिक जहाज़ों की पहचान और आवाजाही के बारे में अग्रिम सूचनाओं को साझा करना या उनका आदान-प्रदान करना है।

हिंद महासागर क्षेत्र

  • हिंद महासागर क्षेत्र, जहाँ विश्व की अधिकांश आबादी निवास करती है, को उसकी रणनीतिक स्थिति के कारण वैश्विक वाणिज्य को बल प्रदान करने वाले आर्थिक राजमार्ग के रूप में संबोधित किया जा सकता है।
  • दुनिया का 75 प्रतिशत से अधिक समुद्री व्यापार और दैनिक वैश्विक तेल खपत का 50 प्रतिशत हिस्सा इसी क्षेत्र से है, जिसके कारण यह क्षेत्र वैश्विक व्यापार और कई देशी की आर्थिक संवृद्धि के लिये काफी महत्त्वपूर्ण हैं।
  • आँकड़ों की मानें तो हिंद महासागर क्षेत्र में तकरीबन 12,000 व्यापारिक जहाज़ और 300 मछली पकड़ने वाले छोटे जहाज़ हर समय मौजूद रहते हैं, जिसके कारण इस क्षेत्र में निगरानी रखना काफी महत्त्वपूर्ण है।
  • साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री डकैती, मानव तस्करी, अवैध मछली पकड़ना और हथियारों की तस्करी काफी व्यापक पैमाने पर प्रचलित है, जो कि इस क्षेत्र को संवेदनशील बनाते हैं। 
  • इसके अलावा बीते कुछ वर्ष में हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के अनुसंधान जहाज़ों की संख्या में भी काफी अधिक वृद्धि देखी गई है।
    • हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति भारत के लिये रणनीतिक रूप से चिंता का विषय है।

संबंधित पहलें 

  • दिसंबर 2020 में इंडियन ओसियन रिम एसोसिएशन (IORA) के प्रतिनिधियों की बैठक का आयोजन किया गया। IORA एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसे वर्ष 1997 में स्थापित किया गया था। भारत इसका सदस्य है।
  • हाल ही में भारतीय नौसेना ने मिलकर दो चरणों में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में मालाबार युद्धाभ्यास का आयोजन किया, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान भी शामिल थे।
  • भारत इसी वर्ष मार्च माह में ‘हिंद महासागर आयोग (IOC) में ‘पर्यवेक्षक’ के रूप में शामिल हुआ। यह आयोग पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संस्थान है।

आगे की राह

  • जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पर मौजूद पर्यावरणीय खतरा और समुद्री संसाधनों के नुकसान के कारण हिंद महासागर क्षेत्र के कुछ छोटे द्वीप राज्यों पर आजीविका की चुनौती उत्पन्न हो गई है। गैर-स्थायी सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की उपस्थिति और वर्ष 2023 में G20 की अध्यक्षता भारत को इन बहुपक्षीय मंचों पर छोटे द्वीपों के मुद्दों को उजागर करने का अवसर प्रदान करेगी।
  • समुद्री कूटनीति और ऐसे छोटे द्वीपों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रकट करना क्षेत्रीय क्षमता निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। द्विपक्षीय और बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास, समुद्री सूचना-साझाकरण तंत्र तथा सामान्य मानक ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल विकसित करना आदि समुद्री कूटनीति एवं भारत की विदेश नीति की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण साधन हो सकते हैं।
  • सैन्य क्षेत्र के लिये हार्डवेयर का निर्यात भी आर्थिक और सैन्य कूटनीति का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है तथा यह क्षेत्रीय क्षमता निर्माण में योगदान देता है। वर्तमान में भारत अपने कई छोटे पड़ोसी देशों को सैन्य  हार्डवेयर का निर्यात कर रहा है।

स्रोत: द हिंदू