जलवायु परिवर्तन और जल गुणवत्ता | 31 Mar 2020

प्रीलिम्स के लिये

विश्व जल विकास रिपोर्ट

मेन्स के लिये

भारत में जल गुणवत्ता से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (United Nations-UN) द्वारा जारी विश्व जल विकास रिपोर्ट (World Water Development Report) के अनुसार, जलवायु परिवर्तन बुनियादी मानव आवश्यकताओं के लिये जल की उपलब्धता, गुणवत्ता और मात्रा को प्रभावित करेगा, जिससे जल का बुनियादी मानवाधिकार और अरबों लोगों के लिये स्वच्छ जल की उपलब्धता प्रभावित होगी।

प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन से प्रेरित हाइड्रोलॉजिकल परिवर्तन (Hydrological Changes) जल संसाधनों के स्थायी प्रबंधन के लिये चुनौती को ओर बढ़ा देगा, जो पहले से ही विश्व के अधिकांश क्षेत्रों में गंभीर दबाव में हैं।
  • खाद्य सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य, शहरी और ग्रामीण जन-जीवन, ऊर्जा उत्पादन, औद्योगिक विकास, आर्थिक विकास और पारिस्थितिक तंत्र सभी जल पर निर्भर हैं और इस दृष्टि से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदनशील हैं।
  • इस प्रकार जल प्रबंधन के माध्यम से जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और न्यूनीकरण सतत् विकास और सतत् विकास लक्ष्य 2030 की प्राप्ति के लिये महत्त्वपूर्ण है।

जल संसाधनों पर प्रभाव

  • रिपोर्ट के अनुसार, बीते 100 वर्षों में वैश्विक जल उपयोग बढ़ती जनसंख्या, आर्थिक विकास और स्थानांतरण खपत पैटर्न के परिणामस्वरूप लगभग 1 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से लगातार बढ़ रहा है।
  • जलवायु परिवर्तन वर्तमान में जल-तनावग्रस्त क्षेत्रों की स्थिति को और गंभीर करेगा और उन क्षेत्रों में जल तनाव उत्पन्न करेगा जहाँ अभी जल संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं।
  • जल के उच्च तापमान और जल में मौजूद ऑक्सीजन में कमी के परिणामस्वरूप जल की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जिससे पीने योग्य जल की स्वतः शुद्धिकरण क्षमता कम हो जाएगी।
  • कई पारिस्थितिक तंत्र, विशेष रूप से वन और आर्द्रभूमि भी गंभीर खतरे में हैं। 
  • पारिस्थितिक तंत्रों के क्षरण से न केवल जैव विविधता की हानि होगी, बल्कि यह जल से संबंधित पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं जैसे कि जल शोधन, प्राकृतिक बाढ़ सुरक्षा, कृषि, मत्स्य पालन को भी प्रभावित करेगा। 
  • जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन पर अधिकांश प्रभाव उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में दिखाई देगा, जहाँ विश्व के अधिकतर विकासशील देश हैं।

खाद्य और कृषि

  • रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक खाद्य उत्पादन पैटर्न भी प्रभावित होगा, जो खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करेगा और खाद्य कीमतों में वृद्धि होगी।
  • खाद्य कीमतों में वृद्धि देश में मुख्य तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी को बढ़ावा देगी।
  • रिपोर्ट में दिये गए अनुमान के अनुसार, उत्तरी और उष्णकटिबंधीय हिस्से अधिक नम हो जाएंगे, जबकि अफ्रीका के कुछ हिस्से, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप आदि सूख जाएंगे। इस प्रकार की परिस्थिति में कृषि के पैटर्न में भी बदलाव होगा।

आगे की राह

  • जल बुनियादी मानवीय आवश्यकताओं के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है। इस प्रकार जल की आवश्यक मात्रा और गुणवत्ता को बनाए रखना अनिवार्य है।
  • जलवायु परिवर्तन के कारण प्रभावित हो रही जल गुणवत्ता लगभग संपूर्ण विश्व के लिये एक चुनौतीपूर्ण विषय है।
  • आवश्यक है कि इस विषय से संबंधित सभी पक्ष एक मंच पर आकर विषय से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करें और इस संदर्भ में यथासंभव संतुलित उपायों की खोज करें।

स्रोत: डाउन टू अर्थ